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कश्मीर पुलिस आतंकियों की साजिश को फेल करने के लिए कर रही ड्रोन से कड़ी पहरेदारी

Indian Army Strategy For Hamas Like Attack: इजरायल (Israel) पर हमास (Hamas) के अटैक ने दुनिया को सकते में डाल दिया था हिंदुस्तान में ऐसी कोई हरकत आतंकवादी ना कर सके, इसके लिए सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं पहली बार कश्मीर पुलिस ने आतंकवादियों के हमदर्दों की नज़र करने के लिए खास तकनीक का इस्तेमाल किया है तो वहीं सीमा पार से आतंकवादियों की षड्यंत्र को फेल करने के लिए ड्रोन से कड़ी पहरेदारी की जा रही है

आतंकियों की हर हरकत पर ऐसे है नजर

बता दें कि इजरायल में हमास के सरप्राइज अटैक के बाद बॉर्डर पर हिंदुस्तान भी सावधान है 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमले के बाद जम्मू कश्मीर में सुरक्षा पर नज़र अब पहले के मुकाबले कहीं अधिक बढ़ा दी गई है एक तरफ हिंदुस्तान बॉर्डर पर सावधान हो गया है तो दूसरी ओर आतंक के समर्थकों को लेकर भी सचेत हो गया है आतंकवाद से जुड़े मुकदमा में ऐसी आरोपी जो जमानत पर कारावास से रिहा हुए हैं उन लोगों पर अब जम्मू और कश्मीर पुलिस खास नज़र कर रही है इसके लिए उन पर अब सैटेलाइट से नजर रखी जा रही है

टेरर लिंक वाला कोई भी संदिग्ध अब नहीं होगा गायब

जान लें कि ऐसे आरोपी जो जमानत पर रिहा हो रहे हैं उन पर एक खास ढंग का GPS लगाया जा रहा है ये GPS आरोपियों के पैरों में एंकलेट के रूप में पहनाया जा रहा है मतलब आतंकियों के समर्थक कारावास से रिहा होने के बाद जहां-कहां जाएंगे ये GPS ट्रैकर सारी जानकारी जम्मू और कश्मीर पुलिस के पास पहुंचाएगा यहां तक कि यदि इसे खोलने की प्रयास की गई तो इसकी जानकारी भी पुलिस के पास पहुंच जाएगी यानी टेरर लिंक का अब कोई आरोपी गायब नहीं हो पाएगा

अमेरिका-ब्रिटेन जैसी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल कर रहा भारत

आतंक के आरोपियों की नज़र के लिए इस तरह ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने वाला जम्मू और कश्मीर राष्ट्र का पहला राज्य है राष्ट्र में इससे पहले आरोपियों के लिए GPS एंकलेट का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया अभी तक इस तरह के GPS ट्रैकिंग डिवाइस का इस्तेमाल अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में होता आया है जहां जमानत या पैरोल पर छूटे आरोपियों और नजरबंदी के आरोपियों की ट्रैकिंग के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है

कैसे काम करता है जीपीएस ट्रैकर?

दरअसल, जीपीएस ट्रैकर एंकलेट को आरोपी के एड़ी में फिक्स किया जाता है, इसलिए इसे ट्रैकिंग एंकलेट बोला जाता है जिससे आरोपी के मूवमेंट की हर पल की जानकारी पता चलती है सीमा पर आतंकवादी कोई चालाकी ना दिखा सकें, इसके लिए सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं हिंदुस्तान के कश्मीर ही नहीं बल्कि बीते कुछ समय से पंजाब, राजस्थान, जम्मू और LoC पर ड्रोन्स की गतिविधियां बढ़ गई हैं और पाक में उपस्थित आतंकवादी संगठन लगातार सीमा पार से हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई करने के लिए ऐसे ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं

ड्रोन्स के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एंटी-ड्रोन डिफेंस सिस्टम की तैनाती की जा रही है तो वहीं डिफेंस सेक्टर में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है मकसद दुश्मनों पर नज़र रखना ताकि वो किसी भी तरह माहौल बिगाड़ने की षड्यंत्र करें तो दबोच लिए जाएं

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