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नौ करोड़ लोग मेडिकल महंगाई से बेहद प्रभावित…

हिंदुस्तान में स्वास्थ्य के मद में सरकारी खर्च बढ़ने के बावजूद रोगी को उपचार के लिए औसतन आधा खर्च स्वयं उठाना पड़ता है. अनेक राज्यों में यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है. ऐसे में यदि इलाज महंगा होता जायेगा, तो बड़ी जनसंख्या के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बीमा-तकनीक कंपनी प्लम की एक हालिया रिपोर्ट का आकलन है कि हिंदुस्तान में मेडिकल मुद्रास्फीति की रेट 14 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है.

बीमा नहीं होने के कारण राष्ट्र की श्रमबल में शामिल 71 फीसदी लोगों को उपचार का खर्च स्वयं उठाना पड़ता है. सिर्फ़ 15 फीसदी कामगारों को ही उनके नियोक्ता द्वारा बीमा मौजूद कराया जाता है. रिपोर्ट ने रेखांकित किया है कि नौ करोड़ लोग मेडिकल महंगाई से बहुत प्रभावित हैं, क्योंकि उनके कुल खर्च में स्वास्थ्य पर खर्च का हिस्सा 10 फीसदी से भी अधिक है.

एक परेशानी यह भी है कि कंपनियां अपने युवा कामगारों को अधिक उम्र के कामगारों की तुलना में कम बीमा उपलब्ध कराती हैं. हमारे राष्ट्र में 2022 में कामगारों की कुल संख्या लगभग 52.2 करोड़ थी, जो 2030 तक लगभग 57 करोड़ हो जायेगी. अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी को जारी रखने के लिए यह जरूरी है कि हमारी श्रमशक्ति स्वस्थ हो और आवश्यकतानुसार उसे मेडिकल बीमा की सुविधा मिले.

पांच प्रतिशत से भी कम कंपनियां संपूर्ण बीमा मौजूद कराती हैं. रिपोर्ट ने यह चिंताजनक जानकारी भी दी है कि गंभीर रोंगों से जूझते 85 फीसदी कामगारों ने कहा कि उन्हें कंपनी से सहायता नहीं मिल रही है.

एक चुनौती यह भी है कि अधिकांश श्रमबल असंगठित क्षेत्र में है. अधिकांश कामगार छोटे उद्यमों या स्वरोजगार में हैं. केंद्र गवर्नमेंट की आयुष्मान बीमा योजना समेत विभिन्न स्वास्थ्य पहलों से निर्धन वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिली है. राज्य सरकारों की ओर से भी बीमा योजनाएं चलायी जा रही हैं. यह कोशिश किया जाना चाहिए कि अधिक से अधिक लोग इन योजनाओं का फायदा उठाएं.

अनेक गंभीर रोंगों का खर्च इसलिए बहुत होता है कि इनकी दवाइयां और उपकरण महंगे होते हैं तथा इनके उपचार की सुविधा बड़े शहरों तक सीमित है. इन कारणों से निश्चित राशि का बीमा एक सीमा तक ही कारगर हो पाता है और लोगों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है. केंद्र गवर्नमेंट के प्रयासों से आम दवाओं के साथ-साथ गंभीर रोगों की दवाओं के राष्ट्र में बनाने तथा सस्ते मूल्य पर उनकी उपलब्धता से कुछ राहत अवश्य मिली है. इस दिशा में और भी कोशिश किये जा रहे हैं. महंगाई नियंत्रण अहमियत होनी चाहिए.

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