भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट जाएंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री शुक्रवार को दोपहर पौने दो बजे चित्रकूट पहुंचेंगे। सद्गुरु ट्रस्ट परिसर में तीन हेलीपैड बनाए गए हैं। यहीं पर उन्हें उतरना है। सबसे पहले वह रघुवीर मंदिर पहुंचकर पूजा, दर्शन, श्री राम संस्कृत महाविद्यालय का भ्रमण, अरविंद भाई मफतलाल की समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, नेत्र अस्पताल का निरीक्षण करेंगे और सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वह विद्याद्यम परिसर में आयोजित आशीर्वाद कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। यहां से पीएम को तुलसीपीठ पहुंचना है। वह जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज के हस्तलिखित महाकाव्यों का विमोचन करेंगे। वह शाम करीब 4 बजे दोबारा रवाना होंगे।
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर बुधवार को तैयारियां तेजी से चलती रहीं। मप्र प्रशासन के आला ऑफिसरों ने भी डेरा डाल दिया है। सतना कलेक्टर के अतिरिक्त एसपी, आईजी रीवा समेत अन्य अधिकारी लगातार तैयारियों में जुटे हुए हैं। एसपीजी की नज़र में जगह-जगह मंच और पंडाल तैयार किये जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के दौरान पीएम के साथ एमपी के गवर्नर मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उपस्थित रहेंगे। वहीं पीएम के इस कार्यक्रम के दौरान मीडिया से भी दूरी बनाए रखी जा रही है। जिसमें कई कठोर बातें कही जा रही हैं।
सद्गुरु ट्रस्ट परिसर जानकीकुंड में आयोजित कार्यक्रम में डेढ़ हजार लोग शामिल होंगे। इनमें प्रमुख रूप से अरविंद भाई मफतलाल के नानी ट्रस्ट के अध्यक्ष विशद भाई मफतलाल, उनकी पत्नी रूपल मफतलाल और परिवार के एक दर्जन सदस्य उपस्थित रहेंगे। यहां वाटरप्रूफ पंडाल तैयार किया गया है। संत रणछोड़दास महाराज के शिष्य एवं ट्रस्टियों के गुरु भाई करीब आधा सैकड़ा लोग भाग लेंगे। वहीं, कार्यक्रम में सद्गुरु परिवार के करीब 1300 कर्मचारी और करीब आधा सैकड़ा साधु-संत भी उपस्थित रहेंगे। शंख ध्वनि के साथ आशीर्वाद कार्यक्रम की आरंभ होगी।
एमपी में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी आचार संहिता लागू है। परिणामस्वरूप छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रमों के आयोजन में आयोग की स्वीकृति लेना जरूरी हो गया है। पीएम के कार्यक्रम को लेकर शुरुआती दौर में संशय था। लेकिन आयोग ने इसे निजी कार्यक्रम के तौर पर स्वीकृति दे दी है। जिसमें आयोग ने गाइडलाइन का पालन करने के निर्देश जारी किए हैं। पीएम के इस कार्यक्रम से राजनीति से जुड़े कई लोगों को दूर रखा गया है। वहीं, तुलसी पीठ में करीब दो सौ लोगों को शामिल होने की इजाजत दी गई है। जिसमें अधिकांश पीठ से जुड़े लोग भाग लेंगे
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