अदालत ने कहा कि Raghav Chadha सरकारी बंगले पर कब्जा कायम रखने के पूर्ण अधिकार का दावा नहीं कर सकते
दिल्ली की एक न्यायालय ने बोला है कि आम आदमी पार्टी (आप) नेता राघव चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि आवंटन रद्द होने के बाद भी उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान सरकारी बंगले पर कब्जा कायम रखने का पूर्ण अधिकार है।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने 18 अप्रैल को पारित उस अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल नहीं करने का निर्देश दिया गया था।
आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चड्ढा ने बोला कि वह मुनासिब समय पर कानून के अनुसार मुनासिब कार्रवाई करेंगे।
उन्होंने एक बयान में कहा, निचली न्यायालय ने प्रारम्भ में मेरी याचिका स्वीकार कर ली थी और मुझे अंतरिम राहत दी थी। अब इसने कानूनी आधार पर मेरा मुद्दा पलट दिया है। मैं मुनासिब समय पर कानून के अनुसार मुनासिब कार्रवाई करुंगा।
पांच अक्टूबर को पारित एक आदेश में, न्यायाधीश ने बोला कि यह तर्क कि एक बार संसद सदस्य को दिया गया आवास सदस्य के पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी हालात में रद्द नहीं किया जा सकता है, खारिज करने योग्य है।
न्यायाधीश ने बोला कि सरकारी आवास का आवंटन सिर्फ़ वादी को दिया गया विशेषाधिकार है और आवंटन रद्द होने के बाद भी उसे उस पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है।
न्यायाधीश ने बोला कि चड्ढा को अंतरिम राहत दी गई थी कि उन्हें कानूनी प्रक्रिया के बिना आवास से बेदखल नहीं किया जाएगा।
न्यायाधीश ने कहा, यह निश्चित रूप से रिकॉर्ड पर साफ त्रुटि है और इसे ठीक करने की जरूरत है।
तदनुसार, 18 अप्रैल, 2023 का आदेश वापस लिया जाता है और अंतरिम आदेश खारिज किया जाता है।
न्यायाधीश ने बोला कि चड्ढा यह प्रदर्शित करने में विफल रहे कि मुद्दे में कोई तुरन्त राहत दिए जाने की जरूरत है।