उत्तर प्रदेश

ज्ञानवापी तहखाने की मूर्तियों का भी होगा सुलभ दर्शन

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में न्यायालय के आदेश पर पूजा और दर्शन प्रारम्भ कराने के बाद अब मूर्तियों का सुलभ दर्शन कराने की तैयारी हो रही है अभी मूर्तियों का आम लोग ठीक से दर्शन नहीं कर पा रहे हैं इसके पीछे मूर्ति और तहखाने के गेट में काफी दूरी को कारण बताया जा रहा है फिलहाल तहखाने में आम दर्शनार्थियों को जाने की इजाजत नहीं है ऐसे में गेट के बाहर से ही दर्शन कराया जा रहा है गेट से मूर्ति के बीच काफी दूरी से लोगों को ठीक से दर्शन नहीं हो पा रहा है इसी को देखते हुए नयी कवायद हो रही है

वाराणसी जिला न्यायधीश के आदेश पर बुधवार की रात ट्रेजरी से मूर्तियों को ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने लाकर रखा गया और गुरुवार की भोर से पूजा के साथ ही दर्शन भी प्रारम्भ हो चुका है दक्षिणी तहखाने में दो हनुमान, दो विष्णु, एक गणेश, शिवलिंग, अरघा, गंगाजी के गाड़ी मगरमच्छ की मूर्तियों की पूजी जा रही हैं ये वहीं मूर्तियां हैं, जो एएसआई सर्वे के दौरान दक्षिणी तहखाना में मिली थीं तब एएसआई ने मूर्तियों को डीएम के अधिकार क्षेत्र में सौंप दिया था डीएम ने मूर्तियों को साक्ष्य के तौर पर ट्रेजरी में सुरक्षित रखवा दिया था

ये मूर्तियां कई सालों से मिट्टी और मलबे में दबी थीं, इसलिए उनकी छवि प्रभावित हुई है तहखाने के द्वार से मूर्तियों के बीच करीब 25 से 30 फीट की दूरी है मूर्तियां काफी छोटी  होने के कारण द्वार से दर्शन करने जा रहे भक्तों को मूर्ति की आकृति साफ नहीं हो पा रही है यह फीडबैक मिलने के बाद मंदिर प्रशासन ने मूर्तियों के ऊपर उनकी बड़ी-बड़ी फोटोज़ भी लगाने की तैयारी प्रारम्भ कर दी है मंदिर प्रशासन का मानना है कि इससे भक्तों को मूर्तियों का दर्शन सुलभ हो सकेगा

हाईकोर्ट के लिए तैयार हो रही पत्रावली
वहीं, उच्च न्यायालय में तहखाने प्रकरण की छह फरवरी को सुनवाई में अपना पक्ष रखने के लिए मंदिर प्रशासन ने पत्रावलियां बनानी प्रारम्भ कर दी हैं उच्च न्यायालय में अंजुमन इंतेजामिया ने बोला है कि दक्षिणी तहखाना में कभी पूजा नहीं होती थी जबकि मंदिर प्रशासन दावा करता रहा है कि व्यासजी का परिवार कई पीढ़ियों से तहखाने में पूजा करता था यह दावा क्षेत्रीय न्यायालय में वादी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने भी किया था अब दावे को पुष्ट करने के लिए विभिन्न सालों में पूजन-पाठ से जुड़े कागजात जुटाए जा रहे हैं

तहखाने से ही एएसआई को मिलीं सबसे अधिक पौराणिक सामग्रियां
जिस व्यासजी के तहखाना (दक्षिणी तहखाना) में जिला न्यायधीश के आदेश पर पूजा-पाठ प्रारम्भ हुआ है, उसी तहखाने में एएसआई के सर्वे में पौराणिक सामग्रियां भी मिली थीं सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक यहां सबसे अधिक देव प्रतिमाएं, वास्तुशिल्प से जुड़ी कलाकृतियों वाले पत्थर, शिलालेख के साथ भिन्न-भिन्न शासकों के समय में जारी सिक्के मिले

व्यासजी के तहखाने में आठ शिवलिंग थे
परिसर से कुल 259 सामग्रियां मिलीं, इसमें देव प्रतिमा, शिवलिंग, शिलालेख आदि हैं 259 में से पश्चिमी दीवार की तरफ 115, दक्षिणी तहखाने के व्यासजी तहखाने वाले हिस्से में 95 देव प्रतिमाएं, वास्तुशिल्प से जुड़ी शिलाएं मिली हैं 259 में से 55 देव प्रतिमाएं और शिवलिंग थे इन 55 देव प्रतिमाओं में से 25 व्यासजी के तहखाने वाले हिस्से में मिले थे

व्यासजी के तहखाने में मिलीं मूर्तियों में आठ शिवलिंग, दो विष्णु प्रतिमा, एक मकर, एक ईश्वर कृष्ण, दो ईश्वर गणेश, दो हनुमान प्रतिमा, एक द्वारपाल और अन्य हिंदू पौराणिक प्रतिमाएं हैं यहां दो टेराकोटा की प्रतिमाएं भी मिली थीं इसके अतिरिक्त इसी तहखाने में देवी-देवता की संयुक्त एक प्रतिमा और मानव की एक मूर्ति मिली थी

तांबे की 65 सामग्रियां भी इसी हिस्से में
व्यासजी के तहखाने वाले हिस्से में ही धातु की सामग्रियां भी सबसे अधिक मिलीं पूरे परिसर से कुल 113 में से व्यासजी के तहखाने वाले हिस्से में 66 धातु की सामग्रियां मिलीं इसमें लोहे की एक, तांबे की 65 सामग्रियां हैं

93 सिक्कों में से 64 तहखाने में मिले
ज्ञानवापी परिसर से भिन्न-भिन्न शासकों के काल के 93 सिक्के भी मिले थे इसमें भी 64 व्यासजी के तहखाने वाले हिस्से में मिले हैं इस हिस्से में ईस्ट इण्डिया कंपनी के समय के 36, विक्टोरिया क्वीन के 20 और विक्टोरिया इम्प्रेस के आठ सिक्के हैं अन्य हिस्से में मिले सिक्कों में शाह आलम बादशाह द्वितीय, एडवर्ड सप्तम- किंग एंड इंपरर, किंग जॉर्ज- षष्ठम, 1/2 आना, आधा पैसा, 12 आना, एक पैसा, दो पैसा, तीन पैसा, पांच पैसा, 10 पैसा, 25 पैसा, सिंधिया, दिरहम खलीफा के सिक्के हैं

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