बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर किया ये आग्रह
नई दिल्ली: बसपा के सांसद दानिश अली (Danish Ali) ने शुक्रवार को पीएम मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर आग्रह किया कि बीजेपी के लोकसभा सदस्य रमेश बिधूड़़ी द्वारा उनके विरुद्ध की गई अपमानजनक टिप्पणी (Ramesh Bidhuri Remark) के मुद्दे में ज़िम्मेदारी और दंड सुनिश्चित किया जाए ताकि आगे सदन में ऐसी घटनाएं नहीं हों। अली ने स्वयं को मिली ‘धमकियों’ का हवाला देते हुए अपने लिए पुख्ता सुरक्षा प्रबंध की मांग भी की।
‘दुनिया देख रही है… आप इस बार भी शान्त हैं’
बसपा सांसद दानिश अली प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र को अपने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘दुनिया देख रही है… आप इस बार भी शान्त हैं!’ उन्होंने यह भी लिखा, ‘आज, मैंने माननीय प्रधान मंत्री और लोकसभा के नेता नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें उनसे संसदीय मर्यादा को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने, अपनी खामोशी तोड़ने का निवेदन किया गया, क्योंकि दुनिया हिंदुस्तान को अधिक करीब से देख रही है।
दुनिया देख रही है…। आप इस बार भी ख़ामोश हैं!
Today, I wrote a letter to Hon’ble Prime Minister and the leader of #LokSabha Shri @narendramodi ji, requesting him to uphold and protect the parliamentary decorum, break his silence, as the world is watching India more closely. pic.twitter.com/0t4I4fggJG— Kunwar Danish Ali (@KDanishAli) September 29, 2023
बिधूड़ी ने अली के विरुद्ध आपत्तिजनक शब्दों का किया था इस्तेमाल
उन्होंने पीएम से यह आग्रह भी किया कि वह सदन के भीतर मर्यादा और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के महत्व की याद दिलाने से जुड़ी अपील करें। ‘चंद्रयान-3 की कामयाबी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में हिंदुस्तान की उपलब्धियां’ विषय पर लोकसभा में चर्चा के दौरान गत 21 सितंबर को बिधूड़ी ने अली के विरुद्ध आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था।
असंसदीय और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल
बसपा सांसद ने पत्र में कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते होंगे कि 21 सितंबर, 2023 के बाद से स्थिति काफी खराब हो गई है और इसने हमारे सम्मानित सदन की संसदीय मर्यादा और लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली पर ग्रहण लगा दिया है। आप सदन के नेता और हमारे राष्ट्र के पीएम हैं। ऐसे में मुझे विश्वास है कि आपको यह बात गहराई से पता चलेगी कि सांसद रमेश बिधूड़ी ने असंसदीय और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया।”
मुझे “आतंकवादी” और “उग्रवादी” कहा
उन्होंने कहा, ‘‘आप उस दिन सदन में उपस्थित नहीं थे, फिर भी बिधूड़ी ने अपने संबोधन के दौरान आपका जिक्र करते हुए अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया। मैंने पीएम के संबंध में ऐसी भाषा के इस्तेमाल पर विरोध जताई… सदन की कार्यवाही से यह साफ है कि सत्ता पक्ष के किसी भी सदस्य ने आपके प्रति असंसदीय भाषा के इस्तेमाल के विरुद्ध मेरे रुख पर विरोध नहीं जताई। जब मैंने बिधूड़ी का ध्यान आपके प्रति असंसदीय भाषा के इस्तेमाल की ओर दिलाया, तो वे भड़क गये और उन्होंने मुझे “आतंकवादी” और “उग्रवादी” कहा।”
सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों ने उनके विरुद्ध असत्य फैलाया
दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को बीजेपी सांसदों निशिकांत दुबे और रवि किशन द्वारा लिखे गए पत्रों का हवाला देते हुए दावा किया कि सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों ने उनके विरुद्ध असत्य फैलाया और उन बातों का दावा किया जो उन्होंने किसी भी सत्र में नहीं कही। उन्होंने पीएम से आग्रह किया, ‘‘मैं आपसे सभी संसद सदस्यों को सदन के भीतर मर्यादा और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के महत्व की याद दिलाने का आग्रह करता हूं क्योंकि पूरी दुनिया हमें संसदीय लोकतंत्र के पथप्रदर्शक के रूप में देखती है। ऐसी अशोभनीय घटनाओं का हमारे लोकतंत्र में कोई जगह नहीं होना चाहिए।”
बिधूड़ी के निंदनीय आचरण पर जल्द से जल्द ज़िम्मेदारी हो तय
उन्होंने पीएम से कहा, ‘‘मेरा निवेदन है कि बिधूड़ी के निंदनीय आचरण पर जल्द से जल्द ज़िम्मेदारी तय की जानी चाहिए और उन्हें मुनासिब दंड दिया जाना चाहिए ताकि कोई भी सदन में इस तरह का कृत्य दोबारा न कर सके।” अली ने यह आग्रह भी किया, ‘‘बिधूड़ी द्वारा सदन में दी गई धमकियों और उसके बाद विभिन्न जगहों से मिल रही धमकियों को देखते हुए, मैं आपसे अपनी सुरक्षा प्रबंध पुख्ता करने का आग्रह करता हूं। यह जरूरी है कि मैं, और अन्य सांसद बिना किसी शक के अपने कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम रहें।”
‘सिर्फ मुझ पर ही धावा नहीं है…’
बसपा के लोकसभा सदस्य ने बोला कि विशेष सत्र के दौरान हुई हालिया घटना एक आदमी के रूप में ‘‘सिर्फ मुझ पर ही धावा नहीं है, बल्कि हमारे लोकतंत्र के मूल पर धावा है।” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास और आशा है कि सदन के नेता के रूप में हमारे राष्ट्र के लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए आप उपरोक्त मुद्दों पर विचार करेंगे। इस मुद्दे में आपकी त्वरित कार्रवाई न सिर्फ़ विश्वास बहाल करेगी, बल्कि हमारी मजबूत संसदीय प्रणाली की अखंडता को भी मजबूत करेगी।” (भाषा इनपुट के साथ)