किसान गुड़ बनाते वक्त इन चीजों का रखें ध्यान, तो मिल सकेगा बेहतर क्वालिटी का गुड़
शाहजहांपुर: इन दिनों किसान गन्ने की हार्वेस्टिंग कर रहे हैं। किसान गन्ने से गुड़ भी बना रहे हैं। ऐसे में यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि गुड़ बनाते समय कौन सी सावधानी रखी जाए, जिससे अच्छी क्वालिटी का गुड़ बने और गुड़ को अधिक समय तक रखा जा सके। यूपी गन्ना अध्ययन परिषद के वैज्ञानिकों का बोलना है कि यदि किसान गुड़ बनाते समय कुछ महत्वपूर्ण चीजों का ध्यान रख लें, तो उनको बेहतर क्वालिटी का गुड़ मिल सकेगा।
उत्तर प्रदेश गन्ना अध्ययन परिषद की वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी चिकित्सक प्रियंका सिंह का बोलना है कि किसान गुड़ बनाते समय ध्यान रखें कि पके हुए गन्ने की कटाई करें और उसको तुरंत कोल्हू पर ले जाकर उसकी पिराई कर उसका गुड बनाया जाए तो गुड़ की क्वालिटी बेहतर होगी। इसके अतिरिक्त यह भी ध्यान रखें कि गुड़ बनाते समय किसी तरह का कोई केमिकल इस्तेमाल न करें। क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
गन्ने की प्रजाति का भी रखें ध्यान
वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ प्रियंका सिंह ने कहा कि गुड़ बनाते समय गन्ने की प्रजाति का भी ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप अच्छी क्वालिटी का गुड़ चाहते हैं तो कोलख 14201, कोशा 13235 और कोशा 767 गन्ने की प्रजाति गुड़ बनाने के लिए बेहतर है। इन किस्मों से बनाए हुए गुड़ का कलर और स्वाद अच्छा होता है। इस गन्ने की प्रजाति में किसानों को अधिक मात्रा में गुड़ मिलेगा।
वनस्पति रस शोधन का करें इस्तेमाल
डॉ प्रियंका सिंह ने कहा कि आमतौर पर किसान रस शोधन के लिए हाइड्रो सल्फाइड का इस्तेमाल करते हैं। जिससे सल्फर डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। जो कि स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होती है। डॉ प्रियंका सिंह ने कहा कि रसायन मुक्त गुड़ बनाने के लिए वनस्पति शोधक रस का इस्तेमाल करें। किसानों को महत्वपूर्ण है कि वह देवला से गन्ने को रस को अध्ययन लें। 4 लीटर गन्ने के रस के लिए 150 से 200 ग्राम देवला मिलकर रस में उपस्थित मैली को साफ कर लें।
गुड कैसे करें तैयार, क्या रखें सावधानी
डॉ प्रियंका सिंह ने कहा कि गन्ने के रस को 50 डिग्री सेल्सियस पर खौलाकर उसमें देवला डाल दें। इसके बाद मैली ऊपर आ जाएगी। उसके बाद आंच को बढ़ाएं और 70 डिग्री सेल्सियस पर ले जाने के बाद एक बार फिर से उसमें देवला डालकर मैली हटा लें। उसके बाद गन्ने के रस को 120 से 122 डिग्री के टेंपरेचर पर पकाएं और यह गुड़ बन कर तैयार हो जाएगा। इसके बाद इसको बाहर निकाल कर भिन्न-भिन्न आकार दिया जा सकता है। वैज्ञानिकों का बोलना है कि इन सभी सावधानियां को रखकर यदि गुड़ बनाया जाए तो इसको लंबे समय तक रखा जा सकता है।