परिवहन विभाग ने शहर के सभी ऑटो-रिक्शा ड्राइवरों को दिया ये निर्देश
Delhi News: परिवहन विभाग ने शहर के सभी ऑटो-रिक्शा ड्राइवरों को यह निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि उनके वाहनों में स्थान को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) काम करने की स्थिति में हो। ऐसा न करने पर ड्राइवरों को दंडित किया जाएगा।
मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बोला कि ऑटो-रिक्शा ड्राइवरों द्वारा गवर्नमेंट द्वारा निर्धारित मीटर बॉक्स के मुताबिक किराया नहीं वसूलने की कई शिकायतों के बीच यह कदम उठाया गया है। बता दें मीटर बॉक्स यात्रा की गई दूरी के आधार पर कुल सवारी किराया दिखाता है।
जीपीएस प्रत्येक ऑटो-रिक्शा में मीटर बॉक्स के अंदर एक सिम कार्ड के साथ काम करता है। ऑफिसरों के मुताबिक, शहर के 90,000 से अधिक ऑटो चालकों को यह जांचने के लिए बोला गया है कि क्या सिस्टम काम कर रहा है या नहीं यदि नहीं तो इसे वे बदलवा लें।
वाहनों में जीपीएस की जांच और बदलने का काम दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) लिमिटेड को सौंपा गया है, जो दिल्ली की क्लस्टर बस सेवा भी संचालित करता है। यह फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया के दौरान नियमित रूप से सिस्टम की जांच करता है। पांच वर्ष से अधिक पुराने ऑटो-रिक्शा को हर दो वर्ष में फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की जरूरत होती है, जबकि पुराने लोगों को इसे नियमित रूप से प्राप्त करने की जरूरत होती है।
वाहनों में जीपीएस की जांच और बदलने का काम दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) लिमिटेड को सौंपा गया है, जो दिल्ली की क्लस्टर बस सेवा भी संचालित करता है। यह फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया के दौरान नियमित रूप से सिस्टम की जांच करता है। पांच वर्ष से अधिक पुराने ऑटो-रिक्शा को हर दो वर्ष में फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की जरूरत होती है, जबकि पुराने लोगों को इसे नियमित रूप से प्राप्त करने की जरूरत होती है।
हालांकि, ऑफिसरों ने कहा कि विभाग द्वारा पिछले तीन सालों में Covid-19 महामारी के कारण ऐसा नहीं किया गया है। परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘कोविड-19 के बाद, ऑटो रिक्शा यूनिट (एआरयू) ने फिटनेस जांच के दौरान ऑटो-रिक्शा में जीपीएस की कार्यक्षमता की जांच करना बंद कर दिया। इसके चलते कई ऑटो में जीपीएस अब काम नहीं कर रहा है। ड्राइवरों को इसका परीक्षण कराने के लिए भुगतान करने की जरूरत नहीं है।’
वर्तमान में, सिर्फ़ लगभग 10,000 ऑटो-रिक्शा के पास एक्टिव इंटरनेट कार्ड हैं जिनके माध्यम से वे जीपीएस का इस्तेमाल करते हैं।
अधिकारियों ने बोला कि यह प्रणाली गाड़ी की आवाजाही पर नज़र रखकर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता करती है और यह भी जांचती है कि मीटर का इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं।
परिवहन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने कहा, परिवहन विभाग ने ऑटो चालकों द्वारा मीटर के मुताबिक न चलने की शिकायतें मिलने के बाद ऑटो-रिक्शा में जीपीएस को फंक्शनल बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है। इससे हमारे डैशबोर्ड पर ऑटो के ट्रिप मीटर की स्थिति को ट्रैक करने में सहायता मिलेगी।’
हालांकि, कई ऑटो-रिक्शा चालकों ने बोला कि जीपीएस सालों से गाड़ी का ख़राब हिस्सा है, और गाड़ी चोरी के किसी भी मुद्दे में इससे कोई सहायता नहीं मिली है।
एनसीआर ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के दिल्ली अध्यक्ष एनएस मंसूरी ने कहा, ‘हमने विभाग को एक पत्र सौंपा है कि इस अनावश्यक उत्पीड़न को रोका जाना चाहिए। जीपीएस ने कभी भी हमारी सहायता नहीं की है और जो ऑटो चोरी हो गए हैं, उन्हें कभी भी बरामद नहीं किया गया है, भले ही उनमें जीपीएस भी काम कर रहा हो। इसके अतिरिक्त कई ऑटो चालकों को फिटनेस जांच के दौरान ऑफिसरों ने कहा कि अब जीपीएस जांच की आवश्यकता नहीं है। अब, ड्राइवरों को इसे पूरा करने में पूरा दिन बर्बाद करना होगा।’