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सपा नेता शफीकुर्रहमान बर्क का निधन

16वीं लोकसभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क नहीं रहे. समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार, बर्क उत्तर प्रदेश के संभल से सांसद थे. वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. इस महीने तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बर्क को सपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भी संभल से उम्मीदवार बनाया था. तीन बार मुरादाबाद और दो बार संभल से सांसद चुने गए बर्क की मुसलमानों के बड़े नेता के रूप में पहचान थी. 11 जुलाई 1930 को संभल में जन्मे शफीकुर्रहमान बर्क चार बार विधायक भी रहे. पश्चिमी यूपी पर बर्क की मजबूत पकड़ थी.

समाजवादी पार्टी ने मंगलवार सुबह X (पहले ट्विटर) पर पोस्‍ट में बर्क के इंतकाल की जानकारी दी. पार्टी ने लिखा, ‘समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, कई बार के सांसद जनाब शफीकुर्रहमान बर्क साहब का इंतकाल, अत्यंत दु:खद.’ सपा के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने भी हूबहू वही फोटो और शोक संदेश X पर पोस्‍ट किया.

शफीकुर्रहमान बर्क : जब संसद में PM मोदी ने लिया नाम

पिछले साल जब संसद नए भवन में स्थानांतरित हुई, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बर्क का जिक्र किया था. पीएम मोदी ने लोकसभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य – 93 वर्षीय समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और सबसे युवा सदस्य – बीजू जनता दल (बीजेडी) की चंद्राणी मुर्मू (30) का नाम लिया था.

शफीकुर्रहमान बर्क 2019 में ‘वंदे मातरम’ न गाने को लेकर विवादों में घिरे थे. लोकसभा सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद उन्होंने कहा था, ‘जहां तक वंदे मातरम का ताल्लुक है, यह इस्लाम के खिलाफ है और हम इसे नहीं मान सकते.’ बर्क ने 2013 में ‘वंदे मातरम’ गायन के समय संसद से बाहर जाकर भी विवाद को न्योता दिया था.

करीब तीन साल पहले, जब अफगानिस्तान में तालिबान का राज हुआ, तब भी शफीकुर्रहमान बर्क सुर्खियों में आए थे. उन्होंने तब कहा था कि तालिबान अपने मुल्क को आजाद कराना चाहता था और यह अफगानिस्तान का आंतरिक मसला है. उन्होंने तालिबानी लड़ाई की तुलना भारत के स्वाधीनता संग्राम से कर डाली थी.

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