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ऐसे कानून का क्या फायदा, जो वर्षों तक लागू ही नहीं किया जाएगा: चिदंबरम

नई दिल्ली: स्त्री आरक्षण विधेयक (Women Reservation Act) अब कानून बन गया है एक दिन पहले यानी शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर किए  कानून मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में इस बात की जानकारी दी गई इसे लेकर कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर केंद्र गवर्नमेंट पर धावा कहा है पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इस विधेयक को “भ्रम” करार दिया है उन्होंने बोला कि ऐसे कानून का क्या लाभ जो सालों तक लागू नहीं किया जाएगा?

ऐसे कानून का क्या फायदा, जो सालों तक लागू ही नहीं किया जाएगा

चिदंबरम ने  अपने आधिकारिक एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “विधेयक भले ही कानून बन गया है, लेकिन यह कई सालों तक असल में लागू नहीं हो पाएगा यह केवल गवर्नमेंट द्वारा लाया गया, एक भ्रम है पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, “सरकार ने दावा किया है कि स्त्री आरक्षण विधेयक कानून बन गया है ऐसे कानून का क्या फायदा, जो सालों तक लागू ही नहीं किया जाएगा निश्चित रूप से यह कानून 2029 लोकसभा चुनाव से पहले लागू नहीं हो पाएगा यह चिढ़ाने जैसा है जैसे पानी से भरे कटोरे में चांद की परछाई दिखाई जाती है केंद्र गवर्नमेंट द्वारा पेश किया गया यह कानून केवल एक चुनावी जुमला है

दोनों सदनों में पास हुआ था बिल

उल्लेखनीय है कि 27 वर्षों के लंबे कोशिश के बाद लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई स्त्रियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक पारित किया गया स्त्री आरक्षण विधेयक संसद के विशेष सत्र के दौरान 20 सितंबर को लोकसभा में और 21 सितंबर को राज्यसभा में पास हुआ लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे जबकि राज्यसभा में स्त्री आरक्षण विधेयक के समर्थन में 214 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के विरुद्ध वोट नहीं डाला था

दोनों सदनों से पारित होने के बाद यह विधेयक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा गया था जिस पर उन्होंने हस्ताक्षर किए जिसके बाद से विधेयक कानून बन गया है हालांकि, कानून बनने के बाद भी यह अभी से लागू नहीं हो सकता इसको अमल में लाने से पहले जनगणना और परिसीमन की शर्तों को पूरा करना होगा

 

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