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महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा का आगाज

Delimitation issue in Women Reservation: स्त्री आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा का आगाज हो चुका है कांग्रेस पार्टी की तरफ से सोनिया गांधी(sonia gandhi on delimitaion issue) ने बोला कि पिछले 13 वर्ष से स्त्रियों को प्रतीक्षा है, इसमें अब किसी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए उन्होंने बोला कि कांग्रेस पार्टी पार्टी पूरी तरह से इस बिल के समर्थन में है खास बात यह है कि राजीव गांधी जी का सपना पूरा होगा लेकिन गवर्नमेंट कुछ विषयों को लेकर साफ नहीं है, आखिर परिसीमन और जनगणना के नाम पर इसे टालने क्यों जा रहा है परिसीमन (Delimitation issue) और जनगणना (Census ) ऐसे दो बिंदु हैं जो टकराव और चर्चा के केंद्र में है यहां पर हम दोनों बिंदुओं को समझने की प्रयास करेंगे

परिसीमन

परिसीमन(Delimitation) को आप सामान्य ढंग से ऐसे समझ सकते हैं जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को पुनर्निधारण किया जाता है इसके पीछे मकसद है कि जनसंख्या को विधायिका में मुनासिब हिस्सा मिल सके चुनावी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक बने इसके लिए परिसीमन जरूरी है निर्वाचन क्षेत्रों को ठीक तरह से विभाजित किया जा सके, इसके अतिरिक्त परिसीमन के बाद समाज के वंचित हिस्से को मुनासिब अगुवाई मिल सके यदि अनुच्छेद 81 को देखें तो उसमें साफ जिक्र है कि लोकसभा में सांसदों की संख्या 550 से अधिक नहीं होगी हालांकि संविधान में इस बात का भी जिक्र है कि 10 लाख की जनसंख्या के लिए एक सांसद होना चाहिए

1952 में हुआ था परिसीमन आयोग का गठन

1952 में परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) का गठन हुआ था.1951 में पहले आम चुनाव में लोकसभा में सांसदों की संख्या 489 थी लेकिन 1971 में जनगणना को आधार बनाकर 1976 में परिसीमन हुआ और सदस्य संख्या बढ़कर 543 हो गई अब यदि परिसीमन होता है तो उससे पहले जनगणना का होना महत्वपूर्ण है 2021 में जनगणना होनी थी जिसे कोविड की वजह से टाल दिया गया जनगणना के बारे में अभी पुख्ता जानकारी नहीं है यहां बता दें कि 2026 में परिसीमन होना है इसका अर्थ यह हुआ कि यदि संसद के दोनों सदनों से यह बिल पारित होकर ऐक्ट की शक्ल में आया तो भी 2024 के आम चुनाव में 33 फीसद आरक्षण का लाभ स्त्रियों को नहीं मिल सकेगा

परिसीमन का मामला एक और वजह से पेचीदा बन चुका है दक्षिण हिंदुस्तान के राज्यों को लगता है कि यदि परिसीमन हुआ तो उन्हें हानि उठाना होगा दरअसल परिसीमन का आधार ही जनगणना है दक्षिण के राज्यों को लगता है कि बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास की वजहों से उत्तर हिंदुस्तान की तुलना में जनसंख्या में कमी आई है, परिसीमन होने का अर्थ यह होगा कि उत्तर हिंदुस्तान के राज्यों की तुलना में उनकी सदस्य संख्या में गिरावट आएगी और उसका असर संसद में अगुवाई पर पड़ेगा

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