राष्ट्रीय

जी 20 सम्‍मेलन में कनाडा को पीएम को नहीं मिली खास तवज्‍जो

 कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो (Justin Trudeau) के लिए अभी कुछ भी ठीक नहीं चल रहा अपने राष्ट्र के साथ पूरे विश्व में वे आलोचकों के निशाने पर हैं कनाडा में खालिस्‍तान समर्थकों पर नियंत्रण रखने में कथित नाकामी के चलते ट्रुडो को जी-20 बैठक (G20 Summit) में उन्‍हें हिंदुस्तान और सदस्‍य राष्ट्रों का ‘ठंडा’ रिस्‍पांस मिलाभारत में खास अहमियत नहीं मिलने से खिसियाए ट्रुडो को कनाडा के मीडिया ने भी आड़े हाथ लिया है कनाडा में एक तस्वीर भी चर्चा में है जिसमें जी-20 सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूडो के चेहरे की ओर उंगली से इशारा करते नज़र आ रहे हैं  कनाडा के मीडिया ने ट्रुडो के हिंदुस्तान दौरे को ‘नाकाम’ करार दिया है यह भी बोला जा रहा है कि ट्रुडो ने भारत-कनाडा के आपसी रिश्‍तों को खालिस्‍तान समर्थक अलगाववादियों को प्रश्रय देने के अपने ‘एजेंडे’ की भेंट चढ़ा दिया है कनाडा का मीडिया ही नहीं, वहां के नेता भी ट्रुडो की नीतियों के विरोध में सामने आए हैं

अमेरिका की सीमा से लगे कनाडा प्रांत सस्कैचवन (Saskatchewan) के प्रीमियर स्‍कॉट मो (Scott Moe) की गवर्नमेंट ने ट्रुडो पर हिंदुस्तान के साथ रिश्‍तों को हानि पहुंचाने और व्यापार वार्ता के बारे मेंअंधेरे में रखने का इल्जाम लगाया है मो की ओर से सोमवार का जारी एक लेटर में सस्कैचवन के व्‍यापार मंत्री जेरेमी हैरिसन (Jeremy Harrison) के हवाले से बोला गया है कि अपने घरेलू राजनीतिक हितों के लिए ट्रुडो हिंदुस्तान के साथ लड़ाई मोल ले रहे हैं

हैरिसन बोले-भारत-कनाडा के रिश्‍तों को हानि पहुंचा रहे ट्रुडो
हैरिसन ने लिखा, ‘इसके अतिरिक्त किसी अन्‍य निष्‍कर्ष पर पहुंचना बहुत मुश्किल है कि आपकी गवर्नमेंट ने एक बार फिर अपने घरेलू सियासी हितों को राष्ट्रीय आर्थिक भलाई से आगे रखा है, खासकर जब यह पश्चिमी कनाडाई में उत्‍पादित वस्तुओं के निर्यात और व्यापार से संबंधित है क्‍या ट्रुडो यह भी जानते हैं कि वे सबसे महत्‍वपूर्ण व्‍यापारिक सहयोगी हिंदुस्तान के साथ हमारे रिश्‍तों (India-Canada Relation) को कितना हानि पहुंचा रहे हैं’ सस्कैचवन प्रांत अपना 40 प्रतिशत निर्यात हिंदुस्तान को करता है और दोनों राष्ट्रों के बीच बढ़ते तनाव का असर यहां की इकोनॉमी पर पड़ रहा है

किसान आंदोलन का समर्थन करके भी हिंदुस्तान को कर चुके नाराज

 

जी20 सम्‍मेलन में कनाडा के पीएम को हिंदुस्तान और अन्‍य सदस्‍य राष्ट्रों से ठंडा ‘रिस्‍पांस’ मिला

भारत की नाराजगी इस बात को लेकर है कि ट्रुडो अपने मुल्‍क में उन खालिस्‍तान समर्थक अलगाववादियों का संरक्षण दे रहे हैं जो उसके विरोध में लगातार एक्टिव हैं इससे पहले किसानों के आंदोलन के समर्थन को लेकर भी हिंदुस्तान अपनी सख्‍त नाराजगी कनाडा के सामने जाहिर कर चुका है जी-20 सम्मेलन के इतर ट्रुडो के साथ अपनी मुलाकात के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कनाडा से चल रहे ‘खालिस्तानी आंदोलन’ का मामला भी उठाया था और इसे लेकर हिंदुस्तान की चिंताओं से अवगत कराया थाजानकारी के मुताबिक प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह भी बोला था कि दोनों राष्ट्रों के संबंधों में प्रगति के लिए एक-दूसरे के प्रति सम्‍मान का रेट और आपसी भरोसा रहना महत्वपूर्ण है

भेंट के ही दिन वेंकूवर में खालिस्‍तान के लिए हुआ जनमत संग्रह
पीएम मोदी और ट्रुडो के बीच भेंट जिस दिन (10 सितंबर) हुई, उसी दिन कनाडा के वेंकूवर में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह (Khalistan Referendum)किया गया प्रतिबंधित संगठन सिख्‍स फॉर जस्टिस (Sikhs for justice)ने इसमें करीब 75 हजार लोगों के शामिल होने का दावा किया था लेकिन इसमें बमुश्किल पांच-सात हजार लोग ही पहुंचे हिंदुस्तान का मानना है कि कनाडा गवर्नमेंट के चरमपंथियों को प्रश्रय देने के कारण ही वहां ऐसी हिंदुस्तान विरोधी गतिविधियां बढ़ी हैं

प्‍लेन में खराबी के कारण दो दिन हिंदुस्तान में ही रुके रहे
इस यात्रा के ‘शर्मिंदगी’ भरे अनुभव के बावजूद ट्रुडो को मंगलवार दोपहर तक हिंदुस्तान में ही रहने को विवश होना पड़ा उनके प्‍लेन में तकनीकी खराबी के कारण ऐसा हुआकनाडा के पीएम दरअसल जी-20 सम्‍मेलन में भाग लेने के बाद रविवार को ही अपने वतन लौटने वाले थे लेकिन रूटीन चैकअप में उनके प्‍लेन में तकनीकी खराबी पाई गई इस खराबी को मंगलवार को ही ठीक किया जा सका जिसके बाद ट्रुडो कनाडा की उड़ान भर सके तीन दिनों तक कनाडा के पीएम दिल्‍ली में अपने होटल में ही रुके रहे लेकिन हिंदुस्तान गवर्नमेंट के साथ उनकी कोई वार्ता नहीं हुई गवर्नमेंट से जुड़े सूत्रों ने ‘इंडिया टुडे’ को कहा था कि हिंदुस्तान की ओर से ट्रुडो और उनके प्रतिनिधिमंडल को वापस लौटने के लिए एयर इण्डिया वन प्‍लेन की पेशकश की गई थी लेकिन कनाडा ने इसे ठुकरा दिया समझा जाता है कि यात्रा के अपने ‘कटु अनुभव’ के कारण ही कनाडा की ओर से हिंदुस्तान की पेशकश को अस्वीकार कर दिया गया

पांच वर्ष पहले भी ट्रुडो को फजीहत झेलनी पड़ी थी
यह पहली बार नहीं है जब हिंदुस्तान दौरे पर ट्रुडो को फजीहत का सामना करना पड़ा है पांच वर्ष पहले हिंदुस्तान दौरे के दौरान जसपाल सिंह अटवाल को डिनर पर आमंत्रित करने को लेकर भी उन्‍हें हिंदुस्तान की नाराजगी झेलनी पड़ी थी खालिस्‍तान समर्थक अटवाल को 1986 में कनाडा में पंजाब के एक मंत्री की हत्‍या के कोशिश के लिए गुनेहगार ठहराया गया था अटवाल और उसके तीन सहयोगियों ने अकाली दल नेता और तत्‍कालीन पंजाब गवर्नमेंट में राज्‍य मंत्री मल्कियत सिंह सिद्धू पर तब धावा किया था जब वे रिश्‍तेदारों से मिलने कनाडा गए थे इस हमले में सिद्धू घायल हो गए थे

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