कोरोना के नए वेरिएंट का बढ़ा खतरा, कई जिलों में जांच हुई शुरू
कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 के संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य महकमा सर्तक हो गया है। यह ओमिक्रान का ही सब वैरिएंट है। इसमें संक्रमण की रेट अधिक है। हालांकि इसकी मारक क्षमता कम बताई जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने श्वसन तंत्र में संक्रमण (एसएआरआई) और इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) के रोगी की कोविड जांच अहमियत पर करने के निर्देश जारी किए हैं। अलीगढ़ में अलर्ट जारी कर दिया गया है। वहीं गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इसको लेकर तैयारियां प्रारम्भ हो गई हैं। अभी पॉजिटिव नमूनों को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में भेजने का निर्देश मिला है। यदि संक्रमण बढ़ा और बड़ी संख्या में लोग पॉजिटिव आने लगे तो एनआईवी की गोरखपुर लैब में ही जीनोम सीक्वेंसिंग होगी।
केरल और उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के नए वैरियंट के रोगी पाए जाने के बाद अलीगढ़ में भी अलर्ट जारी कर दिया गया। रेलवे स्टेशन पर सतर्कता बढ़ा दी गई है। गुरुवार को को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डेरा डाल लिया। गैर प्रदेश और अन्य जिलों से आने वाले यात्रियों की जांच प्रारम्भ कर दी गई। रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर अचानक स्वास्थ्य विभाग की टीम को अर्लट देखते और पर जांच के चलते यात्री भी संशय में रहे।
डॉक्टरों के अनुसार कोविड-19 के नए वायरस में देखने को मिला है कि रोग के दौरान बुखार, खांसी और जुकाम जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इसको देखते हुए मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पताल, सीएचसी समेत अन्य चिकित्सालयों में अलर्ट जारी करते हुए कोविड-19 वार्ड को रिएक्टिव किया गया है। यही नहीं सभी आक्सीजन प्लांट को संचालित करने का भी आदेश जारी कर दिया गया है।
वहीं गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ अमरेश सिंह का बोलना है कि बाल रोग, मेडिसिन और टीबी-चेस्ट विभाग में इस प्रकार के सर्वाधिक रोगी उपचार के लिए पहुंचते हैं। कोविड-19 का नया वैरिएंट श्वसन तंत्र को प्रभावित कर रहा है। सांस की नली और फेफड़ों में इंफेक्शन हो रहा है। रोगियों में सर्दी, जुकाम के लक्षण मिल रहे हैं। रोगी की नाक बह रही है। इसको देखते हुए एडवाइजरी जारी हुई है।
तैयार होगी रोगियों की लिस्ट
डॉ अमरेश ने कहा कि कोविड-19 के पिछली लहरों में भी इन्फ्लूएंजा और श्वसन तंत्र की रोग से जुड़े रोगी की अहमियत पर जांच हो रही थी। इस बार भी उन्हें अहमियत पर रखा गया है। इन रोगियों का डाटा भी तैयार करने का निर्देश है। उनके नमूने जल्द ही लैब में आने प्रारम्भ हो जाएंगे। लैब में आरटीपीसीआर से वायरस के पॉजिटिविटी की जांच की जाएगी।
आरएमआरसी करेगा कोविड-19 की निगरानी
कोरोना को लेकर आरएमआरसी ने भी नज़र बढ़ाने का निर्णय किया है। आरएमआरसी में आरटीपीसीआर जांच की सुविधा है। सचल मोबाइल लैब और जीनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा भी है। आरएमआरसी के मीडिया प्रभारी डाक्टर अशोक पांडेय ने कहा कि अभी पॉजिटिव नमूनों को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में भेजने का निर्देश मिला है। यदि संक्रमण बढ़ा और बड़ी संख्या में लोग पॉजिटिव आएंगे तो यहीं पर जीनोम सीक्वेंसिंग होगी।
खत्म होने वाली है किट
विभागाध्यक्ष ने कहा कि बीआरडी में एक साल से बड़े पैमाने पर कोविड जांच नहीं हुई है। सप्ताह में इक्का-दुक्का रोगी के नमूने जांच के लिए मिल रहे। पिछले सवा वर्ष से कोविड जांच के लिए रसायन और किट की खरीद नहीं हुई। इस वजह से किट समाप्त होने को हैं। विभाग में करीब ढाई से तीन हजार नमूनों की जांच प्रतिदिन करने की क्षमता है।
सर्दी में भी डेंगू हमलावर, जानकार चिंतित
गोरखपुर के भगत चौराहा स्थित सुनीता देवी को पेट में मरोड़ और दस्त हो रहा था। उन्हें तेज बुखार और बदन में दर्द भी था। उन्हें परिवारीजन जिला हॉस्पिटल ले गए, जहां जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। इसी तरह तिवारीपुर के सिराजुद्दीन को किडनी की रोग है। सप्ताह भर पहले परिजन उन्हें उपचार के लिए पीजीआई ले गए, जहां जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। दिसंबर की सर्दी में डेंगू के ये दो मुद्दे केवल उदाहरण भर हैं। जिले में डेंगू के मुद्दे ऑफ सीजन में भी आ रहे हैं। इस समय दिन -रात का तापमान सामान्य से कम है।
रात का न्यूनतम तापमान तो सात से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच रह रहा है, जो डेंगू के अनुकूल नहीं माना जाता है। जानकारों की मानें तो मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श तापमान 20 से 40 डिग्री सेल्सियस है। इससे अधिक या कम तापमान होने पर लार्वा का विकास प्रभावित होने लगता है। इसके अतिरिक्त तापमान गिरने पर लोग फुल कपड़े पहने लगते हैं। जिससे मच्छरों का प्रकोप कम हो जाता है। इस बार ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। मच्छर सर्दी में भी प्रहार कर रहे हैं।