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सुप्रीम कोर्ट : ईवीएम को ना तो हैक किया जाता है और ना ही…

Can anyone Hack EVM Machine: चुनाव आयोग में उच्चतम न्यायालय में दाखिल उत्तर में बोला है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है इसे ना तो हैक किया जाता है और ना ही इससे छेड़छाड़ संभव है EVM बिना किसी कंप्यूटर या इंटरनेट नेटवर्क के स्वतंत्र रूप से काम करने वाली वन टाइम प्रोगामेबल चिप वाली मशीन है, जिससे छेड़छाड़ संभव ही नहीं है

चुनाव आयोग ने अपनी तरफ से वो तकनीकी या प्रशासनिक कदम उठाए हैं, जिनके जरिये इस मशीन के साथ छेड़छाड़ या धांधली जैसी किसी भी आसार को समाप्त किया जा सके चुनाव आयोग का हलफनामा एक ऐसे समय में आया है, जब इस वर्ष कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव प्रस्तावित है

SC में दाखिल याचिका

दरअसल इलेक्शन कमीशन ने ये हलफनामा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दाखिल याचिका के उत्तर में दाखिल किया है ADR की ओर से दाखिल इस याचिका में वोटर को इस बात की पुष्टि कराए जाने की मांग की  गई थी कि उसका वोट दर्ज हो गया है मौजूदा प्रबंध के अनुसार अभी वोटर वीवीपैट मशीन  पर ये तो दिख जाता है कि उसने जिस उम्मीदवार को वोट देने के लिए बटन दबाया था, उसका वोट उसी को गया है लेकिन ये वोट रिकॉर्ड हुआ है या नहीं, इसकी प्रबंध नहीं है

‘मौजूदा VVPAT प्रबंध पूरी तरह सही’

चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध करते हुए बोला है कि वीवीपीएटी को नए सिरे से डिजाइन करने की आवश्यकता नहीं है मौजूदा प्रबंध में भी  मतदाता VVPAT के जरिये इस बात की तस्दीक कर सकता है कि उसने जो बटन दबाया है उसका वोट उसी को ही गया है इसके अतिरिक्त हर विधानसभा के 5 पोलिंग बूथ से ईवीएम का VVPAT से मिलान किया जाता है, जो परिणाम से पहले चुनाव का ऑडिट जैसा है आयोग का बोलना है कि VVPAT के आने के बाद 118 करोड़ लोग पूरी संतुष्टि के साथ वोट डाल चुके हैं सिर्फ़ 25 शिकायतें इसको लेकर मिली हैं और वो सब फर्जी पाई गई हैं

याचिका में रखी मांग अव्यवहारिक: EC

इलेक्शन कमीशन ने सभी VVPAT पर्चियां के सौ-फीसदी मिलान को गैरजरूरी और अव्यवहारिक बताते हुए बोला है कि इससे जटिलताएं बढ़ेंगी सभी VVPAT पर्चियों की गिनती मानवीय ढंग से होती है यदि अधिक गिनती होगी तो मानवीय गलती की आसार बढ़ सकती है और इसके जरिये सोशल मीडिया पर EVM को लेकर झूठा नैरेटिव फैलाया जा सकता है आयोग का बोलना है कि यह याचिका औचित्यहीन दलीलों पर आधारित है
याचिका का मकसद चुनाव से पहले ईवीएम की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करना है और आयोग को संभावना है कि  2024 के लोकसभा चुनाव से पहले EVM पर शक करने वाली ये अंतिम याचिका नहीं होगी

SC ने जल्द सुनवाई से किया इनकार

बुधवार को यह मुद्दा जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच के सामने लगा था लेकिन बेंच ने तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुनवाई नवंबर के लिए टाल दी यही नहीं बेंच ने चुनाव से पहले इस तरह की याचिकाएं दाखिल होने पर प्रश्न उठाते हुए बोला कि हर वर्ष ये मुद्दा न्यायालय में आ जाता है हर 6 -8 महीने में नयी याचिका  दाखिल  हो जाती है इससे पहले हुई सुनवाई में न्यायालय ने बोला कि याचिकाकर्ता को इतना भी शक नहीं करना चाहिए

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