सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा के बेटे और बेटी को दी अग्रिम जमानत
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की के कथित यौन उत्पीड़न के मुद्दे में दिल्ली गवर्नमेंट के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा के बेटे और बेटी को अग्रिम जमानत दे दी है।
न्यायमूर्ति सी।टी। रविकुमार और राजेश बिंदल की पीठ ने अपने आदेश में बोला कि खाखा की बेटी और बेटा, जिन पर क्राइम को बढ़ावा देने का इल्जाम है, जांच में शामिल हो गए हैं।
सुप्रीम न्यायालय ने एक आदेश में कहा, ”बयान को पढ़ने और दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने तथा रिकॉर्ड पर उपस्थित सबूतों को देखने के बाद, हमारा विचार है कि इन विशेष अनुमति याचिकाओं का निपटारा किया जा सकता है। पीठ ने सीआरपीसी की धारा 438(2) के अनुसार निर्धारित शर्तों के अधीन 25 हजार रुपये के बांड पेश करने पर उनकी गिरफ्तारी की स्थिति में याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।”
अक्टूबर 2023 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने ट्रायल न्यायालय द्वारा राहत देने से इनकार करने के बाद खाखा की बेटी और बेटे की दाखिल अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
आरोपी खाखा ने कथित तौर पर 2020 और 2021 के बीच पीड़िता से कई बार बलात्कार किया था। इस मुद्दे के संबंध में दिल्ली पुलिस ने 51 वर्षीय खाखा को अरैस्ट किया था। साथ ही उन्हें दिल्ली गवर्नमेंट के स्त्री एवं बाल विकास विभाग में उप निदेशक के पद से निलंबित कर दिया गया था।
अधिकारी की पत्नी ने कथित तौर पर पीड़िता को गर्भावस्था खत्म करने के लिए दवा दी थी। वर्तमान में दोनों दंपती न्यायिक हिरासत में हैं।
हाईकोर्ट ने भी मुद्दे का स्वत संज्ञान लिया था और नाबालिगों से जुड़े मामलों में पालन की जाने वाली मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की तैयारी पर विभिन्न ऑफिसरों से सुझाव मांगे थे।