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भारत के पास है दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना

एक दौर वह भी था जब हिंदुस्तान रक्षा क्षेत्र की हर छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए दूसरे राष्ट्रों पर मोहताज था लेकिन समय बदला, केंद्र में नरेंद्र मोदी की गवर्नमेंट आई और स्थितियां लगातार बदलती चली गईं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन का असर है कि धीरे-धीरे ही ठीक लेकिन आज हिंदुस्तान रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की सीढ़ी पर आगे बढ़ता जा रहा है

सूत्रों की माने तो सेना चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों के अपने पुराने बेड़े को 2027 से चरणबद्ध ढंग से सेवा से हटाने पर विचार कर रही है आर्मी एविएशन कोर लगभग 190 चेतक, चीता और चीतल हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रही है लेकिन अब उनकी स्थान स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों (एलयूएच) को बड़ी संख्या में शामिल करने पर विचार कर रही है यानी हिंदुस्तान रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है

पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे मजबूत हो रही है, हिंदुस्तान रक्षा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सामानों के आयात को कम कर रहा है और उसके लिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के अनुसार घरेलू बुनियादी ढांचे का निर्माण पर बल दे रहा है आयात कम करने का ये मतलब नहीं है कि उन सामानों की राष्ट्र को आवश्यकता नहीं है या उन सामानों का प्रयोग हमने बंद कर दिया है बल्कि उन सामानों को अब हिंदुस्तान अपने राष्ट्र में ही बनाने पर फोकस कर रहा है

रक्षा खरीद नीति और मेक इन इण्डिया पहल
घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ाने की जरूरत को पहचानते हुए, हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने 2016 में रक्षा खरीद नीति पेश की थी इस नीति ने आयात पर निर्भरता पर चिंताओं को देखते हुए स्वदेशी विनिर्माण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और योगदान के महत्व पर बल दिया इसके बाद रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने, प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल प्रारम्भ की गई

भारत के पास है दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना
अभी कुछ दिनों पहले ही अंतरराष्ट्रीय रक्षा से जुड़ी जानकारी पर नजर रखने वाली डाटा वेबसाइट ग्‍लोबल फायरपावर ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं की सूची जारी की है सैन्‍य ताकत की इस सूची में 2023 में हिंदुस्तान चौथे पायदान पर है हिंदुस्तान के पास दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना है हिंदुस्तान के पास हजारों की संख्या में टैंक हैं तो सैकड़ों की संख्या में लड़ाकू विमान हैं हिंदुस्तान तोपखाना और मिसाइलों के मुद्दे में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है

लगातार आगे बढ़ रहा भारत 
मामला सैनिक संख्या की हो या फिर हथियारों का, हिंदुस्तान लगातार आगे बढ़ता जा रहा है यदि पिछले पांच वर्ष की बात करें तो रक्षा सौदों के मुद्दे में लंबे समय के आयात पर निर्भरता कम हो रही है 2018-19 में विदेशी स्रोतों से रक्षा खरीद पर कुल खर्च 46% से कम होकर, दिसंबर 2022 में 36.7% हो गया है 2016 से 2020 के बीच की ओवरऑल बात करें तो अंतरराष्ट्रीय हथियारों के आयात में हिंदुस्तान 9.5 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर तो था, लेकिन ये आयात साल 2011-2015 के बीच हुए आयात से 33 प्रतिशत कम था ये बड़ा अंतर है

सबसे अधिक प्रभावित हुआ रूस 
भारत के आयात कम करने से रूस सबसे अधिक प्रभावित हुआ है फिर भी उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक वही है आपको ये जानकर और भी आश्चर्य होगा कि अमेरिका से आयात होने वाली रक्षा सामग्री में भी 46 प्रतिशत की गिरावट आई है साफ है कि अब राष्ट्र रक्षा प्रणालियों के लिए दूसरे राष्ट्रों पर निर्भरता कम करता जा रहा है और इसका एकमात्र लक्ष्य है कि आत्मनिर्भर बनना है एक को छोड़कर दूसरे को अपनाना नहीं है यदि कहीं से आयात में कटौती की जा रही है तो याद रखिए कि स्वदेशी पर निर्भरता बढ़ रही है इससे राष्ट्र में निर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने का हिंदुस्तान का संकल्प परिलक्षित होता है

केंद्र गवर्नमेंट कर रही प्रोत्साहित
केंद्र गवर्नमेंट नीतिगत पहल करके राष्ट्र में स्वदेशी डिजाइन, विकास और रक्षा उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है केंद्रीय बजट 2022-23 में रक्षा सेवाओं के पूंजीगत परिव्यय के अनुसार कुल आवंटन बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया इसमें पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत स्वदेशी उद्योगों के लिए तय था

दरअसल, हिंदुस्तान के अपने रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के कई कारण हैं गवर्नमेंट ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के लिए एक फोकस क्षेत्र के रूप में रक्षा प्रणालियों, उपकरणों और सेवा क्षेत्रों की पहचान की है इसमें महत्वपूर्ण रिसर्च और स्वदेशी निर्माण बुनियादी ढांचे की स्थापना पर बल दिया गया है पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस बात को तस्दीक करते हुए बोला था कि राष्ट्र के स्वदेशी रक्षा क्षेत्र द्वारा उठाए गये कदम “नए भारत” का वसीयतनामा हैं

रक्षा मंत्रालय ने ये जानकारी दी
रक्षा क्षेत्र में “मेक इन इंडिया” पर संसद में पूछे गए एक प्रश्न में रक्षा मंत्रालय ने बताया, “पिछले कुछ सालों में 155 एमएम आर्टिलरी गन सिस्टम ‘धनुष’, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’, सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम ‘आकाश’, मेन बैटल टैंक ‘अर्जुन’, टी-90 टैंक, टी-72 टैंक, आर्मर्ड पर्सनेल कैरियर’ समेत कई जरूरी प्रोजेक्ट BMP-II/IIK’, Su-30 MK1 आदि का उत्पादन राष्ट्र में किया गया है इतना ही नहीं, चीता हेलीकाप्टर, उन्नत हल्का हेलीकाप्टर, डोर्नियर Do-228, हाई मोबिलिटी ट्रक, INS कलवरी, INS खंडेरी, INS चेन्नई, एंटी-सबमरीन वारफेयर कार्वेट (ASWC), अर्जुन बख्तरबंद मरम्मत और रिकवरी व्हीकल, ब्रिज लेइंग टैंक, 155 मिमी गोला बारूद के लिए बाई-मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम (BMCS), मीडियम बुलेट प्रूफ व्हीकल (MBPV), वेपन लोकेटिंग रडार (WLR), इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS), सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR) पायलट रहित टारगेट एयरक्राफ्ट के लिए लक्ष्य पैराशूट सहित कई अन्य उत्पादन भी राष्ट्र में किये गये हैं और किये जा रहे हैं

हरियाणा की कंपनियों को मिले 47 औद्योगिक लाइसेंस
मई 2001 में रक्षा उद्योग क्षेत्र को भारतीय प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के लिए 100% तक खोल दिया गया था जनवरी, 2023 तक रक्षा क्षेत्र के खुलने के बाद से अकेले हरियाणा की 34 कंपनियों को कुल 47 औद्योगिक लाइसेंस जारी किए गए हैं फ्यूज, नाइट विजन डिवाइस, बुलेट प्रूफ वेस्ट/जैकेट आदि जैसे विभिन्न रक्षा उत्पादों का निर्माण हरियाणा में किया जा रहा है

पिछले पांच सालों में “मेक इन इंडिया” योजना के अनुसार निर्मित हथियारों के निर्यात में बढ़ोतरी के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में मंत्रालय ने बताया, “मेक इन इंडिया” योजना के तहत, गवर्नमेंट ने पिछले कुछ सालों में कई नीतिगत पहल की हैं और राष्ट्र में रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार किए हैं हिंदुस्तान के रक्षा उत्पादन विभाग (एससीओएमईटी) ने 06 मार्च 2023 तक 13 हजार 398.65 करोड़ रुपये का निर्यात किया है 2017-18 में 4 हजार 682 करोड़ से रुपये का निर्यात हुआ था

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