अयोध्या का दीपोत्सव आज नए भारत की बन रहा विशिष्ट पहचान
लखनऊ. रामनगरी अयोध्या को सर्व समावेशी अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थली के रूप में विकसित किया जा रहा है. सरयू किनारे स्थित अयोध्या नगरी आज अपने पौराणिक आभा के अनुरूप सज-संवर गई है. अयोध्या नगरी विकास के नित नए प्रतिमान गढ़ रही है. अयोध्या का दीपोत्सव आज नए हिंदुस्तान की विशिष्ट पहचान बन रहा है. आज यहां हर ओर भव्यता-दिव्यता को साकार रूप में अनुभव किया जा सकता है.
सरकार के अधिकारी बताते हैं कि नए हिंदुस्तान की पहचान ‘अयोध्या दीपोत्सव’ प्रति साल नए कीर्तिमान के साथ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो रही है. यही नहीं, शताब्दियों की प्रतीक्षा के उपरांत श्रीराजन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जो 22 जनवरी 2024 में लोकार्पित होने वाला है.
इसके अतिरिक्त मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण भी आखिरी चरण में है. यूपी का ये चौथा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट जल्द क्रियाशील होने को तैयार है. केवल इतना ही नहीं, ‘नव्य अयोध्या’ की स्थापना के उद्देश्य से लगभग 1893 एकड़ में अत्याधुनिक नगरीय सुविधाओं से युक्त नवीन ग्रीनफील्ड वैदिक सिटी के विकास की प्रक्रिया भी गतिमान है.
नगर विकास के एक अधिकारी ने कहा कि अयोध्या शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का फैसला पहले ही योगी आदित्यनाथ की गवर्नमेंट ने ले लिया है. सरयू किनारे 40 मेगावाट की सोलर विद्युत उत्पादन परियोजना के विकास का फैसला हो या स्मार्ट सिटी के रूप में अयोध्या का विकास, इन्टेलिजेन्ट ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम का विकास बदलती हुई अयोध्या की निशानी है.
इसके अतिरिक्त यहां के प्रमुख 4 स्थानों – हनुमानगढ़ी, नयाघाट, अयोध्या रेलवे स्टेशन और गुप्तारघाट पर वाई-फाई की सुविधा भी प्रदान कर दी गई है. अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की सुगमता की दृष्टि से सहादतगंज से नया घाट तक करीब 13 किलोमीटर लंबे ‘रामपथ’ का निर्माण कार्य प्रगति पर है. श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के नजदीक वाले क्षेत्रों में कामन बिल्डिंग कोड लागू है, जिसके जरिए नगर की सुंदरता को नवीन आयाम मिलने वाला है. पर्यटकों/श्रद्धालुओं को जलयान भ्रमण का आनंद सुलभ कराने के लिए ‘जटायु क्रूज सेवा’ संचालित की जा चुकी है.
सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अयोध्या धाम की पंचकोसी और चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग का सुंदरीकरण और चौड़ीकरण किया जा रहा है. इसके अलवा परिक्रमा मार्ग पर “रामायण कालीन” दृष्टांतों को उत्कीर्ण करने का अद्भुत कार्य गतिमान है. परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले 208 पौराणिक महत्व के स्थलों पर अनुसंधान कर उन्हें जरूरी सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है.
वहीं लगभग दो हजार वर्गमीटर के परिक्षेत्र में क्वीन मेमोरियल पार्क का विकास किया जा रहा है. इससे दक्षिण कोरिया और हिंदुस्तान के प्राचीन मैत्री संबंधों को नवीन आयाम मिलेगा. पार्क में मेडिटेशन हॉल, क्वीन पवेलियन, किंग पवेलियन, पाथ-वे, फाउंटेन, म्यूरल, ऑडियो-वीडियो इत्यादि का निर्माण तेज गति से जारी है.