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Uttarkashi Tunnel Rescue | छठे दिन जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन,टनल के बाहर तैयार हैं 10 एंबुलेंस की गाड़ियां

देहरादून : उत्तराखंड (Uttarakhand) के ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (Brahmakhal Yamunotri National Highway) पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच बन रही एक सुरंग का एक हिस्सा ढहने के बाद से पिछले 6 दिनों से 40 मजदूर जीवन की जंग लड़ रहे हैं रविवार सुबह सुंरग (Tunnel) का एक हिस्सा ढह जाने से 40 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए थे यहां बनायी जा रही सुरंग की कुल लंबाई 4.5 किमी है, जिसमें सिल्क्यारा के छोर से 2,340 मीटर और डंडालगांव की ओर से 1,750 मीटर का निर्माण किया जा रहा है अभी इनको बचाने की सारी कोशिशों में कम से कम 48 घंटे और लगने की आसार जतायी जा रही है

हालांकि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल हादसे के बाद पहुंची अमेरिकी ऑगर मशीन ने शुक्रवार सुबह तक 30 मीटर की सफलतापूर्वक ड्रिलिंग करके थोड़ी सी राहत जरूर दी है कहा जा रहा है कि 6-6 मीटर के 5 पाइप मलबे के अंदर डालकर काम कराया जा रहा है इसके आगे इस बात की आसार है कि 30 से 40 मीटर की खुदाई कुछ सरल हो सकती है दरअसल, सुबह 4 बजे एक पत्थर आने की वजह से मिशन थोड़ी देर के लिए रोकना पड़ा, लेकिन डायमंड कटर मशीन की सहायता से उसे काटकर रास्ते से हटा दिया गया

कहा जा रहा है कि IAF के C-130 हरक्यूलिस विमान से बुधवार को अमेरिकन ऑगर मशीन के पार्ट्स को दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचा गया था, जिससे तेजी से काम हो सके दिल्ली से पहुंची 25 टन की इस मशीन का सेटअप रातोंरात करके राहत और बचाव कार्य प्रारम्भ किया गया

जनरल वीके सिंह का दौरा

लोगों का हालचाल जानने और राहत कार्यों की देखरेख करने के लिए जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ऑफिसरों के साथ सिलक्यारा पहुंच गए और रेस्क्यू ऑपरेशन के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल और एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खल्को से काफी लंबे समय तक बात की, जहां दोनों ने उन्हें निर्माणाधीन सुरंग और रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी दी इसके बाद जनरल वीके सिंह ने सुरंग के अंदर जाकर भी भूस्खलन वाली स्थान का निरीक्षण भी किया और वहां के हालात का जायजा लिया

इस दौरान वीके सिंह ने बोला कि सुरंग के अंदर फंसे लोगों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालना गवर्नमेंट और राहत कार्य में जुटे लोगों की पहली अहमियत है इसके लिए पीएम से लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री, सीएम से लेकर सभी एजेंसियां मिलकर कार्य कर रही हैं उन्होंने बोला कि राहत कार्य में पुरानी मशीन में कुछ परेशानी आ गयी थी इसीलिए अब नयी मशीन लगाई गई है, जिसकी पावर और गति पुरानी मशीन से काफी अधिक है राहत कार्य में लगे लोगों की प्रयास है कि यह रेस्क्यू कार्य जल्द से जल्द समाप्त किया जाए और सभी को सकुशल बाहर निकाला जाए

अभी 48 घंटे और…

मौके पर जुटे अफसरों का बोलना है कि यहां थोड़ा सा समय और लग सकता है जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने मौके का जायजा लेने के बाद कहा कि बृहस्पतिवार शाम तक 12 मीटर पाइप अंदर डाला गया था इन पाइपों को वेल्डिंग कर जोड़ने में एक से दो घंटे का समय लग रहा है वहीं पाइपों का एलाइनमेंट ठीक रखने की भी चुनौती बनी हुई है, ताकि राहत कार्य में कोई नई कठिन न खड़ी हो अंदर फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने में कम से कम 48 घंटे का समय और लग सकता है

टनल के बाहर तैयार हैं 10 एंबुलेंस की गाड़ियां

जहां एक ओर लोगों के द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है, वहीं टनल के बाहर 6 बिस्तरों वाला एक अस्थायी हॉस्पिटल तैयार करके सारी व्यवस्थाएं कर दी गयी हैं टनल से श्रमिकों के निकलने के बाद उन्हें तुरंत मेडिकल टीम के हवाले कर दिया जाएगा, ताकि तुरन्त चिकित्सकीय सुविधाएं मिल सकें साथ में टनल के बाहर 10 एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं इस तरह के हादसे में काम कर चुके डॉक्टरों ने राय दी है कि टनल से निकलने के बाद मजदूरों को मानसिक-शारीरिक परेशानियां होंगी इसलिए कुछ समय तक उनकी अच्छी देखभाल करने की आवश्यकता होगी

विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक एक स्थान पर बंद और फंसे रहने के कारण पीड़ितों को घबराहट का अनुभव हो रहा होगा  इसके साथ ही उनको ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता के कारण कुछ परेशानियां हो रही होंगी इन सबका उनके शरीर पर उल्टा असर दिखेगा ऐसी भी संभावना है कि लंबे समय तक ठंडे और भूमिगत तापमान में रहने के कारण उन्हें हाइपोथर्मिया जैसी परेशानी आ जाए और वे बेहोश हो जाएं

 

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