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EAM S. Jaishankar ने Canada मुद्दे पर कई नई बातें बताईं, विश्व में बढ़ते संघर्ष के बीच बोले…

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय संघर्षों की वृद्धि को देखते हुए बोला है कि अब कोई भी खतरा किसी से अधिक दूर नहीं रह गया है साथ ही उन्होंने भारत-कनाडा संबंधों पर भी अपना पक्ष विस्तार से रखा है  उन्होंने बड़ा बयान देते हुए बोला है कि देखा जाये तो संघर्ष और आतंकवाद के दुष्प्रभाव को रोके जा सकने की कोई भी आशा करना अब संभव नहीं है जयशंकर ने पूरे विश्व में हो रही भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संबंध में एक कार्यक्रम में बोला कि पश्चिम एशिया में अभी जो हो रहा है, उसका असर अब भी पूरी तरह से साफ नहीं है साथ ही विदेश मंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध के असर का हवाला देते हुए बोला कि दुनिया में विभिन्न संघर्षों के परिणामों का असर नजदीकी भौगोलिक क्षेत्रों से कहीं अधिक दूर तक देखा जा रहा है उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न क्षेत्रों में छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती हैं जिनके असर की अनदेखी नहीं की जा सकती है’’

जयशंकर ने आतंकवाद की चुनौती और शासन कला के रूप में इसके इस्तेमाल पर भी बात की उनकी इन टिप्प्णियों को विभिन्न आतंकवादी समूहों को पाक के समर्थन के संदर्भ के तौर पर देखा जा रहा है उन्होंने कहा, ‘‘इसका एक कम औपचारिक संस्करण भी है, जो बहुत व्यापक है मैं आतंकवाद के बारे में बात कर रहा हूं जिसे लंबे समय से शासन कला के एक औजार के रूप में विकसित किया गया है’’ उन्होंने बोला कि कोई भी ऐसी आशा कि संघर्ष और आतंकवाद के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है, अब संभव नहीं है विदेश मंत्री ने बोला कि कोई भी खतरा अब बहुत दूर नहीं है भू-राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने बोला कि पिछले कुछ सालों में ऋण में वृद्धि देखी गई है, जो अक्सर अविवेकपूर्ण विकल्पों और अस्पष्ट परियोजनाओं के संयोजन के कारण होता है उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप आज देखें कि पश्चिम एशिया में इन दिनों क्या हो रहा है तो एक अर्थ में ये ऐसी गतिविधियां हैं जो इस क्षेत्र के लिए स्वाभाविक है’’ विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ बोला कि पश्चिम एशिया में अभी जो कुछ हो रहा है उसका असर क्या होगा, वह अब तक पूरी तरह से साफ नहीं है उन्होंने यह टिप्पणी हमास-इजरायल के बीच जारी संघर्ष को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता की पृष्ठभूमि में की

उन्होंने Covid-19 महामारी से हुई तबाही को रेखांकित करते हुए बोला कि कैसे संकट के दौरान वैश्वीकरण की असमानताएं साफ रूप से सामने आईं जयशंकर ने कहा, ‘‘कोविड-19 के टीकों की उपलब्धता को लेकर भेदभाव इसका साफ उदाहरण है, जब कुछ राष्ट्रों के पास उनकी जनसंख्या का आठ गुना टीके की खुराक थी जबकि अन्य राष्ट्र अपने नागरिकों के लिए पहली खुराक का प्रतीक्षा कर रहे थे’’ मंत्री ने रेखांकित किया, ‘‘अस्थिरता में दूसरा सहयोग वैश्वीकृत विश्व में संघर्ष देता है, जिसके रिज़ल्ट क्षेत्र से कहीं दूर तक पड़ते हैं हम यूक्रेन के मुद्दे में यह पहले ही देख चुके हैं’’

विदेश मंत्री ने विभिन्न आतंकवादी समूहों को पाक से मिल रहे समर्थन के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखी जाने वाली अपनी टिप्पणियों में आतंकवाद की चुनौती और इसे एक शासन कला के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है, इस पर भी चर्चा की उन्होंने कहा, ‘‘हिंसा के क्षेत्र में, इसका एक कम औपचारिक संस्करण भी है जो बहुत व्यापक है मैं यहां आतंकवाद की बात कर रहा हूं जिसे लंबे समय से एक शासन कला के रूप में विकसित और प्रचलित किया गया है’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘जब कट्टरपंथ और अतिवाद की बात आती है तो इसके रूप बदलने के खतरे को कम मत आंकिए अब कोई भी ख़तरा दूर नहीं है’’ भू-राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने बोला कि पिछले कुछ सालों में रिण में वृद्धि देखी गई है, जो अक्सर अविवेकपूर्ण विकल्पों और अस्पष्ट परियोजनाओं के संयोजन के कारण होता है जयशंकर ने बोला कि सबसे ताकतवर देश तुलनात्मक रूप से उतने ताकतवर नहीं रहे जितने अतीत में हुआ करते थे, और कई “मध्यम शक्तियां” भी उभरी हैं

इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बोला कि यदि हिंदुस्तान को कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति नजर आती है तो वह कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं “बहुत जल्द” फिर से प्रारम्भ करने पर विचार कर सकता है जयशंकर ने इस बात पर बल भी दिया कि हिंदुस्तान का कनाडा के साथ राजनयिकों की संख्या में समानता सुनिश्चित करने का फैसला वियना संधि के अनुरूप है उन्होंने बोला कि हिंदुस्तान द्वारा कुछ हफ्ते पहले वीजा सेवाओं को अस्थायी रूप से रोकने के पीछे मुख्य कारण कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा चिंता थी और भारतीय ऑफिसरों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में ओटावा की असमर्थता राजनयिक संबंधों पर वियना संधि के सबसे बुनियादी पहलू को चुनौती देती है जयशंकर ने बोला कि हिंदुस्तान ने राजनयिकों की संख्या के मुद्दे में बराबरी रखने पर इसलिए बल दिया कि इसे (भारत को) ‘‘हमारे मामलों में कनाडाई कर्मियों के हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं थीं’’ उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है, जब कनाडा ने कुछ दिन पहले हिंदुस्तान से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया था

उन्होंने एक परिचर्चा सत्र के दौरान भारत-कनाडा संबंधों को लेकर पूछे गए एक प्रश्न पर कहा, ‘‘हमने इस बारे में बहुत कुछ सार्वजनिक नहीं किया है मेरा मानना है कि समय बीतने के साथ और चीजें सामने आएंगी और लोग समझेंगे कि हमें उनमें से कई लोगों के साथ उस तरह की परेशानी क्यों थी’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘अभी संबंध मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं हालांकि मैं यह बोलना चाहता हूं कि हमारी दिक्कतें कनाडा की राजनीति के एक वर्ग और उससे जुड़ी नीतियों के साथ हैं’’

जयशंकर ने वीजा सेवाएं फिर से प्रारम्भ करने पर कहा, ‘‘यदि हमें कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति दिखती हैं, तो हम वहां वीजा जारी करना फिर से प्रारम्भ करना चाहेंगे मैं आशा करूंगा कि यह कुछ ऐसा है जो बहुत जल्द होना चाहिए’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ सप्ताह पहले, हमने कनाडा में वीजा जारी करना बंद कर दिया था, क्योंकि हमारे राजनयिकों के लिए काम पर जाकर वीजा जारी करना सुरक्षित नहीं था इसलिए उनकी सुरक्षा ही प्राथमिक कारण था, जिसके चलते हमें अस्थायी तौर पर वीजा जारी करना बंद करना पड़ा’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘मैं आशा करता हूं कि स्थिति इस संबंध में बेहतर होगी कि हमारे लोगों को राजनयिक के रूप में अपने मूल कर्तव्य का निर्वहन करने में अधिक आत्मविश्वास होगा, क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं, राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना वियना संधि का सबसे बुनियादी पहलू है’’ उन्होंने कहा, ‘‘अभी, कनाडा में इस तरह की कई चुनौतियां हैं कि हमारे लोग सुरक्षित नहीं हैं, हमारे राजनयिक सुरक्षित नहीं हैं’’ उन्होंने बोला कि यदि भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति होती है तो हिंदुस्तान वीजा सेवाएं प्रारम्भ करेगा जयशंकर ने बोला कि लोगों की सबसे ‘‘बड़ी चिंता’’ वीजा को लेकर है

राजनयिकों की संख्या में समानता पर उन्होंने कहा, ‘‘यह वियना संधि द्वारा प्रदान की गई है, जो इस पर प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय नियम है’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरा मामला समानता बनाये रखने का है कि…एक राष्ट्र में किसी दूसरे राष्ट्र के कितने राजनयिक हैं, और यह प्रबंध दोनों राष्ट्रों पर लागू होती है यह वियना संधि द्वारा प्रदान की गई है, जो इस पर प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय नियम है’’ मंत्री ने कहा, ‘‘हालांकि हमारे मुद्दे में, हमने संख्या बराबर रखने का आह्वान किया, क्योंकि हमें कनाडाई कर्मियों द्वारा हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप के बारे में चिंता थी’’

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