5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में…
इतिहास में 5 सितंबर: आज का दिन हिंदुस्तान में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 5 सितंबर को राष्ट्र के दूसरे राष्ट्रपति डाॅ। डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन (डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन) का जन्म हुआ था और उनके सम्मान में इस दिन को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में जन्मे डॉ। राधाकृष्णन को भारतीय संस्कृति के गुरु, प्रख्यात शिक्षाविद् और महान दार्शनिक के रूप में जाना जाता है। डॉ। राधाकृष्णन को राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ भी मिल चुका है।
इतिहास में आज के दिन घटी अन्य जरूरी घटनाएँ इस प्रकार हैं,
1763 : राजमहल के पास उदयनाला में ब्रिटिश सेना के विरुद्ध लड़ाई में मीर कासिम की हार हुई।
1888 : डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन जन्मदिन (डॉ। राधाकृष्णन जन्मदिन)
भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1988 को आंध्र प्रदेश के चितूर जिले के तिरुपानी गांव में हुआ था। उन्होंने 1909 से 1948 तक 40 सालों तक शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। वह दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर थे। डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन को हिंदुस्तान रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके सहयोग को मान्यता देने के लिए 5 सितंबर को पूरे राष्ट्र में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
1914: ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम और रूस के बीच लंदन की संधि।
1918 : उद्योगपति रतनजी जमशेदजी टाटा का निधन
सर रतनजी टाटा हिंदुस्तान के मशहूर पारसी उद्योगपति और सामाजिक कार्यकर्ता जमशेदजी नसरवानजी टाटा के पुत्र थे। उन्होंने हिंदुस्तान में टाटा समूह के विकास में जरूरी किरदार निभाई।रतनजी टाटा का जन्म 20 जनवरी 1871 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, बॉम्बे से पढ़ाई के बाद इंडस्ट्री में कदम रखा। जब 1904 में उनके पिता की मौत हो गई, तो उन्हें और उनके भाई सर दोराबजी जमशेदजी टाटा को अपार वैभव और संपत्ति विरासत में मिली। टाटा एंड कंपनी के भागीदार होने के अलावा, वह भारतीय हॉस्टल्स कंपनी लिमिटेड, टाटा लिमिटेड, लंदन टाटा आयरन एंड स्टील वर्क्स साकची, टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड, हिंदुस्तान के निदेशक थे।
अपने पिता से प्राप्त धन का इस्तेमाल उन्होंने औद्योगिक विकास के साथ-साथ समाज सेवा कार्यों में किया। 1912 में, उन्होंने लंदन विद्यालय ऑफ इकोनॉमिक्स में सामाजिक विज्ञान और प्रशासन विभाग की स्थापना की। उसी वर्ष, गरीब विद्यार्थियों की दुर्दशा का शोध करने के लिए लंदन यूनिवर्सिटी में रतन टाटा फंड की भी स्थापना की गई। उनके नाम पर एक चैरिटी फंड भी स्थापित किया गया। 5 सितंबर 1918 को कॉर्नवाल में उनकी मौत हो गई।
1986: आतंकियों द्वारा अपहृत भारतीय विमान के यात्रियों को बचाने के लिए फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट शहीद हो गईं।
नीरजा भनोट मुंबई में पैन अमेरिकन एयरलाइंस (पैन एम फ्लाइट 73) में फ्लाइट अटेंडेंट थीं। 5 सितंबर 1986 को मुंबई हून से न्यूयॉर्क जा रहे पैन एएम-73 विमान को कराची में फिलिस्तीनी आतंकियों ने किडनैपिंग कर लिया और सभी यात्रियों को बंधक बना लिया। नीरजा को उस विमान में नियुक्त किया गया था और उनकी समय की पाबंदी ने चालक दल के तीन सदस्यों को विमान के कॉकपिट से तुरंत बाहर निकलने की अनुमति दी। लेकिन इजरायल और अमेरिकी गवर्नमेंट के साथ वार्ता टूटने के बाद जब 17 घंटे बाद आतंकियों ने यात्रियों की मर्डर करना प्रारम्भ कर दिया और विमान में विस्फोटक रखना प्रारम्भ कर दिया, तो नीरजा ने विमान का इमरजेंसी दरवाजा खोला और यात्रियों को बचाया। इमरजेंसी दरवाजा खोलकर नीरजा ने सभी यात्रियों को बाहर निकाला। इसमें आतंकवादियों ने नीरजा की गोली मारकर मर्डर कर दी थी। लेकिन नीरजा द्वारा दिखाई गई बहादुरी के कारण अमेरिकी गवर्नमेंट ने भी उन्हें सम्मानित किया।
निरजा भनोट को सर्वोच्च बहादुरी पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। उन्हें पाक गवर्नमेंट और अमेरिकी गवर्नमेंट द्वारा मरणोपरांत सम्मानित भी किया गया था। उनकी कहानी पर 2016 में एक फिल्म भी बनी थी, जिसमें सोनम कपूर ने एक्टिंग किया था।
1991: नेल्सन मंडेला अफ़्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गये।
1997: मदर टेरेसा की मृत्यु
अल्बानिया में जन्मी मदर टेरेसा ने अपना जीवन हिंदुस्तान के गरीब लोगों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने अपना काम हिंदुस्तान में प्रारम्भ किया। 7 अक्टूबर 1950 को मदर टेरेसा को मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की स्वीकृति दी गई। मदर टेरेसा ने कोलकाता में इस संस्था की स्थापना की और अपना सामाजिक कार्य प्रारम्भ किया। आज उनकी संस्था के माध्यम से राष्ट्र भर में सैकड़ों अनाथालय और हॉस्पिटल काम कर रहे हैं। इसके जरिए लाखों लोग उनसे जुड़े हैं। मदर टेरेसा को पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा संत घोषित किया गया था। जो उनके संतत्व की यात्रा का पहला कदम था। मदर टेरेसा को उनके काम के लिए 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मदर टेरेसा को कुष्ठ मरीजों और अनाथों की सेवा में उनके कार्यों के लिए 25 जनवरी 1980 को हिंदुस्तान रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 5 सितंबर 1997 को कोलकाता में उनका मृत्यु हो गया।