SC ने एक विवाहित महिला को उसके 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की नहीं दी अनुमति, क्योंकी…
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को एक विवाहित स्त्री को उसके 26 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका भ्रूण स्वस्थ है और एम्स के मेडिकल बोर्ड को उसमें कोई विसंगति नहीं दिखी।
भ्रूण 26 हफ्ते पांच दिन का
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बोला कि महिला, जो दो बच्चों की मां है, का गर्भकाल 24 हफ्ते से अधिक समय का हो गया है जो चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति की अधिकतम सीमा है और इसके बाद गर्भ गिराने की अनुमति नहीं दी जा सकती। शीर्ष न्यायालय ने बोला कि भ्रूण 26 हफ्ते पांच दिन का है और स्त्री के लिए तुरन्त कोई जोखिम नहीं है। उसने बोला कि भ्रूण में कोई विसंगति नजर नहीं आई। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे।
पीठ ने कहा, “गर्भावस्था 24 हफ्ते की अवधि को पार कर गयी है और लगभग 26 हफ्ते पांच दिन की है। चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
मेडिकल बोर्ड से मांगी थी रिपोर्ट
इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने आज बोला था कि गर्भपात कानून को दी गयी चुनौती का निस्तारण अलग कार्यवाही में किया जाएगा तथा वर्तमान मुद्दा याचिकाकर्ता और राज्य के बीच सीमित रहेगा। शीर्ष न्यायालय ने इससे पूर्व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिकल बोर्ड से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी कि क्या भ्रूण में किसी तरह की विसंगति है।
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9 अक्टूबर को दी गई थी गर्भपात कराने की अनुमति
पीठ केंद्र की अर्जी पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें शीर्ष न्यायालय के नौ अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। नौ अक्टूबर के आदेश में 27 वर्षीय स्त्री को एम्स में गर्भपात कराने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि वह दूसरे बच्चे के जन्म के बाद प्रसवोत्तर मनोविकृति से जूझ रही थी। चिकित्सकीय गर्भपात कानून के तहत, विवाहित महिलाओं, दुष्कर्म पीड़ितों समेत विशेष श्रेणियों और दिव्यांग तथा नाबालिगों जैसी अन्य कमजोर स्त्रियों के लिए गर्भ को खत्म करने की ऊपरी सीमा 24 हफ्ते है।