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G 20 में सभी सदस्य देशों ने भारत के विचारों को ना सिर्फ सराहा बल्कि…

G 20 Summit 2023 potcome:  हिंदुस्तान में आयोजित जी 20 सम्मेलन(g 20 meeting) को दशकों तक याद रखा जाएगा यदि नयी दिल्ली घोषणापत्र(news delhi g 20 declaration) देखें तो सभी सदस्य राष्ट्रों ने हिंदुस्तान के विचारों को ना केवल सराहा बल्कि  स्थान भी दी शायद ही ऐसा कोई नेता रहा हो जिसने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों यूं कहें कि हिंदुस्तान के नजरिए से अलग रहा हो राष्ट्र और चेहरे भले ही भिन्न भिन्न नजर आए लेकिन हिंदुस्तान की जमीन पर भिन्न भिन्न विचार मिलकर एक साझा आवाज बन गए.100 से अधिक मुद्दो पर आम सहमति बनी वो भी उस समय जब अमेरिका-चीन(america china stadoff) के बीच तनाव चरम पर है वहीं रूस- यूक्रेन एक दूसरे से उलझे हुए हैं

 

भारत के मध्यम मार्ग से बन गई सहमति

अगर आप जी 20 समिट पर नजर डालें तो खास बात यह थी कि घोषणापत्र समिट के पहले दिन ही सबके सामने था आमतौर पर साझा बयान या घोषणापत्र समिट के अंतिम दिन जारी किये जाते हैंअब प्रश्न यह है कि आखिर यह सब कैसे संभव हुआ जानकार बताते हैं कि समिट से पहले वाली रात हिंदुस्तान ने जिस तरह से सदस्य राष्ट्रों के साथ आपसी वार्ता में कूटनीति का सफल प्रयोग किया उसे आप घोषणापत्र में देख सकते हैं सदस्य राष्ट्रों में चीन, यूक्रेन-रूस के मामले पर असहमति के कई बिंदु थे, खासतौर से यूक्रेन के मामले पर चीन (china stance in g 20 meeting) के रुख में बड़ा परिवर्तन आया जब वो वार्ता के लिए तैयार हुआ उससे पहले वो रूस के रुख को अधिक महत्व दे रहा था अब जब चीन का नजरिया बदला तो रूस के लिए अकेले प्रतिवाद करना संभव नहीं रहा रूस को संकेत दिया कि एकतरफा कोई बात नहीं की जाएगी, यदि सदस्य राष्ट्र लचीला रुख अपनाएंगे तो उसका रुख भी लचीला बना रहेगा

पश्चिमी राष्ट्र इस तरह मान गए

चीन और रूस के बाद अमेरिकी राष्ट्रों को समझाने की प्रयास की गई इन राष्ट्रों से हिंदुस्तान ने अपील करते हुए बोला कि यूक्रेन के साथ टकराव वाले विषय पर रूस के विरुद्ध एकतरफा नजरिया रखना ठीक नहीं होगा हिंदुस्तान की तरफ से कई मसौदों को पश्चिमी राष्ट्रों के सामने रखा गया उन मसौदों को देखने के बाद पश्चिमी राष्ट्रों के नजरिए में परिवर्तन आया उन्होंने अपनी जिद छोड़ दी इन सबके बीच विदेश मंत्री डॉ एस जयशकंर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और रूस का रुख बदला, इसके अतिरिक्त प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुलाकात के बाद अमेरिका के रुख में भी नरमी आई जिसका असर घोषणापत्र में नजर आता है जब यूक्रेन युद्ध का जिक्र तो किया गया लेकिन रूस का नाम नहीं लिया गया

सऊदी अरब की चिंता पर विशेष ध्यान

इन सबके बीच सऊदी अरब(saudi arab view in g 20 meeting) की अपनी चिंता थीफॉसिल फ्यूल के मामले पर अमेरिकी और यूरोपीय राष्ट्रों के रुख से सऊदी अरब को पहले से आपत्ति है सऊदी अरब का मानना है कि यदि कोई निर्णय जल्दबाजी में लिया गया तो उसका असर उसके हितों पर पड़ेगायहीं नहीं हिंदुस्तान जैसे दूसरे विकासशील राष्ट्रों को भी अमेरिका और पश्चिमी राष्ट्रों के नजरिए से आपत्ति रहा हैलिहाजा इस विषय पर किसी निश्चत राय का बनना महत्वपूर्ण है हिंदुस्तान ने बोला कि ऊर्जा संकट और ऊर्जा दोनों विषय दुनिया के सभी देशों के लिए जरूरी हैं, टकराव के मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय भलाई के नजरिए से देखने और समझने की आवश्यकता है

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