राष्ट्रीय

मानवाधिकार के मामले को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने मुख्य भाषण में कही ये बड़ी बात

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बोला है कि हिंदुस्तान मानवाधिकारों के मुद्दे में दुनिया के लिए एक उदाहरण है और दुनिया का कोई भी हिस्सा हमारे राष्ट्र की तरह मानवाधिकारों के मुद्दे में समृद्ध और समृद्ध नहीं है मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम आज नयी दिल्ली के हिंदुस्तान मंडपम में आयोजित किया गया अपने मुख्य भाषण में उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमारे सभ्य लोकाचार और कानूनी प्रतिबद्धता हमारे डीएनए में मानवाधिकारों के सम्मान, सुरक्षा और प्रचार के प्रति हमारी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं

उन्होंने यह भी बोला कि हिंदुस्तान मानवाधिकारों को विकसित करने, बढ़ावा देने और समृद्ध करने में दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है मानवाधिकारों को बढ़ावा देने को ‘लोकतंत्र की नींव’ बताते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि “कानून के समक्ष समानता मानवाधिकारों को बढ़ावा देने का एक अविभाज्य पहलू है” उन्होंने मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए राज्य के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के समन्वय की सराहना की उन्होंने कहा, क्योंकि “मानवाधिकारों का सम्मान हमारे सभ्य लोकाचार और संविधान में निहित है

मुफ्त की राजनीति में हालिया उछाल के बारे में बोलते हुए, उपराष्ट्रपति ने चेतावनी दी कि इससे खर्च की प्राथमिकताओं में विकृति आ सकती है और व्यापक आर्थिक स्थिरता की बुनियादी संरचना कमजोर हो सकती है क्योंकि “सब्सिडी के माध्यम से जेब को मजबूत करने से सिर्फ़ निर्भरता बढ़ती है” यह इंगित करते हुए कि कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा हिंदुस्तान के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है, उपराष्ट्रपति ने उनसे मानवाधिकारों पर राष्ट्र के प्रदर्शन पर गहराई से गौर करने और सतही तौर पर खरोंच न करने को कहा

उन्होंने ख़्वाहिश व्यक्त की कि ऐसे संगठनों को हिंदुस्तान के शासन मॉडल पर ध्यान देना चाहिए जो भ्रष्टाचार, पूर्वाग्रह और स्वार्थ से मुक्त है उन्होंने बोला कि यह पारदर्शिता, ज़िम्मेदारी और योग्यता से तय होता है उपराष्ट्रपति ने बोला कि पारदर्शिता और उत्तरदायी शासन मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए एक परिवर्तन है, विशेष रूप से कमजोर समूहों के लिए, और कहा कि सेवा वितरण में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भी इस प्रगति को मजबूत करने में जरूरी किरदार निभाता है

उपराष्ट्रपति ने बोला कि वंचितों के घरों में गैस कनेक्शन प्रदान करना एक “परिवर्तनकारी क्रांति” थी जिसने हमारी माताओं और बहनों की आंखों में आंसुओं को राहत पहुंचाई उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि “मानवाधिकारों के प्रसार और सशक्तिकरण” के लिए प्रमुख ढांचागत विकास जरूरी है मानवाधिकारों की उन्नति में, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इन्सानियत के छठे हिस्से के घर, हिंदुस्तान में हो रहे ठोस परिवर्तनों पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा, “दुनिया का कोई भी हिस्सा हमारे राष्ट्र की तरह मानवाधिकारों से समृद्ध और समृद्ध नहीं है” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी कहा, ”मानवाधिकारों और मूल्यों के खिलने के कारण हमारा स्वर्ण युग हमारा गौरवशाली युग बन गया है

Related Articles

Back to top button