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इक्वेस्ट्रियन गेम क्या है जानें इसका इतिहास और नियम

इक्वेस्ट्रियन या घुड़सवारी एक खेल है, जिसमें घुड़सवार एक घुड़सवार एक घोड़े की पीठ पर सवार होकर हुनर का प्रदर्शन करता है. दरअसल, घुड़सवारी घोड़ों की रेसिंग और वॉल्टिंग (घोड़े की पीठ पर जिमनास्टिक) से लेकर पोलो और रोडियो तक के कई प्रकार होते हैं. बता दें कि, घुड़सवारी का आविष्कार लगभग 3500 ईसा पूर्व से ही मिलते हैं. रथों की दौड़ प्राचीन ग्रीस में लोकप्रिय थी और प्राचीन ओलंपिक खेलों के मुख्य आकर्षण में से एक थी.

घुड़सवारी के नियम क्या हैं?

  • ड्रेसेज में कई टेस्ट होते हैं, जिसमें घोड़े और घुड़सवार को एक तय मूवमेंट वाले रूटीन का प्रदर्शन करने के लिए अंक दिए जाते हैं. जंपिंग में घोड़े और सवार कई बाधाओं को पार करने की प्रयास करते हैं जो एक तय मार्ग को फॉलो करते हुए आगे बढ़ते हैं. यदि दो या दो से अधिक जोड़े बेहतर ढंग से राउंड को पूरा करते हैं तो ऐसे में विजेता का फैसला करने के लिए जंप- ऑफ समय के आधार पर किया जाता है.
  • इवेंटिंग को मूल रूप से घुड़सवारी के घोड़ों को टेस्ट करने और उन्हें तैयार करने के लिए विकसित किया गया था. इसमें तीन भिन्न-भिन्न डिसिप्लिन शामिल हैं. ड्रेसेज टेस्ट और उसके बाद क्रॉस कंट्री जो लगभग 30 कठिन बाधाओं वाली 6 किमी लंबी घुड़सवारी होती है, और फिर जंपिंग.
  • सभी डिसिप्लिन की प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने से पहले घोड़ों को पशु चिकित्सा निरीक्षण पास करना होता है. जंपिंग और क्रॉस- कंट्री में, एक बाधा को पार करने या छोड़ देने या चूक जाने के लिए पेनल्टी दी जाती हैं.

घुड़सवारी और ओलंपिक 

घुड़सवारी का खेल पहली बार पेरिस 1900 ओलंपिक खेलों में प्रदर्शित किया गया. जिसमें कई जंपिंग इवेंट्स और पोलो का आयोजन हुआ था. साल 1908 में सिर्फ़ पोलो को शामिल करने के साथ ही घुड़सवारी को 1904 के खेलों से हटा दिया गया था. लेकिन स्टॉकहोम 1912 में पहली ड्रेसेज और इवेंटिंग प्रतियोगिताओं के साथ-साथ जंपिंग को भी शामिल किया गया था और उसके बाद से ही ये ओलंपिक प्रोग्राम में प्रतियोगिता के तौर पर शामिल हैं. पोलो को ओलंपिक खेलों में कुछ ही बार शामिल किया गया है. बर्लिन 1936 के बाद खेलों से हटाए जाने से पहले कुछ पांच बार ही पोलो ओलंपिक खेलों का हिस्सा रहा है. शुरुआत में सिर्फ़ मर्दों ने घुड़सवारी में प्रतिस्पर्धा की, जिसमें घुड़सवार या तो सेना अधिकारी या जेंटलमेन होना चाहिए था. ये प्रतिबंध 1951 में हटा लिया गया और स्त्रियों ने हेलसिंकी 1952 में ड्रेसेज में मर्दों के साथ प्रतिस्पर्धा की. स्त्रियों को 1956 में जंपिंग और 1964 में इवेंटिंग में भी शामिल कर लिया गया.

2024 पेरिस ओलंपिक में हिंदुस्तान को मेडल की आस

एशियन गेम्स 2023 में हिंदुस्तान के ह्रदय छेदा, अनुष अग्रवाल, दिव्यकृति सिंह और सुदीप्ति हजेला की ड्रेसेज टीम ने गोल्ड मेडल जीता. इस टीम ने ये कारनामा 41 वर्ष बाद किया. जिसके बाद से हिंदुस्तान को पेरिस ओलंपिक 2024 में मेडल की आस है.

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