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महाराष्ट्र में भतीजे ने चाचा को सिसासी पिच पर इस बार किया आउट

Maharashtra Panchayat Elections 2023: महाराष्ट्र में रविवार को हुए ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि राज्य में सियासी लड़ाई काफी दिलचस्प होने वाली हैं करीब 2359 ग्राम पंचायतों के लिए हुए मतदान में से 1600 से अधिक पर नतीजे का घोषणा हो चुका है चुनाव रिज़ल्ट शरद पवार के लिए कुछ अच्छा संकेत नहीं दे रहे हैं

बीजेपी ने दावा किया है कि उसने 650 सीटों पर कब्जा जमाया है इसके बाद उसके सहयोगी शिंदे गुट और फिर एनसीपी के बागी अजित पवार के गुट का नंबर कहा जा रहा है

हालांकि यह चुनाव सबसे अधिक चाचा-भतीजे यानी शरद पवार और अजित पवार की भिड़न्त के तौर पर देखा जा रहा था लेकिन ऐसा लगता है कि भतीजे ने चाचा को सिसासी पिच पर इस बार आउट कर दिया है

पवार के गढ़ में लगाई सेंध
अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी (राकांपा) के धड़े ने सोमवार को दावा किया कि उसके समर्थन वाले पैनल ने महाराष्ट्र के बारामती में 32 ग्राम परिषदों में से 30 पर जीत दर्ज की है दो ग्राम पंचायतें भाजपा समर्थित पैनल ने जीतीं, जो उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा की सहयोगी पार्टी है

पुणे जिले में बारामती को शरद पवार का गढ़ माना जाता है शरद पवार ने बारामती लोकसभा सीट पर 1994-2009 तक अपना वर्चस्व कायम रखा 2009 से उनकी बेटी सुप्रिया सुले इस सीट पर जीतती आ रही हैं अजित पवार बारामती विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आते हैं

क्या मुख्यमंत्री पद तक पहुंचेंगे अजित
अजित पवार की छवि अब तक अपने चाचा शरद पवार की छत्रछाया में राजनीति करने वाले शख्स की रही है उन्होंने जब एनसीपी में बगावत की और अलग राह चुनी तो ज्यादातर विश्लेषकों का यही मानना था कि शरद पवार के बिना वह राजनीति कुछ खास नहीं कर पाएंगे  लेकिन यह चुनाव नतीते बताते हैं कि उनको लेकर जनता में समर्थन बढ़ रहा है

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह भी उद्धव ठाकरे के विरुद्ध बगावत का झंडा बुलंद करने वाले एकनाथ शिंदे की तरह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद तक पहुंच पाएंगे लेकिन इतना तय है कि 2024 के चुनाव में वह शरद पवार को मजबूत भिड़न्त देने की स्थिति में आ चुके हैं

पंचायत चुनाव के नतीजे इस लिहाज से भी अहम माने जाते हैं कि यह ग्रामीण वोटरों के रुझान को दर्शातें हैं हालांकि जब तक उम्मीदवारों का आखिरी आंकड़ा साफ नहीं आ जाता तब तक पूरी तस्वीर नहीं साफ हो सकती है लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा ने एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ बनानी प्रारम्भ कर दी है ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजे मराठा आरक्षण आंदोलन के साय में आए हैं ऐसे में इनकी राजनीतिक अहमित और बढ़ जाती है

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