शिक्षा मंत्री : छात्रों को साल में दो बार 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देना नहीं होगा अनिवार्य
नई शिक्षा नीति के अनुसार हाल ही में दो बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की घोषणा की गई थी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अगस्त में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) के अनुरूप स्कूली शिक्षा के लिए एक नया पाठ्यक्रम ढांचा लॉन्च किया। अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बड़ा बयान देते हुए बोला कि अब विद्यार्थियों को वर्ष में दो बार 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देना जरूरी नहीं होगा।
बोर्ड परीक्षा दो बार देना जरूरी नहीं है
शिक्षा मंत्री ने बोला कि विद्यार्थियों के पास जेईई की तरह वर्ष में दो बार इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (मानक 10 और 12 बोर्ड) में बैठने का विकल्प होगा। वे सर्वोत्तम स्कोर का चयन कर सकते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से वैकल्पिक होगा, जरूरी नहीं। क्योंकि विद्यार्थी अक्सर यह सोचकर तनावग्रस्त हो जाते हैं कि उन्होंने एक वर्ष बर्बाद कर दिया और एक अवसर खो दिया जिसे वे बेहतर कर सकते थे। इसीलिए एक मौके के डर से होने वाले तनाव को कम करने के लिए वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा का विकल्प दिया जा रहा है।
उन्होंने बोला कि यदि किसी विद्यार्थी को लगता है कि वह पूरी तरह से तैयार है और परीक्षा के पहले सेट के स्कोर से संतुष्ट है, तो वह अगली परीक्षा में शामिल न होने का विकल्प चुन सकता है। कुछ भी जरूरी नहीं होगा।
दो बार बोर्ड परीक्षा से विद्यार्थी खुश: शिक्षा मंत्री
अगस्त में शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित नए पाठ्यक्रम ढांचे (एनसीएफ) के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में दो बार आयोजित की जाएंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यार्थियों के पास अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर हो और उनके पास अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाए रखने का विकल्प हो। प्रधान ने बोला कि वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की योजना पर हमें विद्यार्थियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। एनसीएफ की घोषणा के बाद मैं विद्यार्थियों से मिला। छात्र इसकी सराहना करते हैं और इस विचार से खुश हैं। हम 2024 से साल में दो बार परीक्षा आयोजित करने का कोशिश कर रहे हैं।
यह परिवर्तन नये पाठ्यक्रम ढांचे में होगा
– बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में दो बार आयोजित की जाएंगी और विद्यार्थियों को सर्वश्रेष्ठ अंक लाने की अनुमति दी जाएगी।
-कक्षा 11, 12 में विषयों का चयन सिर्फ़ स्ट्रीम तक सीमित नहीं रहेगा, विद्यार्थियों को चयन में लचीलापन मिलेगा।
– 2024 के शैक्षणिक सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें विकसित की जाएंगी।
– पाठ्यपुस्तक की लागत पर भी विचार किया जाएगा
– विद्यालय बोर्ड मुनासिब समय पर ‘ऑन डिमांड’ परीक्षा आयोजित करने की क्षमता विकसित करेंगे।