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महाराष्ट्र में समय से पहले चुनाव के संकेत

नागपुर : भारतीय राजनीति में कब क्या हो जाए, इसका अंदाजा लगाना हर किसी के बस की बात नहीं है भारतीय राजनीति में सोमवार से प्रारम्भ हो रहे हैं सितंबर महीने के तीसरे हफ्ते का आकलन राजनीति के दृष्टि से ‘बवंडर सप्ताह’ के रूप में किया जा रहा है सियासी विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा के चुनाव समय से पहले होने जा रहे हैं और यदि ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र में भी मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं

चुनावी रणनीतिकारों और सियासी जानकारों का मानना है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और आलाकमान इस बात की तैयारी अभी से प्रारम्भ कर रहा है सोमवार से प्रारम्भ हो रहे संसद के विशेष सत्र में इस बात की बुनियाद भी रखी जा सकती है बीजेपी के हाईकमान का मानना है कि राष्ट्र में अभी 2003-04 जैसा माहौल बनने लगा है

यह माहौल ठीक उसी प्रकार का है जैसा कि ‘इंडिया शाइनिंग’ के समय हो गया था यदि इस माहौल को ठीक ढंग से हैंडल नहीं किया गया तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और अटल बिहारी वाजपेयी की गवर्नमेंट की तरह नरेंद्र मोदी की गवर्नमेंट की तीसरी बार सत्ता में वापसी पर सवालिया निशान लग सकता है इसीलिए अटल-आडवाणी के दौर में हुई गलतियों का शोध करके उसे तुरन्त सुधार लेने की आवश्यकता है और यदि आवश्यकता पड़े तो इसके लिए समय से पहले चुनाव भी कर लिए जाएं

ऐसा है लोकसभा चुनाव को लेकर डर

जानकारों का दावा है कि राष्ट्र में कई तरह के माहौल बन रहे हैं, जिसमें कई राज्यों में सूखे जैसे हालात और इण्डिया गठबंधन दो प्रमुख वजहें हैं, जिसकी वजह से मोदी गवर्नमेंट समय से पहले चुनाव करना चाहती है गवर्नमेंट का मानना है कि यदि लोकसभा के चुनाव अगले वर्ष मार्च के बाद अप्रैल या मई में हुए तो इसका असर 2024 में होने वाले चुनाव में भी दिख सकता है इसीलिए सूखे के हालात बनने से पहले मोदी गवर्नमेंट चुनाव करना चाहती है वहीं दूसरी वजह यह है कि इण्डिया गठबंधन जिस तरह से एकजुटता दिखाते हुए 2024 में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है, उसके गठबंधन के मजबूत होने के पहले बीजेपी इस चुनाव को संपन्न करना चाहती है, ताकि विपक्षी गठबंधन को बहुत अधिक तैयारी का मौका ना मिले

भारतीय जनता पार्टी के नेता खुफिया रिपोर्ट्स और विभिन्न एजेंसियों के सर्वे से मिले फीडबैक के आधार पर इस तरह का मन बना रहे हैं गवर्नमेंट के सत्ता में लौटने को लेकर मिले नकारात्मक फीडबैक से गवर्नमेंट का टेंशन बढ़ता जा रहा है इसीलिए भाजपा इण्डिया गठबंधन को और अधिक संभालने का मौका नहीं देना चाहती हैं

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने जिस तरह से राष्ट्र की राजनीति में पिछले 9 वर्ष में अनेक तरह के प्रयोग किए हैं, वैसे ही एक और प्रयोग की तैयारी है, जिससे तीसरी बार रिकॉर्ड तोड़ बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी की गवर्नमेंट की वापसी हो सके

महाराष्ट्र में समय से पहले चुनाव के संकेत

वहीं महाराष्ट्र के भी विधानसभा चुनाव को लेकर अटकलें लगायी जा रही हैं बताया जा रहा है राज्य की उठापटक वाली सियासी स्थिति से बचने के लिए महाराष्ट्र में बीजेपी की प्रतिनिधित्व में इस गठबंधन के द्वारा चुनाव कराने की तैयारी का निर्णय गणेश उत्सव के बाद कभी भी लिया जा सकता है  महायुति गवर्नमेंट के तीन घटक दलों ने आपस में इस बात की सहमति बनाने की प्रयास की है कि यदि दिल्ली से कोई ऐसा आदेश आता है तो उसे पर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ विचार किया जा सके, ताकि एक साथ कई तीर निशाने पर साधे जा सकें

जानकारों का बोलना है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, सहित पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव के साथ लोकसभा के चुनाव की भी आहट सुनाई दे रही है ऐसे में उसी के साथ यदि महाराष्ट्र का भी चुनाव करवा दिया जाए तो मोदी ब्रांड के नाम पर महायुति गवर्नमेंट की नैया पार हो जाएगी इसके साथ ही एकनाथ शिंदे और अजित पवार के पीछे जो उपद्रव और दलबदल की तलवार लटकी है, उसका भी स्थायी हल निकल जाएगा महाराष्ट्र की  महायुति गवर्नमेंट चुनाव के बाद नया जनादेश ले लेगी और दूध का दूध का पानी का पानी हो जाएगा

लोगों को ऐसी आशा है कि यदि सब कुछ ठीक रहा था गणेश उत्सव के बाद राज्य में दीपावली जैसी आतिशबाजी देखने को मिल सकती है ऐसे ही माहौल को लेकर सोशल मीडिया के कई हैंडल पर पिछले कई दिनों से चर्चा का बाजार गर्म है

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