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संसद सत्र के दौरान पीएम ने पुरानी इमारत को लेकर अपनी योजना का किया खुलासा

संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने इस पुरानी इमारत को लेकर अपनी योजना का भी खुलासा किया है उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से इस पर विचार करने और फैसला लेने का निवेदन किया कि क्या पुराने संसद भवन को नयी पीढ़ी को उपहार के रूप में ‘संवैधानिक सदन’ के रूप में जाना जाना चाहिए. उन्होंने बोला कि यह इमारत हमें प्रेरित करती रहेगी और संविधान को आकार देने वाले महापुरुषों की याद दिलाती रहेगी. आपको बता दें कि आज यानी 19 सितंबर को संसद नयी बिल्डिंग में शिफ्ट हो रही है आज से संसद की नयी बिल्डिंग से होगी कार्रवाई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज हम यहां से निकल रहे हैं और नए भवन में जा रहे हैं गणेश चतुर्थी पर हम नये भवन में बैठे हैं लेकिन मैं दोनों सदनों के वक्ताओं से प्रार्थना कर रहा हूं, मुझे आशा है कि आप दोनों इस विचार पर विचार करेंगे और फैसला लेंगे. मेरा सुझाव है कि जब हम नए सदन में जाएं तो इसकी गरिमा कभी कम नहीं होनी चाहिए. इसे पुरानी संसद न बना कर छोड़ दिया जाए, इसलिए निवेदन है कि सहमति मिलने पर भविष्य में इसे संविधान सभा के नाम से जाना जाए. यह उन लोगों के लिए एक श्रद्धांजलि होगी जो यहां बैठे हैं.’ यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उपहार होगा.

अपने भाषण में पीएम मोदी ने पुराने संसद भवन और सेंट्रल हॉल के इतिहास का भी जिक्र किया उन्होंने कहा, इसी सेंट्रल हॉल में राष्ट्रगान और तिरंगे को अपनाया गया 1952 से लेकर अब तक दुनिया के करीब 41 राष्ट्रों के प्रमुख हमारे सांसदों को संबोधित कर चुके हैं. हमारे राष्ट्रपति ने यहां 86 बार संबोधन किया है पिछले सात दशकों में, जिन भी साथियों ने ये जिम्मेदारियां संभाली हैं, वे कई कानूनों, कई संशोधनों और कई सुधारों का हिस्सा रहे हैं. अब तक लोकसभा और राज्यसभा मिलकर 4 हजार से अधिक कानून पारित कर चुकी हैं. कभी-कभी जरूरत पड़ने पर संयुक्त सत्र के माध्यम से कानून बनाये जाते थे.

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