क्या हो अगर फॉर्मेसिस्ट को ही ये भाषा समझ में न आए
Doctor Prescription: जब भी कोई आदमी बीमार पड़ता है तो चिकित्सक चेकअप के बाद दवाईयों की पर्ची लिखकर देता है। पर्ची में अंग्रेजी में अस्पष्ट भाषा में दवाईयों के नाम लिखे होते हैं, जिन्हें आम लोग सरलता से पढ़ नहीं सकते हैं। हालांकि, दवाईयों की दुकान पर जाने पर फॉर्मेसिस्ट इस भाषा को सरलता से समझकर मेडिसिन दे देता है, लेकिन क्या हो यदि फॉर्मेसिस्ट को ही ये भाषा समझ में न आए। ऐसी ही परेशानियों से इन दिनों कश्मीर के फार्मासिस्टों को दो-चार होना पड़ रहा है।
परेशानी का कारण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जम्मू- कश्मीर के कुलगाम शहर में फार्मासिस्ट चिकित्सक के प्रिस्क्रिप्शन पर दवाईयों की भाषा को समझ नहीं पा रहे हैं। ऐसे में उनको बिना दवाई दिए ग्राहकों को पर्ची वापस करनी पड़ रही है। इससे फार्मासिस्टों के साथ मरीर और उनके तिमारदारों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों की अस्पष्ट लिखावट को मेडिकल फील्ड में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है, लेकिन फिर भी कुछ लोगों के लिए यह भाषा को समझना काफी कठिन होता है। पर्ची पर लिखी भाषा न समझने पर गलत दवाई देने से लोगों की मृत्यु तक हो सकती है।
मौत की वजह
Medscape India ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मृत्यु तब भी होती है, जब फार्मासिस्ट दवा के नामों या खुराकों को गलत समझते हैं और लोगों को देते हैं। बेकार लिखावट से उत्पन्न भ्रम फार्मासिस्टों और रोगियों के लिए कठिन पैदा कर सकता है, जिससे ओवरडोज के कारण मौत का भी खतरा होता है। एसोसिएशन का बोलना है कि इस पूरे मुद्दे में आखिर रोगी ही पीड़ित होता है।
मेडिकल हिस्ट्री के लिए जरूरी
रिपोर्टों के अनुसार, डॉक्टरों के लिखे नोट किसी भी रोगी की मेडिकल हिस्ट्री होती है, जो उसे भविष्य में उपचार के दौरान भी काम आती हैं। हालांकि, पहले डॉक्टरों के लिखे नोट परंपरागत रूप से सिर्फ़ चिकित्सक के लिए ही थे, लेकिन समय के साथ हेल्थ सर्विसेज में विस्तार हुआ और मेडिकल से जुड़े अन्य लोगों को ये नोट समझने में परेशानी होने लगी।
कागज और पैन का इस्तेमाल
इलेक्ट्रॉनिक प्रिस्क्रिप्शन सिस्टम की उपलब्धता के बावजूद कश्मीर में चिकित्सक पारंपरिक कागज और पैन के इस्तेमाल पर ही बल देते हैं। 2005 के यूके के एक स्टडी में आर्थोपेडिक वार्ड से तीन सर्जनों के नोट का का चयन किया गया। इनमें से सिर्फ़ 25 प्रतिशत लोगों ने इसे ठीक माना, जबकि 37% को नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट और चिकित्सा ऑफिसरों ने इसे खराब बताया। दवाई के पर्चे एक जरूरी डॉक्यूमेंट्स के रूप में काम करते हैं। इसमें बीमार के लिए दवाओं के नाम, खुराक, समय और अवधि का विवरण दिया जाता है।
केमिस्टों को हो रही दिक्कत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुलगाम के रहने वाले एक शख्स ने बोला कि वह कुछ दिनों से खांसी से परेशान थे, इसलिए कुलगाम के हॉस्पिटल गए। वहां, चिकित्सक ने दवा लिखी। जब वह दवा लेने के लिए केमिस्ट के पास गए तो केमिस्ट भी खराब लिखावट के कारण दवाई की पर्ची को समझ नहीं पाया। इसके बाद अन्य केमिस्टों के पास गया, लेकिन रिज़ल्ट वही रहा।