त्रिपुरा छात्र संगठन ने 12 फरवरी से सड़क, रेल बंद का किया आह्वान
विपक्षी टिपरा मोथा पार्टी की विद्यार्थी शाखा टिपरा इंडिजिनस स्टूडेंट्स फेडरेशन (TISF) सोमवार से राष्ट्रीय राजमार्ग -8 और रेल मार्गों की अनिश्चित काल के लिए नाकेबंदी की योजना बना रही है।
एनएच-8 त्रिपुरा की जीवन रेखा है जिसके पास इसे शेष हिंदुस्तान से जोड़ने वाली एक अकेली रेलवे लाइन भी है। यह नियोजित नाकाबंदी त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (टीबीएसई) के उस निर्णय के विरुद्ध विद्यार्थियों के विरोध का हिस्सा है, जिसमें आदिवासी विद्यार्थियों को ‘कोकबोराक’ भाषा की परीक्षा में रोमन लिपि में उत्तर लिखने की अनुमति देने से इंकार कर दिया गया है।
कोकबोराक बोरोक लोगों की भाषा है जिन्हें भौगोलिक रूप से त्रिपुरिस के नाम से जाना जाता है। टीबीएसई 1 मार्च से उच्च माध्यमिक और माध्यमिक परीक्षाएं आयोजित करेगा और दोनों परीक्षाओं में पाँच हजार से अधिक आदिवासी विद्यार्थी मौजूद होंगे।
उनमें कई ‘कोकबोराक’ भाषा के प्रश्नों के उत्तर बांग्ला की बजाय रोमन लिपि में लिखना चाहते हैं। इस मामले पर हाल ही में त्रिपुरा विधानसभा सत्र के दौरान भी बवाल हुआ था।
टीआईएसएफ अध्यक्ष सजरा देबबर्मा ने 12 फरवरी से नाकाबंदी की घोषणा करते हुए बोला कि टीबीएसई अध्यक्ष धनंजय गण चौधरी ने पहले बोला था कि बंगाली और अंग्रेजी दोनों लिपियों की अनुमति होगी। लेकिन हाल ही में उन्होंने अपना निर्णय बदलते हुए बोला कि सिर्फ़ बंगाली लिपि को अनुमति दी जाएगी।
कई सालों तक, टीबीएसई परीक्षाओं में कोकबोराक भाषा के प्रशनों के उत्तर बंगाली और अंग्रेजी दोनों लिपियों में लिखे गए थे। विद्यार्थी नेता ने मीडिया से कहा, हमारी सड़क और रेल मार्ग की नाकाबंदी तब तक जारी रहेगी जब तक हमें सीएम (माणिक साहा) से लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता कि वह बोर्ड परीक्षाओं में कोकबोराक भाषा के लिए रोमन लिपि की अनुमति देंगे।
देबबर्मा ने साफ किया कि वह बंगाली लिपि के विरुद्ध नहीं हैं लेकिन हमारी मांग दोनों लिपियों को अनुमति देने की है ताकि विद्यार्थियों के पास विकल्प हो।