21 साल की समरा ने गेम्स में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ जीता गोल्ड
पंजाब की युवा शूटर सिफ्ट कौर समरा ने 19वें एशियन गेम्स के चौथे दिन डबल मेडल जीते। 21 वर्ष की समरा ने गेम्स में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड जीता। फिर टीम इवेंट में राष्ट्र को सिल्वर दिलाया।
ये वही शूटर है, जिसने अपने खेल को जारी रखने के लिए डॉक्टरी (MBBS) की पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी, क्योंकि मेडिकल कॉलेज में शॉर्ट अटेंडेंस के कारण एग्जाम देने से रोक दिया था।
समरा का यहां तक का शूटिंग का यात्रा सरल नहीं रहा। एक बार उन्होंने अपने प्रदर्शन से निराश होकर शूटिंग छोड़ने का मन बना लिया था। समरा ने पिछले महीने वर्ल्ड शूटिंग चैम्पियनशिप में हिंदुस्तान को पेरिस ओलिंपिक का छठा कोटा दिलाया था।
समरा ने कोटा हासिल करने के बाद एशियाड से पहले दैनिक मीडिया से अपनी स्ट्रगल स्टोरी साझा की, जो आप आगे पढ़ेंगे…
सवाल: क्या प्लान तैयार किया है, क्योंकि एक वर्ष बाद ओलिंपिक है?
जवाब : ज्यादा दूर का नहीं सोच रही हूं, क्योंकि मैं हमेशा शॉर्ट टर्म गोल बनाकर तैयारी करती हूं। अब मेरा फोकस एशियाड पर है।
वाल: वर्ल्ड चैंपियनशिप में कोटा हासिल किया था, लेकिन मेडल नहीं मिला। क्या कहेंगी?
जवाब : कोटा आया है इसकी खुशी है। जहां तक मेडल की बात है तो जो कमियां रह गई हैं। उन पर काम करूंगी। राष्ट्र को कोटा दिलाने की अधिक खुशी है।
सवाल: पहला इंटरनेशनल मेडल (सिल्वर) मार्च में ISSF वर्ल्ड कप में भोपाल में जीता था। करियर के शुरुआती फेज में इसे कैसे देखती हैं?
जवाब : बहुत ही सकारात्मक तौर पर लेती हूं। शूटिंग का यात्रा बहुत ही अच्छा चल रहा है। आशा करती हूं कि आगे ऐसा ही चलता रहे और आने वाले कॉम्प्टीशन में ऐसा ही परफॉर्म करती रहूं।
सवाल: कोटा राष्ट्र का होता है, किसी इंडिविजुअल का नहीं। ऐसे में कई दफा किसी के कोटे में दूसरे निशानेबाज को भेज दिया जाता है। आप स्वयं के लिए कितना कॉन्फीडेंट हो?
जवाब : यह तो अगले वर्ष पता चलेगा कि कौन जाएगा और कौन नहीं, लेकिन मैं अपना काम करूंगी। अपना परफॉर्मेंस मेंटेन करने की प्रयास करूंगी, ताकि मैं ही जाऊं।
सवाल: आमतौर पर खिलाड़ी अपनी पढ़ाई के लिए खेल छोड़ देते हैं और आपने MBBS की पढ़ाई छोड़ दी। क्यों?
जवाब: मुझे लगता है कि किसी को निर्णय लेना था तो मेरी फैमली ने लिया। हमने स्पोर्ट्स को अधिक प्रथमिकता दी, क्योंकि शूटिंग अच्छी चल रहा था और मेडिकल से अधिक मुझे खेल पसंद है। यही कारण है कि मैंने खेल को चुना।
सवाल: इण्डिया में हर बच्चा बचपन में डॉक्टर, इंजीनियर या साइंटिस्ट बनने का सपना देखता है, लेकिन आपने चिकित्सक बनने की बजाए शूटिंग चुनी। क्या आपको लगता है कि खेलों में इन प्रोफेशन्स से अधिक अच्छा करियर है?
जवाब : डॉक्टर और इंजीनियर…इंडिया में काफी अहम माने जाते हैं राष्ट्र के लिए वे भी महत्वपूर्ण हैं।
अगर बच्चे को ये दोनों प्रोफेशन अच्छे लगते हैं तो उसे इनकी पढ़ाई करनी चाहिए। यदि बच्चे को स्पोर्ट्स पसंद है, तो उसे खेल से जोड़ना चाहिए, क्योंकि स्पोर्ट्स में भी बहुत ब्राइट फ्यूचर है। धीरे-धीरे इण्डिया की सोच बदलेगी और बदल भी रही है।
सवाल: MBBS की पढ़ाई छोड़ने के पीछे क्या कारण रहे। क्या कोई हर्डल्स थे?
जवाब: MBBS के साथ शूटिंग करना टफ हो रहा था, क्योंकि असाइंमेंट भी होते थे और नेशनल कैंप भी। ऐसे में दोनों को साथ लेकर चलना मुश्किल हो रहा था।
MBBS में आपको 80% अटेंडेंस मेंटेन करना होता है, जो मैं नहीं कर पा रही थी। ऐसे में कॉलेज ने बोला कि आपको 80% अटेंडेंस मेंटेन करनी होगी। उन्होंने मुझे पहले इयर के एग्जाम में नहीं बैठने दिया। इसीलिए हमने MBBS छोड़ दिया।
सवाल: आप पिछले वर्ष खेल छोड़ने वाली थीं, फिर कैसे मोटिवेट हुईं?
जवाब: तब मेरा नीट का एग्जाम क्लियर हो गया था और मुझे MBBS की सीट मिल गई थी। और मैं सीनियर रैंकिंग में बहुत पीछे थी। वह मेरा लास्ट जूनियर था। उतने अधिक मेडल भी नहीं जीते थे।
मैंने और मेरे परिवार वालों ने तय कर लिया था कि अब मेडिकल की पढ़ाई करनी है, क्योंकि मैं लास्ट टूर्नामेंट समझकर खेल रही थी, इसलिए कोई टेंशन नहीं लिया। मैंने जीत-हार के बारे में एकदम भी नहीं सोचा और परिणाम बेहतर आया।
मैंने 1200 में से 1171 अंक स्कोर किए। वह मेरा बेस्ट नेशनल था और जूनियर रिकॉर्ड भी बनाया था।
सवाल: उस नेशनल से क्या परिवर्तन आए?
जवाब : भोपाल में आयोजित नेशनल से मैंने सीखा कि टेंशन लेने से कुछ नहीं होता है। इससे गेम खराब ही होता है। उस नेशनल से सीख मिली कि आप अपनी शूटिंग पर फोकस करो।
अब मैं हर एक मैच बढ़े आराम से रिलेक्स होकर खेलती और जीतती हूं। आगे यही मेरी जीत का मंत्र बन गया।
सवाल: अपनी एकग्रता को बढ़ाने के लिए कौन-कौन सी टेक्नीक अपनाती हैं?
जवाब: मुझे ऐसा लगता है कि आप जितना खुश रहते हो। आपका दिमाग उतना ही रिलेक्स रहेगा। मेरा मनना है कि आप जितना खुश रहोगे अपने प्रोफेशन में उतना ही अच्छा करोगे।
सवाल: जब कभी खराब शूट करती है या कोई टूर्नामेंट अच्छा नहीं जाता, तो उससे कैसे ओवरकम करती हैं?
जवाब: आप हमेशा जीत नहीं सकते, यदि हमेशा जीतोगे तो सीखोगे नहीं। मुझे लगता है कि हारना सबको चाहिए, ताकि आप उस हार से सीख सको कि आपने क्या गलतियां की। आपको किन चीजों पर काम करना चाहिए। बस यही कहूंगी कि हार को दिल पर मत लो। आप उसे एक हिंट की तरह लो कि मुझे इस पर काम करना है। मैं हार को कभी दिल पर नहीं लेती और सीखने पर फोकस करती हूं।
सवाल: अभी एशियन चैंपियनशिप में भी भारतीय शूटर्स के पास कोटा हासिल करने के मौके रहेंगे। क्या आशा करती हैं?
जवाब: कई इवेंट्स में कोटा हासिल करना बाकी है। शूटर्स ने बहुत मेहनत की है। आशा करती हूं कि बचे हुए इवेंट में ओलिंपिक कोटा हासिल करें।