मोदी सरकार की इस योजना से 10 लाख आदिवासी उद्यमियों को होगा लाभ
प्रधान मंत्री वन धन योजना (पीएमवीडीवाई) या वन धन विकास योजना (वीडीवीवाई) हिंदुस्तान में आदिवासी समुदायों की आजीविका में सुधार लाने के उद्देश्य से हिंदुस्तान गवर्नमेंट के जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रारम्भ की गई एक योजना है। यह योजना वन-आधारित उत्पादों के लिए मूल्य श्रृंखला विकसित करने और उन्हें कौशल प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रदान करके आदिवासी समुदायों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है।
वन धन विकास योजना के तहत, आदिवासी समुदायों को क्लस्टर बनाने और उनके मूल्य को बढ़ाने के लिए वन उपज का प्रसंस्करण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इन समूहों को जरूरी बुनियादी ढांचे, जैसे उपकरण और मूल्य संवर्धन और उद्यमिता में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। यह योजना जनजातीय समुदायों को उनके उत्पादों के लिए औनलाइन प्लेटफॉर्म सहित विभिन्न चैनलों के माध्यम से बाजार संपर्क भी प्रदान करती है।
इस योजना में तीन स्तरीय कार्यान्वयन प्रक्रिया है, जिसमें ग्राम स्तर पर वन धन विकास केंद्रों, क्लस्टर स्तर पर वन धन विकास संरक्षण समितियों और जिला स्तर पर वन धन विकास समूह का गठन शामिल है। इस योजना का लक्ष्य राष्ट्र भर में 50,000 वन धन विकास केंद्र स्थापित करने का है, जिससे लगभग 10 लाख आदिवासी उद्यमियों को फायदा होगा।
वन धन विकास योजना में हिंदुस्तान में आदिवासी समुदायों को वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान करके और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करके उनके जीवन को बदलने की क्षमता है। यह योजना न सिर्फ़ उद्यमिता को बढ़ावा देती है बल्कि वनों के संरक्षण और जैव विविधता की सुरक्षा में भी सहायता करती है।
दिशानिर्देशों के मुताबिक 20 सदस्यीय एसएचजी के लिए स्वीकृत कुल राशि सिर्फ़ 1 लाख रुपये तक सीमित होगी। 20 से कम सदस्यों वाले किसी भी समूह को आनुपातिक राशि ही जारी की जाएगी। (उदाहरण के लिए, 10 सदस्यीय एसएचजी को उनके स्वयं के कार्यशील पूंजी निवेश 10,000 रुपये के बदले 50,000 रुपये मिलेंगे)। डीएलसीएमसी और राज्य नोडल विभाग प्रक्रियाओं को मुनासिब रूप से अनुमोदित कर सकते हैं।