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इटली ने BRI से आधिकारिक रूप से किनारा कर ड्रैगन को दिया बड़ा झटका

नई दिल्ली: इटली ने चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से आधिकारिक रूप से किनारा कर ड्रैगन को बड़ा झटका दिया है चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए इटली का ये निर्णय सदमा देने वाला होगा यह समाचार ऐसे वक़्त में सामने आई है, जब हाल ही में दुबई में आयोजित संयुक्त देश जलवायु बदलाव सम्मेलन (COP 28) में पीएम मोदी और उनकी इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी की मुलाकात काफी चर्चाओं में रही थी इस दौरान दोनों के संबंधों में जबरदस्त गर्मजोशी देखी गई थी मेलोनी ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ सेल्फी लेते हुए Melodi हैशटैग के साथ अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट भी किया था

बता दें कि, इटली के इस परियोजना से दूर होने की जानकारी दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के समय ही आ गई थी उस वक़्त यह बात सामने आई थी कि चीन के पीएम को इटली ने इस परियोजना से हाथ खींचने के बारे में सूचित कर दिया था इसी सम्मेलन में चीन-पाकिस्तान जैसे पारंपरिक हिंदुस्तान विरोधियों की नींद उड़ाते हुए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट का घोषणा किया था अब चार महीनों की चर्चा के बाद इटली ने आधिकारिक तौर पर BRI से अलग होने का निर्णय कर लिया है इटली G7 समूह का एकमात्र ऐसा राष्ट्र था, जो चीन की इस परियोजना से जुड़ा हुआ था अब उसने चीन के साथ 4 वर्ष पहले किए गए समझौते को खारिज कर दिया है इतालवी अखबारों का बोलना है कि जॉर्जिया मेलोनी का पीएम पद पर होना इस निर्णय का सबसे बड़ा कारण है

बता दें कि, चीन ने वर्ष 2019 में इटली के साथ यह अनुबंध किया था जिसके अनुसार चीन, इटली में 20 बिलियन यूरो (तक़रीबन 18,000 करोड़ रुपए) के प्रोजेक्ट प्रारम्भ करने वाला था इससे दोनों देशों के बीच कनेक्विटिविटी को और मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया था इटली ने इससे पहले अक्टूबर में नयी दिल्ली में हुई G20 समिट के दौरान ही चीन को यह बता दिया था कि वह आगे और अधिक दिन BRI के साथ नहीं रह सकेगा इटली का बोलना था कि इस पूरे समझौते से उनको वैसे परिणाम नहीं मिल रहे हैं, जैसी उन्हें आशा थी

इटली पर अमेरिका सहित सभी पश्चिमी राष्ट्रों ने दबाव बना रखा था कि वह चीन के साथ किए गए इस अनुबंध पर आगे ना बढ़े जॉर्जिया मेलोनी की गवर्नमेंट आने के बाद इसकी उम्मीदें बढ़ गईं थी कि अब इटली इससे अलग हो जाएगा इसके लिए पिछले 4 महीने से चीन के साथ गुप्त तौर पर चर्चा चल रही थी इटली चाहता था कि वह चीन के बाजार में बड़े पैमाने पर सामान निर्यात करे, किन्तु यह सम्भव नहीं हो सका, क्योंकि 2019 में समझौता करने के तुरंत बाद कोविड-19 माहमारी आ गई और आवागमन बंद हो गया इसी बीच चीन की दादागीरी भी देखने को मिली थी इन सब चीज़ों ने चीन के प्रति इटली का मोहभंग करने में अहम किरदार निभाई आख़िरकार प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और पीएम मेलोनी कि #Melodi मुलाक़ात के इटली ने इसका आधिकारिक घोषणा भी कर ही दिया ये दुनिया में हिंदुस्तान में मजबूत हो रहे संबंधों का एक और उदाहरण है कि, हिंदुस्तान अपने दुश्मनों को किस तरह बिना युद्ध के परास्त कर रहा है

क्या है चीन का BRI प्रोजेक्ट ?

बता दें कि, बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव (BRI) अथवा वन बेल्ट-वन रोड चीन का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन अपने राष्ट्र को एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई राष्ट्रों से रोड और रेलवे लाइन के माध्यम से जोड़ना चाहता है उसका यह प्रोजेक्ट प्राचीन सिल्क रूट का ही आधुनिक रूप है हालाँकि, चीन इसे व्यापार सुगमता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अवसरों की बढ़ोतरी की एक पहल के रूप में प्रचारित करता है, किन्तु हिंदुस्तान सहित कई राष्ट्र इसे चीन की एक गहरी षड्यंत्र करार देते हैं एक ऐसी षड्यंत्र जिसके अनुसार चीन अल्पविकसित और विकासशील राष्ट्रों में विकास के नाम पर उन्हें भारी ऋण में डुबो देता है और फिर वहां अपनी मनमानी करता है

इस षड्यंत्र का शिकार हिंदुस्तान का पड़ोसी राष्ट्र श्रीलंका भी हो चुका है, जहाँ चीन ने हम्बनटोटा बंदरगाह को विकसित किया और जब इसके लिए दिए गए ऋण को श्रीलंका वापस नहीं लौटा पाया, तो उसने इस बंदरगाह पर ही कब्जा कर लिया इसके बाद चीन के ऋण को श्रीलंका वापस नहीं कर पाने के कारण भयंकर आर्थिक संकट में भी घिर गया था इससे पहले पश्चिमी गुट के एक अन्य बड़े देश ऑस्ट्रेलिया ने भी 2021 में BRI से दुरी बना ली थी ऑस्ट्रेलिया ने बोला था कि वह चीन के साथ 4 समझौतों को खारिज कर रहा है ऑस्ट्रेलिया ने इस निर्णय के पीछे राष्ट्रहित को कारण कहा था

 

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