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कचहरी गोलीकांड: जानें वो किस्सा, जब 19 की मौत, 50 को नदी में फेंका गया जिंदा, आखिर किसने चलवाई थी गोली

12 जुलाई, 1966 को बांदा न्यायालय में कम्युनिस्टों के प्रदर्शन के दौरान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक निजामुद्दीन आगा शाह खान और जिलाधिकारी टी ब्लाह ने गोली चलवा दी थी. कर्वी के वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक द्विवेदी बताते हैं कि इस गोलीकांड में 19 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि 213 घायल हुए थे. पुलिस ने 524 लोगों को सरकारी खजाना लूटने के इल्जाम में कारावास भेजा था. 50 से अधिक घायल लोगों को जिंदा ट्रकों में भरवाकर यमुना नदी में फेंक दिया था.

इस गोलीकांड की चर्चा पूरे राष्ट्र में हुई थी. इस घटना ने बांदा-चित्रकूट की राजनीति बदलकर रख दी थी. राष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस पार्टी के इस जमीं से पैर उखड़ गए थे. ‘धन और धरती बंटकर रहेगी’ के नारे से गरीब-गुरबा इतना प्रभावित हुए कि साल 1967 में लोकसभा चुनाव में यहां वामपंथियों की इंट्री हो गई. बांदा लोकसभा क्षेत्र से जागेश्वर यादव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए और कांग्रेस पार्टी तीसरे पायदान में खिसक गई थी.

सीपीआइ से जनसंघ ने छीनी सीट

वर्ष 1971 में भारतीय जनसंघ के रामरतन शर्मा सांसद चुने गए, तो आपातकाल के बाद हुए 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के अंबिका प्रसाद पांडेय के सिर जीत का सेहरा बंधा. साल 1980 में कांग्रेस पार्टी ने वापसी की और 1984 का चुनाव भी जीता, लेकिन 1989 में एक बार फिर लाल सलाम यानी सीपीआइ ने इस सीट में रामसजीवन सिंह को सांसद बनाकर कब्जा कर लिया.

बांदा सीट में साल 1991 और 1998 में बीजेपी की जीत मिली. साल 1996 और 99 में बसपा से रामसजीवन सिंह सांसद चुने गए. बीएसपी से साल 2004 में समाजवादी पार्टी ने श्यामाचरण गुप्ता को सांसद बनाकर सीट छीन लिया. यह जीत का सिलसिला 2009 में भी कायम रहा. आरके सिंह पटेल समाजवादी पार्टी के टिकट से चुने गए. अब 2014 से यह सीट बीजेपी के पास है. मोदी लहर में 2014 में भैरों प्रसाद मिश्र और 2019 में आरके सिंह पटेल सांसद चुने गए.

कांग्रेस ने आजादी के बाद लगाई थी हैट्रिक

बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट में आजादी के बाद से 17 सांसद चुने गए हैं. स्वतंत्रता के बाद लोगों ने पहली बार 1952 वोट किया था. कांग्रेस पार्टी से शिवदयाल उपाध्याय सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1957 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर राजा दिनेश सिंह और 1962 में सावित्री निगम ने जीत दर्ज कांग्रेस पार्टी की हैट्रिक लगाई, लेकिन साल 1967 का चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए कड़वी यादें दे गया. सीपीआइ के जागेश्वर यादव सांसद चुने गए.

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