राष्ट्रीय

भारतीय सेना के कर्नल व भाई पर आवासीय फ्लैट बनाने का काम संभालने वाली एक निजी निर्माण कंपनी से धोखाधड़ी करने का आरोप

नई दिल्ली. इंडियन आर्मी के एक कर्नल और उनके भाई पर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में आवासीय फ्लैट बनाने का काम संभालने वाली एक निजी निर्माण कंपनी से फर्जीवाड़ा करने का इल्जाम है.

आरोप दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल किए गए हैं और इल्जाम पत्र हाल ही में कड़कड़डूमा न्यायालय में पेश किया गया था.

आईएएनएस के पास उपस्थित इल्जाम पत्र के अनुसार इल्जाम लगाया गया है कि आरोपी भाइयों, कर्नल वेदव्रत वैद्य और भरत वैद्य ने सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के माध्यम से निर्माण कंपनी को विश्वासघात दिया, इससे उन लोगों को हानि हुआ, जिन्होंने परियोजना में पैसा निवेश किया है.

अदालत ने 21 नवंबर को इल्जाम पत्र को स्वीकार कर लिया और अगली सुनवाई की तारीख 9 जनवरी, 2024 तय की.

मामले की आरंभ तब हुई जब पेसिफिक कंस्ट्रक्शन एंड मैनेजमेंट के व्यवस्था निदेशक विकास मदान ने कुल्लू में भरत के स्वामित्व वाली भूमि पर 196 फ्लैटों के निर्माण के लिए भरत वैद्य के साथ एक समझौता किया.

हालांकि, मदान का दावा है कि ज़मीन भरत की होने के बावजूद, सभी सौदे उनके बड़े भाई कर्नल वेदव्रत वैद्य द्वारा संचालित किए गए थे.

एक वर्ष बाद, भरत वैद्य ने एक अपरिवर्तनीय योगदान समझौते में प्रवेश किया और प्रशांत निर्माण और प्रबंधन के पक्ष में एक जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी निष्पादित की. 2013 में, चार वर्ष बाद, आरोपी ने पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द कर दी.

जवाब में, विकास मदान ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने स्थगन आदेश जारी किया. इसके बाद, मदान ने दिल्ली के लक्ष्मी नगर थाने में वैद्य बंधुओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई, इससे पुलिस जांच प्रारम्भ हो गई.

समझौते के शुरुआती प्रयासों के बावजूद, परियोजना रुकी रही, इसके कारण लंबी कानूनी लड़ाई चली.

बाद में वैद्य बंधुओं ने दिल्ली हाई कोर्ट के माध्यम से एफआईआर को रद्द करने की मांग की. इसने दिल्ली पुलिस को इल्जाम पत्र में तेजी लाने का निर्देश दिया.

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