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PM मोदी ने इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर का किया ऐलान

  हिंदुस्तान की अध्यक्षता में G20 शिखर सम्‍मेलन (G20 Summit) सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है इस दौरान कई समझौते हुए जो सुर्खियों में हैं इनमें से एक है भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के एक मेगा इकनॉमिक कॉरिडोर (India Middle East Europe Economic Corridor) का ऐलान इस इकनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा स्वयं पीएम मोदी (PM Modi) ने की यह कॉरिडोर हिंदुस्तान के लिए कई अर्थ में अहम बताया जा रहा है

एक्सपर्ट का मानना है कि यह सीधे तौर पर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को चुनौती देने वाला है इस परियोजना में भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं पीएम मोदी ने इसे ऐतिहासिक साझेदारी बताते हुए बोला कि आने वाले समय में यह भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक योगदान का एक बड़ा माध्यम होगा

 

क्या है इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर?
यह परियोजना रेल और शिपिंग कॉरिडोर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रचर इनवेस्टमेंट (PGII) के लिए साझेदारी का हिस्सा है यह ना केवल हिंदुस्तान को पश्चिम एशिया और यूरोप तक व्यापार के मार्ग पर मजबूती से आगे बढ़ाएगा बल्कि इसकी सहायता से हिंदुस्तान के लिए लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र में भी बड़े अवसर पैदा होंगे

 

भारत को क्या होगा फायदा
इसके उद्देश्य की बात करें तो इस महत्वकांक्षी परियोजना का मकसद भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का लगभग एक तिहाई हिस्सा रखने वाले क्षेत्रों को जोड़ने के लिए एक आधुनिक रूट तैयार करना है कहा गया है कि इस परियोजना में रेल, बिजली और हाइड्रोजन पाइपलाइन परियोजनाएं शामिल होंगी इसमें से प्रस्तावित परियोजना UAE और सऊदी अरब समेत पूरे मिडिल ईस्ट में रेलवे और बंदरगाह सुविधाओं को जोड़ेगी जिससे हिंदुस्तान और यूरोप को बीच व्यापार में 40 फीसदी की तेजी आएगी इसके साथ भरतीय बंदरगाहों को मिडिल ईस्ट और यूरोप तक शिपिंग लेन के जरिए जोड़ा जाएगा

चीन की क्यों बढ़ी टेंशन
इस परियोजना का अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए एक संभावित गेमचेंजर होने की आशा है यह चीन के व्यापक रणनीतिक बुनियादी ढांचे के निवेश का विकल्प पेश करेगी इसलिए दावा किया जा रहा है कि इकनॉमिक कॉरिडोर के घोषणा के बाद चीन के होश उड़ गए हैं चीन के इस झटके के पीछे हिंदुस्तान और अमेरिका का हाथ बाताया जा रहा है दावा है कि इन दोनों राष्ट्रों ने मिलकर चीन के BRI प्रोजेक्ट का विकल्प तैयार किया और उसे दुनिया के सामने पेश भी कर दिया है

इस परियोजना को लेकर प्रयास ऐसे समय में सामने आई है जब सऊदी अरब और यूएई की चीन के साथ नजदीकी बढ़ती हुई दिख रही है मालूम हो कि चीन ने हाल ही में मध्य पूर्व के साथ संबंधों को भी बढ़ावा दिया है, जिससे इस वर्ष की आरंभ में सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव दूर करने में सहायता मिली है तो जाहिर है भारत, अमेरिका और सऊदी की प्रयास से तैयार हो रहा यह इकनॉमिक कॉरिडोर चीन की सपनों और उम्मीदों पर पानी फेरने वाला है

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