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ED ने इस मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस पर लगाएं ये गंभीर आरोप

West Bengal : प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में अपनी टीम और सीआरपीएफ के जवानों पर हुए मुद्दे में पश्चिम बंगाल पुलिस पर गंभीर इल्जाम लगाये है  प्रवर्तन निदेशालय ने बोला कि 5 जनवरी को जब टीम संदेशखाली में आरोपी शाहजहां शेख के ठिकाने पर छापेमारी करने गयी थी, जो टीम पर धावा किया गया था और इसकी कम्पलेन पुलिस को दी गयी इस हमले में तीन अधिकारी गंभीर रुप से घायल हुए थे जिसमें एक अधिकारी ICU में भर्ती है एजेंसी ने इस मुद्दे में आरोपियों के विरुद्ध IPC की धारा 307,333,326,353,392,395,397,149,148,186,189,426,435,440,341,342 r/w120B,109 और 115 में मुद्दा दर्ज करने की कम्पलेन दी थी जबकि नजात पुलिस पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 147,148,149,341,186,353,323,427,379,504 और 34 में दर्ज की गयी है जोकि जमानती धारायें है यानी मामूली धाराओं में मुद्दा दर्ज किया गया इसका मतलब साफ है कि आरोपियों को बचाने की प्रयास की जा रही है

इतना ही नहीं प्रवर्तन निदेशालय की टीम शहांजहां शेख के सहयोगी शंकर अध्या के ठिकाने बोनगांव में जब छापेमारी कर रही थी तो ठीक इसी तरह की घटना वहां पर भी हुई हालांकि इसमें किसी अधिकारी को गंभीर चोटे नहीं लगी सिर्फ़ गाडियों को हानि हुआ, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि इस घटना की जानकारी लोकल पुलिस और स्थानिय एसपी यानी जिला पुलिस अधिक्षक को दी गयी बावजूद इसके कोई सुरक्षा या सहायता नहीं दी गयी बल्कि आरोपियों को एजेंसी की टीम का घेराव करने का मौका दिया गया प्रवर्तन निदेशालय ने बोनगांव पुलिस पुलिस स्टेशन में सवेरे 8.46 पर ईमेल कर सूचना दी थी जिसमें छापेमारी के दौरान सुरक्षा देने की बात कही गयी और जब टीम वहां पहुंची तो आरोपियों ने घेर लिया और पथराव किया शाम चार बजे टीम ने बोनगांव के एसपी को टेलीफोन पर भी जानकारी दी लेकिन कोई सहायता नहीं मिली बल्कि भीड़ को घेराव करने दिया गया इन दोनों मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय ने पुलिस को कम्पलेन दी और मुद्दा दर्ज होने के बाद भी अभी तक FIR की कॉपी प्रवर्तन निदेशालय को नहीं दी गयी है

ED पश्चिम बंगाल में हुये राशन घोटाले(PDS-Public Distribution Scheme) की जांच के लिये पांच जनवरी को तृण मूल काँग्रेस नेता शहांजहां शेख के ठिकाने पर गयी थी ये मुद्दा एजेंसी ने पश्चिम बंगाल में दर्ज मामलों के आधार पर मनी लॉड्रिग का दर्ज किया था इल्जाम था कि कुछ लोगों के पास सरकारी राशन है और पैड्डी की फर्जी खरीद दिखा गवर्नमेंट को हानि पहुंचाया जा रहा है एजेंसी ने जब अपनी जांच प्रारम्भ की तो पता चला कि तीन ढंग से इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है जो करीब 9 से 10 हज़ार करोड़ का है

पहला तरीका जिसमें चावल मिल मालिक आटे को PDS के डीलर और डिस्ट्रीब्यूटरों की सहायता से गायब कर दे रहे थे जिससे गवर्नमेंट और सस्ता राशन लेने वालों को हानि हो रहा था जांच के अनुसार करीब 25.55 प्रतिशत सरकारी/सस्ता आटा बीच में से ही गायब कर दिया जाता यानी डीलरों की सहायता से गायब कर दिया जाता था

दूसरा तरीकी जिसमें ये सरकारी आटे यानी सस्ते आटे को इन डीलरों की मिलीभगत से वापस खरीद लिया जाता था और फिर PDS के लिये भेजे जाने वाले आटे में मिला बेचा जाता था यानी क्वालिटी को कम कर दिया जाता था जिससे खराब क्वालिटी मिलती और सरकारी खजाने को तो हानि हो ही रहा था

तीसरा तरीका जिसमें ये चावल मिल मालिक अपने कर्मचारियों को फर्जी किसान बना इनके नाम से धान की खरीद दिखाते और मिलने वाली MSP-Minimum Sale Price को अपने कर्मचारियों के खाते में ही लेते थे

जांच में पता चला कि राशन भ्रष्टाचार करीब 9 से 10 हजार करोड़ का है जिसे ये लोग मिल कर चला रहे थे इस घोटाले में मास्टरमाइंड ज्योतिप्रिया मलिक है जो पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट में मंत्री था और इस समय गिरफ्तारी के बाद कारावास में बंद है ज्योतिप्रिया मलिक पहले खाध एवं वितरण मंत्री था जब ये भ्रष्टाचार प्रारम्भ हुआ था एजेंसी के अनुसार राशन घोटाले से कमाये पैसों में से करीब दो हजार करोड़ को राष्ट्र से बाहर दुबई भेजे जाने का संदेह है ये दो हजार करोड़ रुपये या तो बांगलादेश के रास्ते भेजे गये या फिर सीधे हिंदुस्तान से, इसकी जांच की जा रही है

एजेंसी ने अपनी जांच में करीब 101 संपतियों का पता लगाया था और बैंकों में जमा 2.89 करोड़ को 11 दिसंबर 2023 को अटैच कर लिया था इससे पहले भी एजेंसी ने इस मुद्दे में ज्योतिप्रिया मलिक के बैंकों में जमा 16.87 करोड़ को अटैच किया था इस मुद्दे में एजेंसी ने मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक और बकिबुर रहमान को अरैस्ट किया था और जो कारावास में बंद है बकिबुर रहमान NPG Rice Mill का मालिक है इसी मुद्दे में जब आगे जांच की गयी तो पता चला कि राशन घोटाले से की गयी कमायी में जो पैसा दुबई भेजा गया है उसमें FFMC यानी Full Fledged Money Changers की सहायता ली गयी है इसी के बाद एजेंसी ने पांच जनवरी को शंकर आध्या के ठिकानों पर छापेमारी की शंकर आध्या काफी सारी FFMC को चलाता है और संभालता भी है इसी लिये एजेंसी ने आरोपी शंकर को पांच जनवरी को बोनगांव में छापेमारी के बाद अरैस्ट किया और न्यायालय में पेश कर के 14 दिनों के लिये पूछताछ के लिये हिरासत में लिया बकिबुर  है

इस मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय अभी तक अरैस्ट मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक, बकिबुर रहमान और दूसरे आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर चुकी है जिस पर न्यायालय ने भी 12 दिसंबर को संज्ञान ले लिया है इसके अतिरिक्त एजेंसी ने पश्चिम बंगाल में हालात देखते हुये गृह मंत्रालय को सुरक्षा के लिये लिखा है ताकी इस मुद्दे में आगे की जांच को बढ़ाया जा सके

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