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हिंदी के लेखक, कहानीकार, उपन्यासकार और आलोचक राजेंद्र यादव की आज मनाई जा रही जयंती

हिंदी के सुपरिचित लेखक, कहानीकार, उपन्यासकार और आलोचक राजेंद्र यादव की आज जयंती है हिंदी साहित्य में नयी कहानी के नाम से एक नईयी विधा का सूत्रपात करने वाले राजेंद्र यादव का जन्म 28 अगस्त, 1929  को आगरा में हुआ था कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द द्वारा 1930 में स्थापित साहित्यिक मीडिया ‘हंस’ पुनर्प्रकाशन करने वाले राजेंद्र यादव अपने बोल्ड साहित्य और बेबाक बोल के लिए जाने जाते थे

राजेंद्र यादव ने कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता और समीक्षाएं लिखीं विदेशी साहित्य का अनुवाद किया इन सबसे इतर उन्होंने ‘हंस’ के माध्यम से नए-नए रचनाकारों को अपनी पहचान कायम करने का जगह दिया

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अवधेश श्रीवास्तव ने कई मामलों को लेकर राजेंद्र यादव के इंटरव्यू लिए अवधेश श्रीवास्तव की एक पुस्तक है “शब्द, विचार और समाज” इस पुस्तक में उनके द्वारा लिए कई साहित्यकारों के साक्षात्कारों का संकलन है इस पुस्तक का पहला इंटरव्यू राजेंद्र यादव के साथ है इसमें अवधेश श्रीवास्तव ने राजेंद्र यादव के साथ ‘प्रेम’ को लेकर विस्तार से चर्चा की है राजेंद्र यादव ने भी प्रेम पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए यहां तक कि उन्होंने अपने पहले प्यार के बारे में भी बताया राजेंद्र यादव मानते थे कि प्रेम का ही दूसरा नाम संभोग है

प्रस्तुत है ‘प्रेम’ विषय पर राजेंद्र यादव का इंटरव्यू-

आपकी दृष्टि में ‘प्रेम’ किसे कहते हैं, प्रेम में दो शरीरों के आकर्षण और अनिवार्यता से आप कितने सहमत हैं, स्त्री-पुरुष के इतर प्रेम पर आपकी राय क्या है?

प्रेम एक प्राकृतिक आकर्षण है इसमें दो शरीरों के बीच सम्बन्धों के होने की बात का पक्षधर हूं पुरुष और महिला के बीच होने वाले प्रेम को लेकर समाज, परम्पराएं और उनका आदर्श पक्ष अनेक बाधाएं खड़ी कर देता है जबकि प्रेम के रास्ते में जाति, धर्म और राष्ट्रीयता जैसा कोई बन्धन है ही नहीं जब स्त्री-पुरुष के बीच होने वाले प्रेम को लेकर इतनी मुसीबतें हैं, तब इससे इतर समलिंगी सम्बन्धों को लेकर स्वीकृति मिलना कहां सम्भव है

प्रकृति तो चाहती है कि प्रेम किया जाए पर समाज ने जो अपने तौर-तरीके बनाए हैं उसमें केवल शादी करने की छूट है, प्रेम करने की नहीं मेरी राय में कोई आध्यात्मिक और वायवीय प्रेम होता ही नहीं है जब दो प्रेमियों का शारीरिक मिलन नहीं हो पाता है तो विक्षिप्त होकर उसे आत्मा-परमात्मा के मिलन से जोड़ कर देख लिया जाता है दरअसल यह पुरानी और नयी संस्कृति का एक द्वंद्व है आज भी समाज में ऐसे लोग हैं जो कबीलाई और सामंती संस्कृति में जी रहे हैं हीर-रांझा से लेकर अनारकली की कहानी भले ही फिक्शन हो, पर इससे प्रेम को लेकर समाज का एक ‘चेहरा’ तो सामने आता है

राजेंद्र यादव के साथ पत्रकार अवधेश श्रीवास्तव

इसके बावजूद समाज बदलने की प्रक्रिया जारी है दिल्ली में ही देख लीजिए कितने ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चों ने प्रेम शादी किए हैं धर्म और जाति बन्धन तोड़े हैं जो समाज 50 साल पहले था वह आज नहीं है, जो आज है वह कल नहीं रहेगा

स्त्री-विमर्श आम जीवन में प्रैक्टिकल नहीं है, इसके नाम पर महिलाओं में संयम का स्तर कम हो रहा है- नासिरा शर्मा

‘हंस’ के कार्यालय में ही श्री धर्म नाम का एक ब्राह्मण पुरुष काम करता था उसे लेखिका रमणिका गुप्ता के घर पर काम करने वाली दलित लड़की प्रोमिला से प्यार हो गया दोनों ने शादी करना चाहा और मुझे बुलाया इस शादी में उच्च ब्राह्मण वर्ग के उसके माता-पिता भी शामिल हुए आज उनके शादी को कई वर्ष बीत गए हैं ये दोनों खुशहाल वैवाहिक जीवन जी रहे हैं प्रेम का यह एक आदर्श उदाहरण है

भारतीय ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य में भी प्रेम की महिमा का विशाल वर्णन किया गया है आपको भारतीय और विदेशी साहित्य में कौन-सी प्रेम कहानी श्रेष्ठ लगी?

प्रेम को लेकर लिखे गए देशी और विदेशी साहित्य को खूब पढ़ा है जहां तक चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने बोला था’ का प्रश्न है वह मुझे केवल एक भावनात्मक प्रेम की कहानी लगती है

प्रेम को लेकर दुखान्त गाथाएं अधिक लिखी गई हैं कभी मैं भी ‘देवदास’ और ‘शेखर एक जीवनी’ के प्रेम को ही प्रेम मानता था अज्ञेय ने प्रेम के वैज्ञानिक स्वरूप को ‘नदी के द्वीप’ में अभिव्यक्त किया है मुझे सत्येंद्र कुमार की ‘शेरनी’ और अशोक गुप्ता की ‘ठहाका’ कहानी अच्छी प्रेम कहानी लगी केए अब्बास और यशपाल ने भी प्रेम को लेकर अच्छी रचनाएं दी हैं विदेशी साहित्य में टॉलस्टॉय की ‘अन्ना केरनिना’ फ्लेयर का उपन्यास ‘मदान बावरी’, आद्रेजीद की ‘स्ट्रेट इज दि गेट’ (संकट द्वार) और टॉमस मान की ‘मैजिक माउन्टेन’ प्रेम को लेकर अच्छी कृति लगीं

प्रेम के जिस रूप को आपने अभिव्यक्त किया है, क्या उसको आपने जीवन में जिया भी है?

जहां तक मेरे अनुभवों का प्रश्न है तो मुझे लड़कियों को प्यार करना अच्छा लगता है करीना कपूर मुझे अच्छी लगती है प्रायः ब्यूटी को इनोसेंस से जोड़ लिया जाता माना जाता है कि जो करीना सुन्दर है वो देवीय रूप होने के साथ सद्गुण सम्पन्न होगी यह बात मुझे पता है कि करीना एक हीरोइन है, लटके-झटके दिखाना उसका प्रोफेशन भी है पर मेरे भीतर आदर्श प्यार का जो सौन्दर्य है, वह ध्वस्त होता है

पुराने जमाने के फिल्म निर्माता-निर्देशक किशोर साहू की फिल्मों में एक अदाकारा आती थी उसका नाम रमोला था बात कोई सन् 1948 की होगी मुझे उससे प्यार हो गया था अखबारों में उसकी छपी फोटो की कटिंग करके अपने पास रखता था मेरा कोलकाता जाना हुआ मुझे पता चला कि रमोला फिल्मी दुनिया से विदा होने के बाद यहीं इकबालपुर में रह रही हैं मैं उसे ढूंढते हुए उसके घर गया सिलेटी रंग के साधारण से मकान की चौथी मंजिल पर उसका दरवाजा खटखटाया तो एक काला कलूटा पहलवान छाप आदमी निकला मैंने बोला कि मैं एक पत्रकार हूं, रमोला से मिलना चाहता हूं पर उसने झट से दरवाजा बंद करना चाहा इसी बीच मैंने देखा कि मोटी भद्दी-सी ब्लाऊज और पेटीकोट में रमोला खड़ी थी उसे देखकर मुझे धक्का लगा

हम अपनी प्रेमिका को जिस उम्र और रंग रूप में देखते हैं ताउम्र उस स्थिति में देखना चाहते हैं परिवर्तन बर्दाश्त नहीं होता है प्रेम के बारे में जानने के लिए लोग शायद मेरे पास इसलिए आते हैं क्योंकि इस पर मैं बेबाक ढंग से बात करता हूं, औरों के लिए यह वर्जित विषय है लोग खुलकर कह नहीं पाते हैं कि प्रेम ही संभोग का दूसरा रूप है प्रेम का आदर्श रूप मुझे मिला नहीं

सेक्स की चेतना का उद्भव पन्द्रह सोलह साल की उम्र में होता है और वह बेचैन करता है उस बेचैनी में चुनाव नहीं होता है जो पहली लड़की दिखी बस उसी से प्यार हो गया प्यार की वास्तविक जंग तो प्रेम शादी के बाद होती है तब लड़की सोचती है कि लड़का बेवकूफ है मेरे चक्कर में आ गया है लड़का भी ऐसा ही सोचता है प्यार मोनोपॉली मांगता है संदेह और शंकाएं खड़ी होती हैं

जिस लड़की से मेरा पहला प्यार हुआ था वह करीब 15 वर्ष की थी और मैं 20 वर्ष का मैंने अपना जेबखर्च चलाने के लिए उसकी ट्यूशन की थी वह दोनों हाथों से खूबसूरत ढंग से लिखती थी उस जैसी शार्प मैमोरी की लड़की मुझे नहीं मिली मैंने जब शादी किया तो उससे बोला कि अब तुम भी किसी से विवाह कर लो तो उसने बोला कि अब तुमने शादी कर लिया है अब मेरी जीवन पर तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है उसकी वजह से ही मेरा घर टूटा वह मुझे ऊर्जा देती है

प्रेम आदमी का सबसे बड़ा गुण है, जिसके पास दिल है वह संवेदनशील होगा ही और हर संवेदनशील आदमी प्रेम करता है

 

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