उत्तर प्रदेश

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे में ASI को मिले तेलुगु भाषा के शिलालेख तो खुला 17वीं शताब्दी का ये राज

  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार, वाराणसी में ज्ञानवाबी मस्जिद की दीवारों पर तमिल और तेलुगु भाषा के शिलालेख हैं काशी विश्वनाथ मंदिर यूपी के वाराणसी में स्थित है यह अति प्राचीन मंदिर हिंदुओं के लिए एक जरूरी पवित्र जगह है इस मंदिर के पास ही मुसलमानों की ज्ञानवाबी मस्जिद भी स्थित है इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने करवाया था खबरें ये भी हैं कि मस्जिद ने काशी विश्वनाथ मंदिर का एक हिस्सा तोड़ दिया इससे जुड़ा मुद्दा कई सालों से वाराणसी न्यायालय में चल रहा है

 

इसके साथ ही, एक नया सिंगारा गौरी अम्मन दर्शन मुद्दा भी प्रारम्भ किया गया है और वाराणसी न्यायालय में चलाया जा रहा है मंदिर और मस्जिद के बीच परिसर की दीवार पर देवी सिंगारक गौरी की एक मूर्ति स्थापित है यहां सार्वजनिक दर्शन की अनुमति नहीं है, देवी के दर्शन की अनुमति मांगने के लिए मुद्दा दाखिल किया गया था इस जांच के दौरान मस्जिद के अंदर वैज्ञानिक क्षेत्र में जांच का आदेश दिया गया इसका संचालन करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी 839 पन्नों की रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी यह भी पता चला कि मस्जिद के अंदर उस जगह पर एक शिव लिंगम है जहां मुस्लिम अपने हाथ और पैर धोते हैं (ओसुकाना)

25 तारीख को मुद्दे में दोनों पक्षों को रिपोर्ट सौंप दी गई थी रिपोर्ट में एएसआई ने साफ बोला है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है इस मुद्दे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बोला है कि ज्ञानवाबी मस्जिद की दीवार पर तमिल और तेलुगु भाषा के शिलालेख हैं इस संबंध में कर्नाटक के मैसूरु से एएसआई निदेशक (शिलालेख) के मुनिरत्नम रेड्डी के नेतृत्व में जानकारों की एक टीम ने वहां एक सर्वेक्षण किया जानकार पैनल ने बोला कि मस्जिद की दीवार पर 34 शिलालेख थे, जिनमें से 3 शिलालेख तेलुगु भाषा में थे और कुछ शिलालेख तमिल, कन्नड़ और देवनागरी भाषा में थे इस संबंध में एएसआई निदेशक ने एक शोध रिपोर्ट भी दी है

इस संबंध में मुनिरत्नम रेड्डी ने कहा, ये 3 तेलुगु शिलालेख 17वीं शताब्दी के हैं इसमें नारायण भटलू के बेटे मल्लन्ना भटलू और अन्य के बारे में जानकारी लिखी है 1585 में, तेलुगु ब्राह्मण समुदाय के सदस्य नारायण पतलू ने काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण की देखरेख की 15वीं सदी में जौनपुर के हुसैन शर्की सुल्तान (1458-1505) ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया इसके बाद 1585 में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया

क्षेत्र का दौरा करने वाले राजा टोडरमल ने फिर से काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण का आदेश दिया उनके आदेश पर ही नारायण पतलू की देखरेख में मंदिर का निर्माण किया गया था नारायण पतलू मंदिर निर्माण के लिए बहुत मशहूर थे विद्यमान शिलालेख भी इस तथ्य को साफ करते हैं यह शिलालेख ज्ञानवाबी मस्जिद की दीवार पर लगा है तेलुगू में साफ रूप से लिखा गया है हालाँकि शिलालेख थोड़ा टूटा हुआ और अधूरा है, मल्लन्ना पतलू और नारायण पतलू के नाम साफ हैं

मस्जिद के अंदर दूसरा तेलुगु शिलालेख मिला इस पर कोवी लिखा हुआ है कोवी का अर्थ है चरवाहे एक तीसरा तेलुगु शिलालेख भी 15वीं शताब्दी का है यह शिलालेख मस्जिद के उत्तरी भाग में मुख्य प्रवेश द्वार पर पाया गया था इसमें 14 पंक्तियाँ हैं इसमें तेलुगु पात्र अधिकांश क्षतिग्रस्त हैं मंदिर में ढुंगा लैंप के बारे में शिलालेख लिखे गए हैं इससे अन्य बातें नहीं निकाली जा सकीं मंदिर में तेलुगु के अतिरिक्त तमिल शिलालेख भी पाए जाते हैं वहां कन्नड़ और देवनागरी भाषा में लिखे शिलालेख भी मिले हैं उन्होंने यही कहा

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