चीन की कुटिल चालों को भारत ने पूरी तरह से किया नाकाम
जी20 (G20 Summit) को लेकर कई आलोचकों की अनेक आशंकाएं और अविश्वास न केवल गलत साबित हो गए हैं, बल्कि ऐसा कहने वालों को करारा उत्तर भी मिला है। पीएम मोदी (PM Modi) के कुशल नेतृत्व ने वो कर दिखाया जो आरंभ में असंभव सा लग रहा था, लेकिन ये नरेंद्र मोदी का करिश्मा था कि असंभव को संभव कर ये साबित कर दिया की हिंदुस्तान में ग्लोबल लीडर की ताकत है।
बैठक के पहले से ही आलोचकों ने घोषणा कर दिया था कि जी20 केवल हव्वा साबित होगा, लेकिन हिंदुस्तान मण्डपम से इन अनेक निराशावादियों की प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने हवा निकाल दी। सभी राष्ट्रों ने जी20 घोषणापत्र के जरिये अनेक भूराजनैतिक और मानव विकास के मुद्दों पर 100 प्रतिशत आम सहमति दी, तो हिंदुस्तान ने न केवल इतिहास रच डाला, बल्कि दुनिया के लिए संयुक्त सुनहरा भविष्य भी बुन दिया। इस उपलब्धि के लिए पीएम मोदी की दूरदृष्टि नीति का नतीजा था।
मोदी है तो संभव है
चीन की कुटिल चालों को हिंदुस्तान ने पूरी तरह से असफल कर दिया। यह अपने आप में चौंकाने वाला है कि डिक्लेरेशन के अनेक 83 पैराग्राफ बिना किसी असहमति, फुटनोट, समरी के ज्यों के त्यों स्वीकार कर लिए गए। यूक्रेन युद्ध पर UN चैप्टर के अनुसार एक दूसरे की संप्रभुता, सीमाओं और सियासी स्वतंत्रता के सम्मान और परमाणु हथियारों को अस्वीकार्य बताकर रूस और चीन को कठोर संदेश दिया गया, तो भारतीय डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को अडॉप्ट कर फाइनेंशियल इंक्लूजन की राह पर भी चलने का वादा किया गया। इसके साथ-साथ क्रिप्टोकरेंसी जैसे अंतरराष्ट्रीय मामले पर व्यापक फ्रेमवर्क बनाने के लिए भी आम राय बन गई।
दुनिया की बदलती तस्वीर में हिंदुस्तान ने वो कर दिखाया जो असंभव दिख रहा था। यह सरल नहीं था, लेकिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो ठाना उसे पूरा किया और जी 20 के इतिहास में वे निर्णय ले लिए गए जो असंभव सा दिख रहा था। ये बताता है कि मोदी है तो संभव है।
असंभव को पीएम मोदी ने किया संभव
रूस युक्रेन युद्ध के बीच पूरी दुनिया दो धड़ो में बंटती दिख रही है। ऐसे में युद्ध के इस काल में चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ- सभी को एक साथ कैसे लाना है यह हिंदुस्तान के लिए बड़ी चुनौती थे, सब कुछ सरल नहीं था। लेकिन, हिंदुस्तान ने वो कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। लेकिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने असंभव को संभव कर दिखाया। दिल्ली घोषणापत्र पर सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर 100% आम सहमति हासिल की गई। जी20 नेताओं द्वारा अपनाई गई सर्वसम्मत घोषणा में यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ शांति का आह्वान किया गया और सदस्य राष्ट्रों से इलाकों पर कब्जे या किसी भी राष्ट्र की भौगोलिक अखंडता के विरुद्ध काम करने के लिए ताकत के इस्तेमाल से बचने का आग्रह किया गया।
सबसे बड़ी बात यह है कि यूक्रेन संकट को लेकर रूस बाली समिट में इस्तेमाल की गई भाषा को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था, और पश्चिमी राष्ट्र पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से बताया जा रहा था कि हिंदुस्तान में हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र पर आम सहमति बन पाना संभव नहीं होगा। लेकिन इस मामले पर भी हिंदुस्तान सहमति बनाने में सफल रहा।
झश मोदी अब ग्लोबल साउथ लीडर
जी 20 बैठक की सबसे बड़ी उपलब्धि अफ्रीकी यूनियन को जी 20 का स्थायी सदस्य बनाने में सफलता हासिल करना रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकी यूनियन को पिछले वर्ष बाली समिट में जी20 में शामिल करने की जो गारंटी दी थी, उसे हिंदुस्तान ने आज पूरा कर दिया।
ऐतिहासिक फैसला
जी-20 बैठक में पीएम मोदी ने वो कर दिखाया है, जिससे हिंदुस्तान के पड़ोसी राष्ट्रों को जबरदस्त झटका लगा हैं। चीन BRI प्रोजेक्ट के जरिए सड़क बनाते रह गया और हिंदुस्तान ने रेल और शिप से यूरोप तक पहुंचने का खाका खींच दिया है। शिखर सम्मेलन के पहले दिन भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) का घोषणा कर दिया गया। यह कॉरिडोर कई अर्थ में अहम है। इस गलियारे में कई राष्ट्रों को शामिल किया गया है। यह प्रोजेक्ट पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट नाम की पहल का हिस्सा है।
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