बाराबंकी में नसबन्दी के आपरेशन के दौरान एक महिला की बिगड़ी हालत, हुई मौत
उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के रामनगर में नसबन्दी के आपरेशन के दौरान एक स्त्री की हालत बिगड़ गई। आनन फानन उसे जिला स्त्री हॉस्पिटल रेफर किया गया। स्त्री हॉस्पिटल में स्त्री को मृत घोषित कर दिया गया। इसे लेकर परिजनों ने सीएचसी रामनगर जाकर बवाल करना प्रारम्भ कर दिया। डाक्टरों पर ढिलाई और मृत हालत में रेफर कराने का इल्जाम लगाया। सूचना पर पुलिस पहुंची और परिजनों को शांत कराया। पुलिस ने मृतशरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इस मुद्दे में परिजनों ने डाक्टर की ढिलाई का इल्जाम लगाते हुए तहरीर दी है।
रामनगर पुलिस स्टेशन के बिकनापुर निवासी अमरेश रावत की पत्नी शांती देवी (35) गाँव की आशा बहू नूतन मिश्रा के साथ रामनगर सीएचसी करीब ढाई बजे नसबन्दी का आपरेशन कराने गई थी। अमरेश रावत के अनुसार वह अमोली में काम कर रहे थे कि करीब तीन बजे आशा बहू ने उनको टेलीफोन कर कहा कि उनकी पत्नी नसबन्दी का आपरेशन कराने रामनगर सीएचसी आई थी। हालत खराब है। सीएचसी शीघ्र चले आओ। इस पर वह पहुंचे तो देखने पर लगा कि उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है। उन्होंने बोला भी कि मृतक को क्यो जिले पर ले जा रहे लौट चलो मगर फिर भी जिला स्त्री हॉस्पिटल पहुंचा दिया गया। आपातकालीन के डाक्टर ने देखते ही बोला कि ले जाओ यह मर चुकी है।
बड़ी देर बाद मिली एम्बुलेंस
अमरेश के मुताबिक जब वह जिला हॉस्पिटल में चिल्ला कर एम्बुलेंस बुलाने की मांग कर रहा था तो किसी ने सहायता नही कि बल्कि 108 का नंबर दिया। नंबर नहीं मिला तो उनके साथ उपस्थित रिटायर तहसीलदार मयाराम ने सांसद को टेलीफोन किया। सांसद उपेन्द्र रावत के कोशिश से एम्बुलेंस आई तब शव घर ला सके।
नसबन्दी करने आई टीम और आशा बहू को कहा दोषी
अमरेश का बोलना था कि नसबन्दी करने वाली टीम पूर्ण रूप से गुनेहगार है। उसने ढिलाई की। बेहोशी के बाद हालत खराब हुई जब कि उसके पेट में चीरा लगा था। आशा बहू बिना उनकी अनुमति के पत्नी को बुलाकर ले गई। उसने बोला कि उसकी पत्नी सीएचसी में ही मर गई थी इसके बावजूद उसे रेफर कर दिया गया। सूचना पर पुलिस पहुंची और काफी मान मनौव्वल कर परिजनों को मनाया। इसके बाद परिजनों ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर लापरवाह डाक्टर और कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की।