उत्तर प्रदेश

लखनऊ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बनीं मछलियां, शहर को दिलाई विश्वस्तरीय पहचान

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है यहां की प्राचीन इमारतों में छिपी एक रोचक कहानी है – दो मछलियां इन मछलियों का इतिहास अवध के नवाबों से जुड़ा हुआ है जिन्होंने इन्हें अपना राजचिह्न बनाया था लखनऊ के इतिहास में इन मछलियों का विशेष महत्व है और इन्हें शहर की विरासत माना जाता है इन मछलियों के राजचिह्न में छिपी एक अनूठी कहानी है जो इस जगह को और भी रोचक बनाती हैलखनऊ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बने इन मछलियों की कहानी ने शहर को विश्वस्तरीय पहचान दिलाई है

इतिहासकार नवाब मसूद अब्दुल्लाह ने कहा कि 1722 में जब नवाब सआदत अली खान बुरहान उल देश अवध भेजे गए थे, तो सरयू नदी में यात्रा के दौरान उनके गोद में मछली आ गिरी सआदत अली खान बुरहान उल ईरानी नस्ल के थे, और ईरान में मछली को शुभ माना जाता है इस पर नवाब सआदत अली खान बुरहान उल देश ने यह सोचा कि ये मछली उनके गोद में आकर गिरी है, इसलिए यह एक शुभ संकेत है उन्होंने इसे अपना राजचिह्न बनाया

मछली हिंदू और मुसलमान दोनों में शुभ मानी जाती
नवाब मसूद अब्दुल्लाह का बोलना है कि यह शहर धर्मों की सीमाओं को पार करने की एक अनोखी मिसाल पेश करता है, जहां सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैंबिना किसी गुस्सा या ग्लानि के यहां विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के लोग एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं और एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होते हैंऔर मछली हिंदू और मुसलमान दोनों में शुभ मानी जाती है, इसीलिए नवाब सआदत अली खान बुरहान उल देश ने मछली को राजचिह्न बनाया, जो आज भी इस शहर का प्रतीक बने हुए है

उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट की मोहर में भी यह मछलियां
नवाब मसूद अब्दुल्लाह ने कहा कि किसी भी सरकारी दफ्तर, मंत्रालय, सचिवालय या संविधानिक डॉक्यूमेंट्स का महत्व तब तक नहीं होता जब तक उस पर सरकारी मोहर नहीं लगी हो और सआदत अली खान बुरहान उल देश के समय से जो दो मछलियों को राजचिह्न बनाया गया थावहीं आज यूपी गवर्नमेंट की जो मोहर हैं, उनमें भी यह मछलियां बनी होती हैं लखनऊ में सरकारी और ऐतिहासिक इमारतों और मंदिरों, मस्जिदों में इन दोनों मछलियों को सरलता से देखा जा सकता है

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