प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी-तमिल संगमम 2.0 का किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वाराणसी (Varanasi) के नमो घाट पर रविवार को काशी तमिल संगमम 2.0 (Kashi Tamil Sangamam 2.0) का उद्घाटन किया। साथ ही उन्होंने कन्याकुमारी से बनारस के लिए ‘काशी तमिल संगमम एक्सप्रेस’ (Kashi Tamil Sangamam Express) को डिजिटल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान पीएम मोदी के भाषण का तमिल में अनुवाद करने के लिए उसी समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भाषिनी का इस्तेमाल किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर कहा, “आज यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए तकनीक का नया प्रयोग हुआ है। यह एक नयी आरंभ है और आशा है कि इससे मेरे लिए आप तक पहुंचना सरल हो जाएगा।
तमिलनाडु-काशी महादेव का घर
पीएम मोदी ने कहा, “तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है, महादेव के एक घर से दूसरे घर आना। तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है मदुरै मीनाक्षी के यहां से काशी विशालाक्षी के यहां आना। इसलिए तमिलनाडु और काशी वासियों के बीच जो प्रेम है, जो संबंध है वो अलग भी है और अद्वितीय भी है। मुझे विश्वास है काशी के लोग आप सभी की सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ रहे होंगे। आप जब यहां से जाएंगे तो बाबा काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद के साथ-साथ काशी का स्वाद, काशी की संस्कृति और काशी की स्मृतियां भी ले जाएंगे।”
उन्होंने कहा, “पिछले साल काशी तमिल संगमम प्रारम्भ होने के बाद से ही इस यात्रा में दिनों-दिन लाखों लोग जुड़ते जा रहे हैं। विभिन्न मठों के धर्मगुरू, छात्र, अनेक कलाकार… कितने ही क्षेत्र को लोगों को इस संगमम से आपसी संवाद और संपर्क का एक कारगर मंच मिला है। मुझे खुशी है कि इस संगमम को सफल बनाने के लिए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और IIT मद्रास भी साथ आए हैं।”
भारत को संतों ने किया एकजुट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की ये भावना तब भी दिखी जब हम संसद के नए भवन में दाखिल हुए। नए संसद भवन में सेनगोल स्थापित किया गया है। अधीनम के संतों के मार्गदर्शन में, यही सेनगोल 1947 में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना।” उन्होंने कहा, “दुनिया के अन्य राष्ट्रों में देश एक सियासी परिभाषा रही है, लेकिन हिंदुस्तान एक देश के रूप में आध्यात्मिक मान्यताओं से बना है। हिंदुस्तान को आदि शंकराचार्य और रामानुजाचार्य जैसे संतों ने एकजुट किया है, जिन्होंने अपनी यात्राओं के माध्यम से हिंदुस्तान की राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया।”
31 दिसंबर तक चलेगा काशी तमिल संगमम
बता दें कि ‘काशी तमिल संगमम’ के दूसरे संस्करण में साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, अध्यात्म, संगीत, नृत्य, नाटक, योग और आयुर्वेद पर व्याख्यान भी होंगे। इसके अतिरिक्त, “नवाचार, व्यापार, ज्ञान विनिमय, शिक्षा तकनीक और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी” पर संगोष्ठी कराने की योजना बनाई गई है। रविवार 17 दिसंबर से 31 दिसंबर तक आयोजित होने वाले ‘काशी तमिल संगमम’ के दूसरे संस्करण के दौरान तमिलनाडु एवं पुडुचेरी के 1,400 लोग वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा करेंगे। एक सरकारी बयान के अनुसार कार्यक्रम में तमिलनाडु और काशी की कला, संगीत, हथकरघा, हस्तशिल्प, रेसिपी एवं अन्य विशेष उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इसके अतिरिक्त काशी और तमिलनाडु की संस्कृतियों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा