यूपी में कंप्यूटर आपरेटर अब पहुंची भुखमरी की कगार पर
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक विभाग में 2015 में रखे गए कंप्यूटर आपरेटर अब भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। प्रदेश भर में राष्ट्रीय स्कॉलरशिप पोर्टल में डाटा फीडिंग के लिए लगभग 212 कम्प्यूटर ऑपरेटर रखे गए थे। इन कंप्यूटर ऑपरेटर को यूपी गवर्नमेंट ने आउटसोर्सिंग यानी संस्था के माध्यम से रखा था।
इन आठ वर्षों में कई संस्थाएं बदलीं और मौजूदा समय में डिग्नेस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के अधीन ये कर्मी कार्यरत हैं। जिनका तय समय सीमा भी पूरी हो गई, लेकिन न तो पिछले 9 माह से कर्मियों को तनख्वाह मिली और न ही इनके कर्मियों का रिन्यूअल अभी तक हुआ है।
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक विभाग में जिन कंप्यूटर ऑपरेटर को रखा गया था, उनकी जनवरी माह से सैलरी सितंबर होने तक नहीं आई है। प्रत्येक जनपद में दो से अधिक लोग अल्पसंख्यक विभाग में कार्यरत हैं। जानकारों की मानें तो विभाग की सारी प्रबंध डिजिटली करण होने के बाद इन कंप्यूटर ऑपरेटर के सहारे ही राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का काम किया जा रहा है। क्योंकि विभाग में तैनात पुराने बाबू और अधिकारी इस डिजिटल प्रबंध से ना तो दोस्ती कर पाए और ना ही अपने तेज दिमाग का इस्तेमाल ही।
जनवरी माह से वेतन न आने की वजह से इन कंप्यूटर ऑपरेटर ने सीएम आइजीआरएस पोर्टल से कम्पलेन की लेकिन वहां से फर्जी तरह की आख्या लगाकर मुद्दे को बंद कर दिया गया। इसके बाद इन पीड़ितों ने हिंदुस्तान गवर्नमेंट के अल्पसंख्यक मंत्रालय में कम्पलेन भेज कर अपना दुखड़ा रोया लेकिन वहां से भी इन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिली। बल्कि फर्जी आख्या के सहारे उनकी वह कम्पलेन भी रद्दी की टोकरी में डाल दी गई।
नौकरी समाप्त फिर भी विभाग बनाए बंधुआ मज़दूर
आख्या में अल्पसंख्यक मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी ये ही तय न कर सके कि मुद्दा किसके अधीन आता है। अल्पसंख्यक विभाग में कार्यरत इन 212 कर्मियों की जनवरी माह से अब तक तनख्वाह नहीं मिली है। 15 हजार की हल्की धनराशि पाने वाले यह कंप्यूटर ऑपरेटर एक महीने की सैलरी न मिलने पर इनकी व्यवस्थाएं चरमराने लगती हैं। 9 माह से सैलरी ना मिलने पर यह भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। डिग्न्स सर्विसेज नाम की संस्था जिनके जरिए यह विभाग में कार्यरत हैं, उसका समय भी खत्म हो चुका है, जुलाई तक ही सेवाएं देने का इनका करार था लेकिन तब से ना तो इन लोगों का रिन्युवल किया गया और ना ही अब इन्हें कोई अटेंडेंस साइन करने या आगे काम करने का अधिकार ही है। बावजूद इसके विभाग के लोग इन 212 लोगों को बंधुआ मजदूर बनाए हैं।
बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन में निभाया अहम योगदान
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति में हुए 200 करोड़ से अधिक के घोटाले में विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति रोक दी गई थी। जिसके बाद अब बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन का काम अगस्त माह से प्रारम्भ हुआ है। जुलाई में कंप्यूटर ऑपरेटर का समय सीमा खत्म होने के बाद भी कोई लेटर नहीं आया लेकिन इन कंप्यूटर ऑपरेटर को बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन के कार्य में लगाया गया, क्योंकि यह लोग टेक्निकल हैं। प्रदेश भर में इन कंप्यूटर ऑपरेटर ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया और हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों का बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन कराया गया है।
हरदोई में 50% से अधिक बच्चों का बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन हो चुका है। ऐसे में कंप्यूटर ऑपरेटर यदि अगस्त माह में अपने घर बैठ रहते या आने वाले कुछ दिनों में घर बैठ रहते हैं तो राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना में मौजूदा समय के हिसाब से एक बड़ा ज़लज़ला आ सकता है।
PMGKY के 98 लोग हट चुके
यह कंप्यूटर ऑपरेटर अब तक देर सवेर सैलरी आने की आशा से लोगों से ऋण लेकर अपना खर्च चला रहे थे लेकिन अब उन लोगों ने ऋण देना भी बंद कर दिया है। साथ ही अभी पिछले माह ही यूपी से 98 कंप्यूटर ऑपरेटर को इस ही विभाग में संचालित PMGKY योजना के अनुसार तैनात किए गए कर्मियों को हटा दिया गया, जिनकी बीते तीन से चार माह की सैलरी भी नहीं दी गई। जिससे 212 लोग डरे और सहमे हुए हैं और गवर्नमेंट से दया की भीख मांग रहे हैं।