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रामनाथ कोविंद आज मना रहे अपना 78 वां जन्मदिन, इस दौरान उनकी बचपन की गरीबी का…

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ranmanth Kovind) आज अपना 78 वां जन्मदिन इंकार रहे हैं उनकी जीवन को एक नजर देखें तो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बचपन बड़ी ही गरीबी में गुजरा लेकिन उन्होंने बड़ी ही हौसला के साथ सभी मुसीबतों को पार करते हुए कोविंद उस ख़ास मुकाम पर जहां पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी कलम से कई बार हिंदुस्तान की तकदीर लिखी

देश के इन 14वें पूर्व राष्ट्रपति के जन्मदिन (Former President Ranmanth Kovind Birthday) पर यदि हम उनके जीवन दर्शन को दखें तो हम एक ऐसी शख्सियत दिखेगी, जिसने अपने मुश्किल संघर्ष से राष्ट्र के सर्वोच्च नागरिक के पद पर आसीन हुआ था जी हां, हिंदुस्तान के 13 वे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कार्यकाल ख़त्म होने के पश्चात आनें वाले 25 जुलाई 2017 को हिंदुस्तान के 14वे राष्ट्रपति के रूप में कोविंद ने शपथ ग्रहण की थी वहीं आज उनके 78वें जन्मदिन पर उन्हें थोडा जान्ने और समझने की प्रयास करते हैं

यूं था बाल्यकाल, जीवन और कैरियर
जानकारी दें कि, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था देखें तो पाएंगे कि,उनका जन्म हिंदुस्तान के एक बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था उस समय राष्ट्र अंग्रेजों का गुलाम था यह वह समय था जब किसी भी दलित का यात्रा काफी मुश्किलों भरा होता था लेकिन इन मुश्किल परिस्थितियों में भी उनके परिवार ने उन्हें पढ़ाया लिखाया जिसे कोविंद ने भी अपनी कुशला और मेहनत से आत्मसात और पूरा किया इसी मेहनत और जुझारूपन के चलते कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में जन्मे इस विलक्षण बालक रामनाथ कोविंद ने सर्वोच्च कोर्ट में वकालत से अपनी स्वर्णिम करियर की आरंभ की थी

निडर और मेहनती
पता  हो कि, कभी गरीबी की चलते  बचपन में कभी रामनाथ कोविंद 6 किलोमीटर पैदल चलकर विद्यालय आना-जाना करते थे आज इसी गांव में रहने वाले रामनाथ कोविंद के इसी गांव को उनकी काबिलियत पर बहुत नाज और अभिमान है वहीं कोविंद की दरियादिली के भी वो बहुत बड़े प्रशंसक हैं इस गांव की गरीबी में पैदा हुए रामनाथ कोविंद आगे चलकर उच्चतम न्यायालय के एक नामी वकील भी हुए इसके बाद वह बिहार के गवर्नर भी बने, लेकिन जायदाद के नाम पर उनके पास आज भी कुछ नहीं है हाँ गाँव में जरुर एक घर था, वो भी तो उन्होंने अपने साथियों और प्यारे गांववालों को दान स्वरुप दे आए

कोविंद का सियासी जीवन
देखा जाए तो कोविंद की राजनीति में बड़ी एंट्री वर्ष 1994 में हुई, जब वे यूपी से राज्यसभा के लिए चुने गए थे इसके बाद फिर वर्ष 2006 तक वह दो बार संसद के ऊपरी सदन के सदस्य भी रहे हालांकि इस बीच पेशे से वकील कोविंद ने दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस भी जरी रखी वे पूर्व पीएम मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रहे हैं बाद में बीजेपी ने उन्हें अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता भी नियुक्त किया था बाद में बीजेपी ने उन्हें अपने दलित मोर्चा के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी दी थी वे ऑल इण्डिया कोली समाज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं

गूगल पर पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के बारे में कुछ ख़ास  
हां, एक दिलचस्प बात यह भी है कि, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम को गूगल पर टाइप करने परजो सबसे अधिक सर्च कीवर्ड होता है वो ये कि, हिंदुस्तान के पूर्व राष्ट्रपति कौन हैं? यह भी सर्च किया जाता है कि, हिंदुस्तान का राष्ट्राध्यक्ष कौन है? तो जानब बता दें कि हिंदुस्तान में कानूनी तौर पर राष्ट्रपति को ही राष्ट्राध्यक्ष बोला जाता है

हालांकि उसके अतिरिक्त कई लोग रामनाथ कोविंद की सैलरी के बारे में भी पूछते हैं…? रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 2017 को कार्यभार संभाला था राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए रामनाथ कोविंद की सैलरी 5 लाख रुपये प्रति महीना थी वहीं कोविंद 25 जुलाई 2022 तक राष्ट्रपति के पद पर थे

हाल अभी राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद वे अब पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर 1.5 लाख रुपये प्रति महीना पेशन के रूप में पाते हैं वहीं उनकी पत्नी को पूर्व राष्ट्रपति की सेक्रेटेरियल असिस्टेंट के तौर पर हर महीने 30 हजार मिलते हैं इसके अतिरिक्त वे पूर्व राष्ट्रपति के हैसियत के तौर पर एक रेंट-फ्री बंगला, एक मोबाइल फोन, दो लैंडलाइन टेलीफोन और जीवन भर फ्री उपचार की सुविधा भी पाते हैं वहीं घर के हाउस हेल्फ और स्टाफ के खर्च के लिए पूर्व राष्ट्रपति कोविंद को 60 हजार रुपये दिए जाते हैं यहां तक कि राष्ट्र के पूर्व प्रथम नागरिक और पूर्व राष्ट्रपति कोविंद का ट्रेन या हवाई मार्ग का किराया भी फ्री है

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