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भारतीय न्यायपालिका के ‘भीष्म पितामह’ का 95 वर्ष की आयु में हुआ निधन

Fali Sam Nariman कद्दावर कानून जानकार और पूर्व सॉलिसिटर जनरल फली एस नरीमन का बुधवार को 95 साल की उम्र में मृत्यु हो गया वह दिल संबंधित परेशानियों सहित कई रोंगों से जूझ रहे थे नरीमन के मृत्यु पर पीएम नरेंद्र मोदी, उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस समेत कई दिग्गजों ने शोक जताया

पीएम मोदी ने जताया शोक

Fali Sam Nariman: पीएम मोदी ने फली एस नरीमन के मृत्यु पर शोक जताया और बोला कि उन्होंने अपना जीवन आम नागरिकों तक इन्साफ सुनिश्चित करने के लिए समर्पित कर दिया मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, फली नरीमन उत्कृष्ट विधि जानकारों और बुद्धिजीवियों में से थे उन्होंने अपना जीवन आम नागरिकों तक इन्साफ सुनिश्चित करने के लिए समर्पित कर दिया मैं उनके मृत्यु से दुखी हूं मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं उनकी आत्मा को शांति मिले

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने जताया शोक

सुप्रीम न्यायालय के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कानूनविद् और वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन के मृत्यु पर बुधवार को शोक व्यक्त किया और बोला कि वह ‘एक महान बुद्धिजीवी थे’ सीजेआई ने कहा, श्रीमान अटॉर्नी जनरल, हम फली नरीमन के मृत्यु पर शोक जताते हैं वह एक महान बुद्धिजीवी थे

फली एस नरीमन को जानें

फली एस नरीमन का जन्म 10 जनवरी 1929 को हुआ था नवंबर 1950 में उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय से वकालत शुरु की और 1961 में उन्हें वरिष्ठ वकील का दर्जा हासिल हुआ नरीमन का जन्म रंगून (अब यांगून) में एक संपन्न व्यवसायी परिवार में हुआ था साल 1942 में जापान की ओर से आक्रमण किये जाने के बाद उनका परिवार हिंदुस्तान आ गया उस समय नरीमन 12 वर्ष के थे उन्होंने 70 सालों से अधिक समय तक वकालत की आरंभ बंबई उच्च न्यायालय से हुई और फिर 1972 से उच्चतम न्यायालय में उन्होंने लंबा यात्रा तय किया नरीमन को मई 1972 में हिंदुस्तान के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था उन्होंने 26 जून 1975 को आपातकाल लागू होने के एक दिन बाद पद से त्याग-पत्र दे दिया था

कई ऐतिहासिक मामलों पर पैरवी के लिए जाने जाते हैं फली एस नरीमन

फली एस नरीमन अपने लंबे और बहुत बढ़िया कानूनी करियर में नरीमन ने कई ऐतिहासिक मामलों में पैरवी की इनमें भोपाल गैस त्रासदी, ‘टीएमए पाई फाउंडेशन’ और जयललिता का आय से अधिक संपत्ति जैसे मुद्दे भी शामिल हैं इसके अतिरिक्त वह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के चर्चित मुद्दे से भी जुड़े रहे इस आयोग को उच्चतम न्यायालय ने भंग कर दिया था

भारतीय न्यायपालिका के ‘भीष्म पितामह’ कहे जाने वाले नरीमन ने कई किताबें भी लिखीं

भारतीय न्यायपालिका के ‘भीष्म पितामह’ कहे जाने वाले नरीमन ने ‘बिफोर द मेमोरी फेड्स’, ‘द स्टेट ऑफ द नेशन’, ‘इंडियाज लीगल सिस्टम: कैन इट बी सेव्ड?’ और ‘गॉड सेव द ऑनर्बेल सुप्रीम कोर्ट’ जैसी किताबें भी लिखीं

कई सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं नरीमन

नरीमन को जनवरी 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया नवंबर 1999 में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी मनोनित किया गया था

 

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