सैलजा : प्रदेश में नशे की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है, लेकिन…
चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने बोला कि प्रदेश में नशे की परेशानी विकराल रूप धारण कर चुकी है, लेकिन भाजपा-जजपा गठबंधन गवर्नमेंट केवल खानापूर्ति करने में ही लगी है। कई जिलों में हालात बद से बदतर हो चुके हैं और बड़े नशा कारोबारियों तक पुलिस के हाथ पहुंच ही नहीं पा रहे। नशे के बढ़ते मामलों को देखते हुए जो निर्देश पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने दिए थे, उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने बोला कि आए दिन हाथ में लगी सिरिंज के साथ कभी बेसुध तो कभी जान गंवा चुके युवाओं की फोटो वायरल हो रही हैं। सबसे अधिक 18 से 35 वर्ष के युवा इसकी चपेट में हैं। पंजाब से लगते इलाकों में अधिक ही परेशानी खड़ी हो गई है। सबसे प्रभावित जिलों में फतेहाबाद, सिरसा, फरीदाबाद, रोहतक, अंबाला, गुरुग्राम, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, हिसार, जींद और कैथल की गिनती हो रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बोला कि हरियाणा पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2023 तशा स्मग्लिंग और खरीद-फरोख्त की 3757 एफआईआर दर्ज की गई, जबकि 5330 नशा स्मग्लिंग के आरोपी अरैस्ट हुए। इस हिसाब से हर रोज करीब 10 एफआईआर दर्ज हुई और 14 आरोपी अरेस्ट हुए। इस आंकड़े से नशे के कारोबार की प्रदेश में भयावह स्थिति का आंकलन किया जा सकता है। जितने मुद्दे दर्ज का दावा किया जा रहा है, उससे कहीं अधिक तो पुलिस पुलिस स्टेशन तक पहुंचने से पहले ही घूस लेकर रफा-दफा कर दिए जाते हैं।
सैलजा ने बोला कि नशे के मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने प्रदेश गवर्नमेंट को कुछ निर्देश दिए थे, जिनमें खुदकुशी से मरने वाले ड्रग एडिक्ट के परिवार को 05 लाख रुपये मुआवजा, ड्रग की एफआईआर करते समय उसके मुखिया के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग का मुद्दा दर्ज करने को बोला था। इसके साथ ही प्रत्येक जिले में ड्रग पुनर्वास केंद्र खोलने, हर शैक्षणिक संस्थान में नशे के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने और इनके आसपास सादी वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात करने का निर्देश दिया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बोला कि नाबालिगों को शराब बेचने पर लाइसेंस रद्द करने, नशीली दवाओं के विरुद्ध एसटीएफ गठित करने, नशीली दवाओं के कारोबार में शामिल लोगों को डेटाबेस और रिकॉर्ड रखकर उन पर नजर रखने, आदि निर्देश भी उच्च न्यायालय ने दिए थे। लेकिन, भाजपा-जजपा गठबंधन गवर्नमेंट ने इनमें से अधिक को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इससे ड्रग माफिया और ड्रग के काले खतरे का साया प्रदेश के युवाओं पर लगातार मंडरा रहा है। नशा इतना अधिक पैर पसार चुका है कि अब लोग प्रदेश को उड़ता हरियाणा कहने लगे हैं।