यह मशीन पहाड़ का सीना चीरकर निकालेगी मजदूरों को बाहर, जानें इस मशीन के बारे में…
उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में 12 दिनों से फंसे 41 मज़दूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान युद्धस्तर पर जारी है। सुरंग स्थल पर उपस्थित ऑफिसरों के मुताबिक बचाव अभियान अपने आखिरी चरण में पहुंच चुका है। सूत्रों ने बोला कि ‘अमेरिकी बरमा मशीन के क्षतिग्रस्त हिस्से को बदल दिया गया है। 9वें 800 मिमी पाइप की वेल्डिंग प्रक्रिया चल रही है। अगले कुछ घंटों में ड्रिलिंग प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाएगी।’ बता दें कि ऑगर मशीन ने काम करना बंद कर दिया था। आइए इस समाचार में जानते हैं कि आखिर यह ऑगर मशीन है क्या चीज।
बता दें दीपावली की सुबह सिलक्यारा में सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था। इसमें 41 श्रमिकों फंस गए थे। इसके बाद उन्हें बचाने के लिए देश-दुनिया के इंजीनियर और जानकार बचाव अभियान में सहायता करने के लिए पहुंचे। फिर एक ऐसी मशीन बुलाई गई जिसके लिए बोला जाने लगा कि यही मशीन पहाड़ का सीना चीरकर श्रमिकों को बाहर निकालेगी। इस मशीन का नाम था ऑगर मशीन। अब आइए जानते हैं इस मशीन के बारे में।
क्या है ऑगर मशीन
इस मशीन को ऑगर ड्रिलिंग मशीन बोला जाता है। यह मशीन दो तरह से काम करती है। यह वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग करने में माहिर है। मालूम हो कि जब किसी पहाड़ में सामने की तरह खड़ी मिट्टी और पत्थरों की मजबूत चादर में छेद करना होता है तो तो इंजीनियर हॉरिजॉन्टल ऑगर ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल करते हैं।
कैसे करता है काम?
ऑगर मशीन के आगे छेद करने वाला हैमर रॉड लगा होता है। हैमर रॉड घूमते हुए मिट्टी और पत्थर की दीवार पर लगातार चोट करता है। इसके बाद यह निकलने वाली मिट्टी में पेंचकस जैसे घुमावदार ड्रिलिंग मशीन पाइप के अंदर ही खींचकर पीछे की तरफ निकालती रहती है। सरल शब्दों में कहे तो यह पहले गड्ढा खोदती है फिर ड्रिल करती है। इसी दौरान मशीन आगे भी बढ़ती रहती है।
मालूम हो कि इसी मशीन के सहारे पूरा बचाव अभियान चल रहा है। सिलक्यारा सुरंग दुर्घटना दीपावली की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंस गई थी। इस हादसे में 41 मजदूर अंदर फंस गए। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। ये टनल