राज्यपाल की मंजूरी न मिलने के बावजूद 15 अप्रैल को मनाया जायेगा बंगाल दिवस के रूप में :सीएम ममता
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बोला है कि गवर्नर सीवी आनंद बोस की स्वीकृति न मिलने के बावजूद 15 अप्रैल को बंगाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा, क्योंकि राज्य विधानसभा ने परिवर्तन करने और पोइला बैसाख को बंगाल दिवस के रूप में मनाने के लिए बहुमत से प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर के ‘बांग्लार माटी, बांग्लार जोल’ को राज्य गीत बनाने के प्रस्ताव का भी समर्थन किया है। वहीं, राजभवन द्वारा विधानसभा के प्रस्तावों को स्वीकृति देने में देरी पर उन्होंने कहा, “देखेंगे कि गवर्नर के पास अधिक शक्ति है या लोगों के पास।”
हालांकि, बीजेपी ने उन पर निशाना साधते हुए बोला है कि उनके (ममता) पास इतिहास बदलने का इतिहास रहा है और वे 15 अप्रैल को बंगाल दिवस के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे। बीजेपी नेता अग्निमित्रा पॉल ने बोला कि, ‘ममता बनर्जी का इतिहास बदलने का इतिहास रहा है। लेकिन हम उनके इतिहास को स्वीकार नहीं करने वाले हैं। 20 जून को बंगाल दिवस है और हम इस पर कायम रहेंगे।” यह घटनाक्रम दो दिन बाद आया है जब ममता बनर्जी ने राजभवन के बाहर धरना देने की धमकी दी थी और इल्जाम लगाया था कि गवर्नर राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को रोक रहे हैं।
शिक्षक दिवस के अवसर पर एक सरकारी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री बनर्जी ने इल्जाम लगाया कि गवर्नर राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं, और चेतावनी दी कि यदि वे गवर्नर के निर्देशों पर काम करना जारी रखेंगे तो उनके फंड को अवरुद्ध कर दिया जाएगा। उन्होंने बोला कि, ‘राज्यपाल की हरकतें राज्य प्रशासन को पंगु बनाने का एक कोशिश है। वह विधानसभा द्वारा पारित एक भी विधेयक वापस नहीं कर रहे हैं। एक प्रावधान है कि यदि कोई विधेयक उनके पास भेजा जाता है, तो उन्हें इसे वापस करना होगा। यदि कोई विधेयक दो बार लौटाया जाता है, तो उन्हें वापस करना होगा। यह एक अधिनियम बन जाता है। वह एक भी बिल वापस नहीं कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, “अगर (राज्य सरकारों के) अधिकारों को छीनकर संघवाद में हस्तक्षेप किया गया, तो मैं राजभवन के बाहर धरने पर बैठने के लिए विवश हो जाऊंगी। हम अन्याय नहीं होने देंगे, बंगाल जानता है कि कैसे लड़ना है। प्रतीक्षा करें और देखें।”