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स्पेस सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट पॉलिसी में हुआ बदलाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्पेस सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट (एफडीआई) पॉलिसी में संशोधन को स्वीकृति दे दी. अब इस परिवर्तन के बाद सैटेलाइट सब सेक्टर को तीन भिन्न-भिन्न हिस्सों में बांट दिया गया है और तीनों भागों में विदेशी निवेश की सीमा भी तय कर दी गई है.

युवाओं को मिलेगा रोजगार

दरअसल, फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट में विदेश की कंपनियां हिंदुस्तान में निवेश करती हैं. वह यहां अपनी कंपनी, ऑफिस स्पेस औरअन्य गतिविधियां करती हैं. ऐसे में यह संशोधन स्पेस सेक्टर में काम करने वाली विदेशी कंपनियों के लिए काफी लाभ वाला रहेगा. वहीं, इन विदेशी कंपनियों के निवेश से राष्ट्र में युवाओं को रोजगार मिलेगा. यह कंपनियां इण्डिया में जिस फर्म या कंपनी के साथ काम करेंगी उन्हें भी कारोबार मिलेगा.

स्पेस सेक्टर में बढ़ेगा निवेश

बता दें भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 में निजी भागीदारी बढ़ाने पर बल दिया गया है. निजी क्षेत्र में वृद्धि कर स्पेस सेक्टर की हिंदुस्तान में क्षमताएं बढ़ाए जाने की बात कही गई है. ऐसे में यह नया संशोधन उसी तरफ एक कदम है. इससे स्पेस सेक्टर में रिचर्स, इनोवेशन और विकास में सहायता मिलेगी. जानकारों के मुताबिक इससे विदेशी और देशी कंपनियां रॉकेट कम्युनिकेशन और स्पेस सेक्टर संबंधी अन्य चीजों पर निवेश बढ़ाएगी.

स्पेस सेक्टर की भूमिका

पॉलिसी में संशोधन करने से इण्डिया में स्पेस कंपनियों को लाभ मिलेगा. इन्हें ग्लोबल प्रोजेक्ट मिलने के अवसर पहले से बढ़ेंगे. बता दें कि हिंदुस्तान को विकसित राष्ट्र बनाने में स्पेस सेक्टर इम्पोर्टेन्ट रोल है. इसके अतिरिक्त स्पेस उद्योग से जुड़े जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन तकनीक पर भी काम किया जा रहा है. यह तकनीक शहरों की योजना बनाने और प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल में काम आएगी

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